पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के तुरंत बाद ‘द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने उनके खिलाफ फेक न्यूज चलाकर पूरी भारतीय पत्रकारिता को शर्मिंदा किया है। इससे जाहिर होता है कि पत्रकारिता के नाम पर उसने हमेशा प्रोपगेंडा चलाया है! तभी तो उसने अपने आकाओं को खुश करने के लिए अटलजी के खिलाफ उनके निधन के दिन ऐसी झूठी स्टोरी चलाई है जिसका खंडन वाजपेयी जी स्वयं 2002 में कर गए हैं।
लगता है सिद्धार्थ वरदराजन जैसे लोग सालों से अटलजी के निधन के इंतजार में थे कि कब उनका निधन हो ताकि उसका फायदा उठाकर उनके खिलाफ फेक न्यूज को अपने आकाओं के हित में इस्तेमाल कर सके। तभी तो भारतीय राजनीति के श्लाका पुरुष रहे अटलजी के निधन से जहां सारा देश शोकाकुल है वहीं इन लोगों ने उनकी निंदा शुरू कर दी। अटलजी के सर्वकालिका बेदाग छवि को दागदार करने का प्रयास इन लोगों ने तभी से शुरू कर दिया जब नाजुक स्थिति में उन्हें दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था।
जैसे ही अटलजी अपनी अनंत यात्रा पर निकले, पत्रकार के वेश में दलाल सिद्धार्थ वरदराजन ने अपनी वेबसाइट पर 12 अप्रैल 2002 को गोवा में दिए अटल बिहारी वाजपेयी के उस भाषण को गलत संदर्भ देकर प्रकाशित कर दिया। उनके उस भाषण को वरदराजन ने इस रूप में पेश किया है जैसे वाजपेयी पूरे मुसलिम समुदाय के विरोधी हों। उसने अपने आलेख का शीर्षक वाजपेयीजी के बयान से शुरू किया है… ताकि उन्हें बदनाम किया जा सके।
अपने आलेख में ‘द वायर’ ने अटलजी के हवाले से लिखा है कि मुसलमान जहां कहीं भी रहते है वे सामंजस्य के भाव से नहीं रहते हैं, वे दूसरों की भावनाओं का कद्र नहीं करते बल्कि अपने मजहब को दूसरों पर थोपने के लिए भय और आतंक का सहारा लेते हैं। इसी खातिर पूरी दुनिया इस खतरे से सावधान हो चुकी है।
अब सवाल उठता है कि क्या अटलजी ने कभी भी दुनिया के सारे मुसलमानों को इस प्रकार आतंकवादी बताया है? वाजपेयी ने अप्रैल 2002 में ही प्रेस रिलीज जारी कर उसे फेक न्यूज करार दिया था। वह प्रेस रिलीज आज भी प्रधानमंत्री कार्यालय के आर्काइब में पड़ा होगा। प्रेस रिलीज में वाजपेयी ने कहा था “जब हम अपने भाषण में कुछ लोगों की बात कहते हैं तो मेरा संदर्भ सिर्फ उन लोगों से होता है जो आतंकी इसलाम के समर्थक होते हैं न कि जन सामान्य मुसलमानों के संदर्भ में होता है।” सचाई भी यही है कि अपने भाषण में उन्होंने उन्हें ही लक्षित किया था जो आतंकी इसलाम के प्रपंच में फंस चुके हैं।
लेकिन सिद्धार्थ वरदराजन ने दूर्भावनापूर्वक वाजपेयी के भाषण को संपादित कर अपनी वेबसाइट में इसे स्थापित करने के लिए प्रकाशित किया है। ये वही सिद्धार्थ वरदराजन है जो आज फेक न्यूज पर घड़ियाली आंसू बहा रहा है। जबकि साल 2002 में वाजपेयी के भाषण को कपटपूर्वक संपादित कर झूठी खबर फैलाने में सबसे आगे था। आज भी वेबसाइट के रूप में फेक न्यूज की फैक्ट्री ही चला रहा है। साल 2002 में जैसे ही इस प्रकार फेक न्यूज फैलाने की बात वाजपेयी के कानों तक पहुंची उन्होंने तुरंत ही प्रेस रिलीज जारी कर उसकी फेक न्यूज की बखिया उधेड़ कर रख दी थी।
वाजपेयी के इतने स्पष्ट भाषण और फिर उस पर स्पष्टीकरण देने के बाद भी जानबूझ कर सिद्धार्थ वरदराजन ने उन्हें बदनाम करने के लिए उनके निधन के दिन इस प्रकार की झूठी स्टोरी प्रकाशित की है। इससे साफ जाहिर है कि वरदराजन की जो झूठी स्टोरी वाजपेयी के कारण उस समय पिट गई थी, उसे उसने उनके निधन के बाद हिट करने का प्रयास किया है। अपनी इन करतूतों से उसने पत्रकारिता को कलंकित किया है। इससे यह भी साबित होता है कि किस प्रकार वामी पत्रकार राष्ट्रीय शोक का सौदा करता है। किस प्रकार यह झूठी खबर के सहारे देश की भावनाओं से खेलता रहा है!
URL: The wire fake news about Former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee
Keywords: The Wire, Atal bihari Vajpayee, fake news