जैसा कि कल बता दिया गया था कि बॉलीवुड के चर्चित चेहरों पर सख्त कार्रवाई करने की क्षमता केंद्रीय जाँच एजेंसी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में नहीं है। शुक्रवार को फिल्म निर्माता करण जौहर ने एनसीबी कार्यालय में अपना जवाब एक पेनड्राइव के साथ भेज दिया।
एनसीबी की ओर से करण जौहर को एनडीपीएस एक्ट के तहत नोटिस जारी किया गया था। एनसीबी ने बॉलीवुड के सामने और ज़्यादा झुकते हुए जौहर को व्यक्तिगत रुप से पेश होने की अनिवार्यता नहीं जताई। ऐसा भारत में ही हो सकता है। एक हाई प्रोफाइल केस में एनसीबी ने एक संदिग्ध को कार्यालय तक बुलाने की आवश्यकता महसूस नहीं की।
एनसीबी के पिछले छह माह के रिकॉर्ड को देखा जाए तो समझ सकते हैं कि करण जौहर के घर रेव पार्टी वाला मामला अब ख़त्म हो चुका है। अकाली दल नेता मनिंदर जीत सिंह सिरसा की शिकायत को छह माह तक झुलाने के बाद नारकोटिक्स ने उनको अंगूठा दिखा दिया है। अब तो इस बात पर आश्चर्य भी नहीं होता कि केंद्र में बैठी अत्यंत लोकप्रिय सरकार ये सब होने दे रही है।
सुशांत केस और बॉलीवुड में ड्रग्स के मामले सामने आने के बाद दो बातें देश के सामने कांच की तरह साफ़ हो चुकी है। एक तो बॉलीवुड एक अत्यंत शक्तिशाली संस्था है, जिस पर हाथ डालने का साहस एनसीबी जैसी निष्क्रिय और शक्तिहीन संस्था के बस की बात नहीं है। और दूसरी ये कि बॉलीवुड की राजनेताओं में शानदार घुसपैठ है।
सुशांत केस में देश ने देखा कि बॉलीवुड ने कैसे अपने राजनीतिक संपर्कों का लाभ लेकर विरोधियों को चित कर दिया। ये क्या कम आश्चर्यजनक है कि सुशांत केस में बेल पर रिहा हुई रिया चक्रवर्ती सुशांत की बहनों पर एफआईआर करवा देती है। इस केस की रिपोर्टिंग करने के लिए पत्रकारों और उस चैनल के सीईओ को जेल में ले जाकर बेल्ट से पीटा जाता है।
भारत में रसूख का असर रूपये से अधिक होता है। ये हम मुंबई में साक्षात देख चुके हैं। एनसीबी तो मुंबई में इतनी निरीह अवस्था में है कि उसके चीफ को गली में ड्रग्स बेचने वाला पीटकर चला जाता है और चीफ साहब कुछ नहीं कर पाते। भारत के इतिहास में संभवतः ये पहली बार है कि केंद्रीय जाँच एजेंसियां एक राज्य में भीगी बिल्लियां बनाकर रख दी गई हैं।
एनसीबी ने जब अपने दो अधिकारियों को भारती सिंह की जमानत में मदद करने के लिए निलंबित किया, तब पता चला कि ये एजेंसी तो स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त है। देश की सशक्त मांग है कि बॉलीवुड में ड्रग्स का संपूर्ण सफाया होना चाहिए। इसके लिए भले ही बॉलीवुड नामक संस्था का अस्तित्व न रहे लेकिन कला और संस्कृति के साथ ड्रग्स का गठजोड़ भविष्य के लिए बहुत घातक होगा।
ये हम अच्छे से देख पा रहे हैं कि सुशांत केस में बॉलीवुड के लोगों का नाम आने के बाद हिन्दू संस्कृति और सेना की छवि ख़राब करने वाली फिल्मों का पूरा जखीरा आ रहा है। बॉलीवुड अब देश, धर्म और संस्कृति पर गंदे और घिनौने प्रहार करने जा रहा है। सोए दर्शकों को बता दूँ कि इस प्रतिशोध की शुरुआत हो चुकी है।
वे अब आपके पौराणिक नायकों तक पहुँच चुके हैं। मैं लगातार इस मंच से आपको इस दिशा में जागरूक कर रहा हूँ। मैं इस दिशा में लगातार सरकार को चेता रहा हूँ कि वे उनके ऊपर हुई कार्रवाई का बदला देश और धर्म की छवि खराब करके लेंगे। वे जानते हैं कि आपकी कमज़ोर नस क्या है।
ये एक किस्म की ब्लैकमेलिंग है। ब्लैकमैलिंग इसलिए कि आपने उनके नशे के छत्ते पर हाथ डालने की हिमाकत की है। छत्ते को सिर्फ छूने भर से वे आपके अस्तित्व पर प्रहार करने निकल पड़े हैं। और एक आप हैं। ये पढ़कर शाम तक भूल जाने वाले हैं।
सही बात है