गुंडों की हिंसा से आखिर , क्यों सरकारें डरती हैं ?
इसीलिये शाहीन – बाग हैं , सड़कें जाम भी होती हैं ।
लाल किले पर भी कैसे ? अपमान तिरंगे का होता है ;
सबसे ताकतवर जो हस्ती , पीएम भी रोका जाता है ।
संसद से पारित कृषि कानूनों को, डर कर वापस लेते हैं ;
सीएए का संशोधन भी , लागू न कर पाते हैं ।
झूठे इतिहास की घातक – लानत , उसे बदल न पाते हैं ;
एक समान नागरिक संहिता , उसे नहीं ला पाते हैं ।
एक समान हो शिक्षा सबकी , इसे नहीं कर पाते हैं ;
मजहब की जो घटिया शिक्षा , सर माथे से लगाते हैं ।
जगह – जगह पर फर्जी कब्रें , कब्जा रोक न पाते हैं ;
फ्लाईओवर पर कब्र टंगी है , हटा इसे न पाते हैं ।
राष्ट्र – विरोधी जो भी शिक्षा , उस पर धन को लुटाते हैं ;
सार्वजनिक धन की बर्बादी , गुंडों पर करते रहते हैं ।
केवल वोट की बात नहीं है , ये तो खुली डकैती है ;
सरकारें डरकर दें पैसा , गुंडों की चले बकैती है ।
कितनी पुलिस फौज है इनकी ,फिर भी डर कर कांप रहे ;
जगह-जगह नरसंहार हो रहे ,पर ये तो थर-थर कांप रहे ।
बंगाल से लेकर केरल तक , कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर ;
गुंडे हिंदू को मार रहे , क्या इसका है कोई उत्तर ?
इतना गुंडों से डरते हो , फिर काहे कुर्सी से चिपके हो ?
त्यागपत्र स्वेच्छा से देकर , क्यों नहीं आश्रम में जाते हो ?
अबकी आये वीर – शिरोमणि , राष्ट्र का सच्चा – बेटा हो ;
यूपी या आसाम से आये , मां – काली का बेटा हो ।
जस का तस कानून हो लागू , गुंडों को कोई छूट नहीं ;
बंद करो सारी खैरातें , राष्ट्र की कोई लूट नहीं ।
संविधान को फौरन बदलो , सम-विधान ही लागू हो ;
रत्ती – भर न पक्षपात हो , राष्ट्रनीति ही लागू हो ।
खुली छूट अब तक गुंडों को , हर हालत में वापस हो ;
राष्ट्र की रक्षा सर्वोपरि हो , सारे घुसपैठिये बाहर हों ।
चीन -पाक की ऐसी तैसी , कब्जाए क्षेत्रों को वापस लो ;
पाकिस्तान के चार हों टुकड़े , चीन से तिब्बत वापस लो ।
अब तक खोया राष्ट्र ने जितना , सब कुछ वापस लेना है ;
एकमात्र है धर्म – सनातन , हिंदू – राष्ट्र बनाना है ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता;ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”