लोकतंत्र की ताकत नोटा , हिंदू अपनी शक्ति बनाओ ;
जितने भी हिंदू – द्रोही हैं , उन सबको ही धूल चटाओ ।
देखो एक भी हिंदू – द्रोही , इस संसद में पहुंच न पाये ;
किसी भी दल का या निर्दलीय हो , केवल हिंदूवादी जाये ।
वर्तमान जितने भी दल हैं , सारे हिंदू – द्रोही हैं ;
तथाकथित हिंदूवादी दल , हिंदू का विद्रोही है ।
इस कारण मंदिर तुड़वाते , गलियारा बनवाते हैं ;
क्या बंगाल है ? क्या कश्मीर हैं ? कितने हिंदू मरवाते हैं ?
अब तो पूरा देश ही ऐसा , जगह-जगह हिंदू – हत्या है ;
टुकुर-टुकुर कर केंद्र देखता , ये उसकी आत्महत्या है ।
नोटा है हथियार भयंकर , हर हिंदू को चलाना है ;
केवल कट्टर – हिंदूवादी , ऐसा प्रत्याशी जिताना है ।
यदि कहीं नहीं ऐसा प्रत्याशी , हर हाल में नोटा करना है ;
कोई हिंदू घर न बैठना , नोटा करने जाना है ।
जहाँ ये नोटा सबसे ज्यादा , रद्द चुनाव हो जाना है ;
जो प्रत्याशी वहां लड़ रहे , छः बरस अयोग्य हो जाना है ।
चाहे सारे चुनाव रद्द हो़ , बिल्कुल मत चिंता करना है ;
इक्का-दुक्का जितने जीते , राष्ट्रीय-सरकार को बनना है ।
मिली जुली सरकार बनेगी , पर सारे होंगे हिंदू-वादी ;
एक शेर ही हमें चाहिये , व्यर्थ है कुत्तों की आबादी ।
अंतिम हथियार यही हिंदू का , हर कीमत पर इसे चलाना ;
वामी , कामी , जिम्मी , सेक्युलर, जेहादी न आने देना ।
केवल एक परिस्थिति ऐसी , जिसमें नोटा न करना ;
जम्मू में “इकजुट-जम्मू” है , “इकजुट-भारत” इसे बनाना ।
“इकजुटजम्मू” का आवाहन “इकजुटहिंदू” “इकजुट भारत”;
तत्परता हर-हिंदू दिखलाये व ले आये “इकजुट-भारत” ।
घर-घर में इसकी शाखायें , सारे – हिंदू इसमें आयें ;
एकमात्र हिंदू-वादी दल , इसकी ही सरकार बनायें ।
भारत का सौभाग्य उदय हो , सारे – हिंदू आगे आयें ;
स्वर्णिम-युग वापस आयेगा , देश को हिंदू-राष्ट्र बनायें ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”