2020 के उत्तर पूर्व दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और पांच अन्य के खिलाफ दंगा और हत्या प्रयास के आरोप तय करने का आदेश दिया गया है। दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने कहा कि सभी आरोपी हिंदुओं को निशाना बनाने में लिप्त थे और उनके कृत्य परोक्ष तौर पर मुसलमानों और हिंदुओं के बीच सौहार्द के लिए प्रतिकूल थे। इस बारे में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने ताहिर हुसैन के अलावा, तनवीर मलिक, गुलफाम, नाज़िम, कासिम और शाह आलम के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया।
अदालत ने यह आदेश अजय झा नाम के एक व्यक्ति द्वारा दर्ज कराये गए एक मामले की सुनवाई करते हुए दिया, जिस पर 25 फरवरी, 2020 को चांद बाग के पास एक भीड़ द्वारा कथित रूप से गोली चलायी गई थी और वह जख्मी हुआ था। न्यायाधीश ने आदेश में कहा,मुझे लगता है कि सभी आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, धारा 147, 148, 153 ए और 302 के तहत दंडनीय अपराधों के तहत मामला चलाया जाना चाहिए और उन्होंने सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 149 और 307 के तहत आरोप तय करने का भी आदेश दिया।
जज का कहना था कि आईपीसी की धारा 147, 148, 307 के साथ 120बी और 149 के तहत दंडनीय अपराधों और आईपीसी की धारा 153 ए के साथ ही 120 बी और 149 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए भी मुकदमा चलाने के लिए उत्तरदायी पाया गया है। इस दौरान विशेष लोक अभियोजक मधुकर पांडे ने स्पष्ट किया कि मूल अपराध हत्या के प्रयास के आरोप के लिए तय किया गया। चूंकि साजिश हत्या की थी, इसलिए आपराधिक साजिश और हत्या प्रयास और अन्य आरोप तय किए गए।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि गुलफाम और तनवीर के खिलाफ हथियार कानून के तहत मुकदमा चलाये जाने योग्य है जबकि अदालत ने कहा, विभिन्न गवाहों के बयानों से यह पता चलता है कि सभी आरोपी उस भीड़ का हिस्सा थे जो हिंदुओं और हिंदुओं के घरों पर लगातार गोलियां चलाने, पथराव और पेट्रोल बम चलाने में शामिल थी। इस दौरान विशेष अभियोजक मधुकर पांडे ने कहा, भीड़ के इन कृत्यों से यह स्पष्ट होता है कि उनका उद्देश्य हिंदुओं को उनके शरीर पर और संपत्ति में अधिकतम संभव सीमा तक नुकसान पहुंचाना था ।
इस पर अदालत ने कहा कि गवाहों के बयानों ने यह भी स्पष्ट हुआ कि भीड़ द्वारा अंधाधुंध और निशाना लगाकर गोलीबारी में शिकायतकर्ता सहित कई लोग गोली लगने से घायल हो गए। मामले में एक पहचान परेड की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि गवाह आरोपी को जानते हैं और वीडियो नहीं होना और वास्तविक हथियार की गैर-बरामदगी, अभियोजन पक्ष के मामले को अविश्वसनीय नहीं बनाती जबकि अदालत ने कहा,सभी आरोपियों के खिलाफ दंगा करने और हिंदुओं की हत्या और हिंदुओं की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की आपराधिक साजिश रचने को लेकर मुकदमा चलाने का मामला बनता है, न्यायाधीश ने हालांकि, उन्हें आईपीसी की धारा 436 और 505 के तहत अपराधों से मुक्त कर दिया।
इस बारे में दयालपुर थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मजिस्ट्रेट अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था और जनवरी 2021 में मामला सत्र अदालत को सौंपा गया था। इसके बाद अक्टूबर 2021 में एक पूरक आरोपपत्र अदालत में दाखिल किया गया था। इस बीच, इसी तरह के एक मामले में जिसमें प्रिंस बंसल नाम का एक अन्य व्यक्ति उसी समय और स्थान पर गोली लगने से घायल हो गया था, अदालत ने कहा कि आपराधिक साजिश और अपराधों से संबंधित कृत्यों के लिए पहले ही आरोप तय किए जा चुके हैं।