विपुल रेगे। भारत के विभिन्न चैनलों पर चलने वाले रियलिटी शो फिर से विवादों में है। ख्यात गायक अमित कुमार ने कुछ दिन पहले कहा कि इंडियन आइडियल के एक शो में उन्होंने पैसा लेकर प्रतियोगियों की प्रशंसा की थी। दिल का ये बोझ अमित अधिक समय नहीं सह सके और उन्होंने मीडिया के सामने ये रहस्य खोल दिया। अमित कुमार के खुलासे के बाद बॉलीवुड के गायकों और संगीतकारों के बीच नया युद्ध शुरु हो गया है। अमित कुमार ने इस महंगे रेड कारपेट के नीचे की गंदगी निकालकर दिखा दी है।
सोनी पर प्रसारित होने वाले इंडियन आइडियल 12 के एक शो में अमित कुमार को बुलाया गया था। शो में बच्चों ने अमित कुमार के पिता गायक किशोर कुमार के गीतों की प्रस्तुति दी थी। उस समय तो अमित कुमार बच्चों की प्रशंसा करके आ गए लेकिन बाद में उन्होंने बताया कि बच्चे उनके पिता के गीत ठीक से नहीं गा पा रहे थे। उनका कहना था कि वह शो में मुख्य अतिथि केवल पैसों के लिए बनकर गए थे।
अमित कुमार के खुलासे के बाद उनके विरुद्ध कई स्वर उठने लगे। आदित्य नारायण, मनोज मुन्तशिर ने सीधा अमित कुमार पर हमला बोल दिया। अमित कुमार के समर्थन में सोनू निगम आए और मामले को सँभालने का प्रयास किया। हालांकि अब जिन्न बोतल से बाहर आ चुका है। रियलिटी शोज में अब प्रतिभा प्रदर्शन की जगह इस तरह के प्रचार स्टंट ने ले ली है।
एपिसोड को कैसे सनसनीखेज बनाया जाए, अब ध्यान इस पर रहता है। भारत में रियलिटी शो का आगमन नब्बे के दशक में ही हो चुका था। 1992 में ज़ी टीवी पर ‘बॉर्नविटा क्विज कांटेस्ट’ से इसकी शुरुआत हो चुकी थी। इसके बाद अन्नू कपूर का ‘अंताक्षरी’ आया तो भारतीय दर्शकों ने मनोरंजन के इस स्वरुप का दिल खोलकर स्वागत किया। ये वह दौर था जब इस तरह के कार्यक्रम पब्लिसिटी स्टंट से पूर्णतः मुक्त थे।
सन 1995 में ज़ी टीवी पर ही ‘सारेगामा’ शुरु हुआ था, तब तक मंच पर जजेस का रोना-धोना शुरु नहीं हुआ था। सन 2000 आते-आते ये कार्यक्रम दूषित हो गए। अब इन कार्यक्रमों में स्क्रिप्टेड नौटंकी चलने लगी थी। स्क्रिप्टेड नौटंकी करने में ‘इंडियन आइडल और कौन बनेगा करोड़पति’ सबसे आगे रहे। या ये कहना चाहिए कि इन प्रतियोगी कार्यक्रमों में झूठ फैलाने का काम इन्ही कार्यक्रमों ने शुरु किया था।
इंडस्ट्री के कुछ लोगों का कहना है कि अमित कुमार प्रचार पाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। जो गायक अपना स्वर्णकाल कई वर्षों पहले जी चुका हो, उसे ऐसे प्रचार की भला क्या आवश्यकता होनी चाहिए। अमित कुमार ही नहीं गायिका सुनिधि चौहान भी ऐसे ही आरोप लगा रही हैं। जब सुनिधि इंडियन आइडल के पांचवे और छठे सीजन में जज की भूमिका में थी, तब उन्हें भी गायकों की झूठी तारीफ करने के लिए कहा गया था।
इस झूठ के कारण अब सुनिधि किसी कार्यक्रम में जज बनकर नहीं जाती। जिस तरह का झूठ इन कार्यक्रमों में फैलाया जाता है, उसके कारण बच्चों के मानसिक विकास पर बुरा असर पड़ रहा है। कम प्रतिभाशाली इसलिए चुना जा रहा है क्योंकि वह गरीब घर से है या एक विशेष धर्म का प्रतिनिधित्व करता है। जो बच्चे इन कार्यक्रमों से प्रताड़ित हुए, वे कभी गायन की दुनिया में वापसी नहीं कर सके थे।
ये भी सुना गया कि एक किशोर इस तरह के भेदभाव से इतना पीड़ित हुआ कि वह ड्रग्स का आदी हो गया। नब्बे के दशक में ये कार्यक्रम इसलिए लाए गए थे कि देश की बाल और युवा प्रतिभाओं को एक सशक्त मंच मिले और वे फिल्म इंडस्ट्री में चप्पलें न घिसे।
हालांकि समय के साथ-साथ यहाँ सब मैनेज होता चला गया। अब तो पूरे कार्यक्रम ही स्क्रिप्टेड हैं। इनमे स्पान्टेनियस कुछ भी नहीं है। हम और आप ऐसा स्क्रिप्टेड झूठ देख रहे हैं, जो हमें मनोरंजन का भ्रम देता है और साथ ही जाने कितने प्रतिभाशाली युवाओं के हुनर की लाशें इस स्क्रिप्ट में दबी होती है।