रामेश्वर मिश्रा पंकज। डॉ भीमराव आंबेडकर कुल65 वर्ष 7 माह 23 दिन जीवित रहे। उसमे से 65 वर्ष 6 माह वे सनातन धर्म के अनुयायी रहे। कुल1 माह 23 दिन वे बौद्ध रहे। बौद्ध रहते हुए उन्होंने 5 लाख लोगों को बौध्द बनाया और काठमांडू जाकर अमेरिकी प्रेरणा से संचालित World Buddhist conference. में भाग लिया। उन्हें भगवान बुद्ध के त्रिरत्न एवं पांच शील से संतोष नहीं हुआ और 22 सनातन धर्म विरोधी प्रतिज्ञाएं कल्पित कर प्रचारित कीं। अतः वे नए पंथ के प्रवर्तक 1माह23 दिन रहे जिसे बौद्ध कहना भगवान बुद्ध का अपमान करना है।
वह नव अम्बेडकर पंथ है।बौद्ध धर्म कदापि नहीं।बौद्ध धर्म उन्हें अपर्याप्त लगा ।उस आवरण में अपनी22 प्रतिज्ञाएं प्रचारित कीं। संविधान लिखते समय वे सनातनी हिन्दू थे। राज्यसभा के सांसद वे हिन्दू होते हुए बने थे। भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री वे हिन्दू के रूप में बने थे। वॉयसराय की कार्यकारिणी समिति केश्रम मन्त्री वे हिन्दू होते हुए ही थे।
मुम्बई विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता भी11 वर्ष वे हिन्दू होते हुए ही रहे। इनमें से कोई कार्य बौद्ध होकर नहीं किया। जो लोग उनके बौद्ध रूप के समर्थक हैं, उन्हें उनको संविधान निर्माता आदि कहने का अधिकार नहीं है।क्योंकि ये सब तो हिन्दू अम्बेडकर ने किए थे।बौद्ध अम्बेडकर ने नहीं ।
( आदरणीय श्री रामेश्वर मिश्र पंकज जी की वाल से …)
संविधान लिखते समय
वे सनातनी हिन्दू थे।
-Rameshwar Mishra Pankaj