मेघालय में हिंदू न सिर्फ अल्पसंख्यक हो चुके हैं, बल्कि उन पर वहां जुल्म भी बहुत हो रहा है। उनसे उनके अंतिम संस्कार तक का अधिकार छीन लिया गया है, महिलाओं के साथ नृशंस व्यवहार हो रहा है, आए दिन हिंदुओं पर गोलाबारी होती रहती है और यह सब चर्च और मिशनरी करवा रही हैं।
वहां रेल लाइन का विरोध होता है ताकि मेघालय में बाहर से लोग न जा सकें। वह शेष भारत से कटा रहे। भारत के अंदर वह एक अलग देश बन चुका है, जिसकी रिपोर्टिंग चर्च वेटिकन को करती है।
इसके बावजूद भारत के अन्य हिस्से के हिंदुओं को मेघालय के हिंदुओं की दुर्दशा के बारे में कोई खबर नहीं है! मीडिया और सरकार भी पूर्वोत्तर में चल रहे इस संहार पर अधिकांशतः चुप्पी साधे रहती है, फिर देश के लोगों को पता कैसे चले?
मेघालय सहित पूर्वोत्तर के हिंदुओं की दुर्दशा को जानने-समझने और आवाज उठाने के लिए डॉ शैलेंद्र कुमार की पुस्तक ‘ईशावाद’ हिंदी में एक मात्र पुस्तक है, जो डिटेल में इस समस्या को समझाती और इसका समाधान सुझाती है।
हिंदुओं से अनुरोध है कि पूर्वोत्तर की समस्या को समझ कर वो आवाज़ उठाएं, अन्यथा भविष्य में आपके सनातन धर्म का वहां कोई नाम लेवा भी नहीं बचेगा।
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