दयानन्द पांडेय। शमशेर बहादुर सिंह ने लिखा है : बात बोलेगी, हम नहीं। भेद खोलेगी बात ही। तो बात बोल गई है। साल भर की दिन-रात की मेहनत और तपस्या अंतत : आप आदरणीय मित्रों के स्नेह-सहयोग से पूरी हुई। भागीरथ प्रयास ही था इस कथा-गंगा को बहाने का। आदि से ले कर अब तक की लखनऊ की कहानियों को खोजना , छांटना , आसान नहीं था। पर इतने सारे मित्रों ने सब संभव बना दिया। मैं तो बस गिलहरी हूं।
मेरे ब्लाग सरोकारनामा ने मेरे हर गाढ़े वक़्त में मेरा सिर ऊंचा किया है। हर लड़ाई में हथियार बना है। मेरा कुंडल और कवच बना है। बड़े-बड़ों का घमंड तोड़ा है। आज फिर सीना तान कर , सिर ऊंचा कर खड़ा हूं तो अपने सरोकारनामा के कारण। एक छलिया प्रकाशक के छल-छंद , झूठ , झांसा , चार सौ बीसीऔर कपट को चकनाचूर करते हुए उस के भ्रम और अहंकार को तोड़ते हुए आज कथा-लखनऊ के 15 खंड सरोकारनामा पर जारी कर रहा हूं।
173 कहानियों वाले कथा-लखनऊ में कवर के लिए पेंटिंग मदनलाल नागर और अवधेश मिश्र की हैं। लखनऊ की कुछ फोटो सुप्रसिद्ध फ़ोटोग्राफ़र रवि कपूर की हैं। सारे कवर प्रवीन कुमार ने बनाए हैं। कृपया देखें , पढ़ें और बताएं कि क्या कुछ कमियां रह गई हैं। आप कमियां बताएंगे तो उसे दुरुस्त कर दूंगा। बस दो-चार दिन में कथा-गोरखपुर के भी सभी खंड का आप आस्वाद ले सकेंगे। कथा-लखनऊ और कथा-गोरखपुर को प्रिंटेड पुस्तक के रुप में भी आप बहुत जल्दी ही पढ़ सकेंगे। लेखकीय सम्मान और स्वाभिमान के तहत फ़िलहाल कथा-लखनऊ के सभी पंद्रह खंड वाले क्रमश : सारे लिंक यहां प्रस्तुत हैं :
1 – https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/1.html
2 –https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/2.html
3 –https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/3.html
4 –https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/4.html
5 –https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/5.html
6 –https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/6.html
7 –https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/7.html
8 –https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/8.html
9 –https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/9.html
10- https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/10.html
11 –https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/11.html
12 –https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/12.html
13 –https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/13.html
14 –https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/14.html
15 –https://sarokarnama.blogspot.com/2022/04/15.html
सर्वदा साथ देने के लिए आप सभी मित्रों का बहुत-बहुत आभार। कहानियां खोजने में मदद करने से ले कर टाइप करने तक में मित्रों ने जान लड़ा दी है। कुछ ऐसे मित्र भी इस कथा-लखनऊ में सहयात्री बन गए जो बीते 7 अप्रैल की पोस्ट पढ़ कर साथ आ गए। लेखक नहीं थे पर प्राण-प्रण से लग गए कथा-लखनऊ को तैयार करवाने में। आप सभी मित्रों के प्रति कृतज्ञ हूं।