अनुपम खेर ने एक वार्ता के दौरान कहा ‘मुझे उम्मीद है कि ये फिल्म रिलीज होने के बाद मनमोहन सिंह मुझे कॉल करेंगे और कहेंगे वाह बेटा अनुपम, तूने क्या काम किया है। चल साथ बैठकर चाय पीते हैं। जनवरी के ग्यारहवें दिन प्रदर्शित होने जा रही ‘ द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ देश के पूर्व प्रधानमंत्री को धवल हंस की तरह पेश करेगी। दुनिया जानेगी कि मनमोहन परिवार के फैलाए दलदल में धंसे जा रहे थे। और ये भी जानेगी कि दलदल में फंसता हंस फड़फड़ाया था लेकिन उस पर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया।
विजय रत्नाकर गुट्टे को कितने लोग जानते हैं। विजय इस फिल्म के निर्देशक हैं या ये कहना उचित होगा, ‘डमी’ निर्देशक हैं। सन 2010 में ‘इमोशनल अत्याचार’ और सन 2015 में ‘बदमाशियां’ जैसी फिल्म बनाने वाला निर्देशक ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ का एक शॉट भी नहीं बना सकता। ऐसी प्रखर फिल्म बनाने के लिए जो स्तर चाहिए, वह विजय गुट्टे में नहीं है। अनुपम खेर की ‘रचनात्मक दखलअंदाज़ी’ से इंकार नहीं किया जा सकता। बहरहाल डमी निर्देशक सुर्ख़ियों में भी नहीं हैं।
अनुपम खेर को इस किरदार के लिए अपने भीतर बदलाव करना पड़ा। महीनों की तैयारी के बाद वे शूट के लिए तैयार हो सके। ध्यान रहे उन्हें ऐसा अभिनय करना था, जो ‘अभिनय’ ही ना लगे। ऐसा स्वाभाविक अभिनय बिरले ही कर पाते हैं। अनुपम की माँ दुलारी खेर का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वे प्रोमो में अपने बेटे को नहीं पहचान सकीं। ऐसा ही अन्य लोगों को भी लग रहा है। कैसे उन्होंने मनमोहन के व्यक्तित्व को आत्मसात कर लिया है।
संजय बारू की किताब जब तक पढ़ी जा रही थी, तब तक हंगामा न था लेकिन जैसे ही वह बोलने लगी मुश्किल हो गई। द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर संजय बारू की बोलती किताब है, जिसकी एक झलक ने ही हंगामा बरपा दिया है। संजय बारू मई 2004 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार नियुक्त हुए। वह इस पद पर अगस्त 2008 तक रहे। इस बीच प्रधानमंत्री जिन मुद्दों से रूबरू हुए, वे सभी फिल्म में दिखाई देते हैं। जैसे कश्मीर मुद्दा, परमाणु समझौता।
11 जनवरी को जब ये फिल्म प्रदर्शित होगी तो आसमान नहीं फटेगा बल्कि वह जमीन पर आ गिरेगा। नियति कैसे खेल खेलती है। एक ओर फिल्म का प्रदर्शन तय हुआ और दूसरी ओर एक भगोड़ा जेल में ‘परिवार’ की पोल खोल रहा है। ये फिल्म निःसंदेह अनुपम खेर के निष्णात अभिनय के लिए जानी जाएगी। एक फिल्म समीक्षक के रूप में एक बात अवश्य कह सकता हूँ कि अनुपम खेर अविस्मरणीय अभिनय के जीवित हस्ताक्षर बन चुके हैं। ये फिल्म उनके अर्जित किये ‘माइल स्टोन्स’ में सर्वाधिक चमकीला ‘माइल स्टोन’ होगा।
फिल्म के वे संवाद, जिनके कारण ‘परिवार खेमा’ तिलमिला गया है
– ‘मुझे तो डॉक्टर साहब भीष्म जैसे लगते हैं, जिनमे कोई बुराई नहीं है। पर फैमिली ड्रामा के विक्टिमो में महाभारत में दो फ़ैमलीज थीं। इंडिया में तो एक ही है। सौ करोड़ की आबादी वाले देश को ये गिने चुने लोग चलाते हैं। ये देश की कहानी लिखते हैं और मैं उनकी कहानी लिखता हूँ।’
– ‘मैं पीएम के लिए काम करता हूँ, पार्टी के लिए नहीं’
‘लेकिन पीएम तो पार्टी के लिए काम करते हैं ‘बारू”
-‘सर ये जीत आपकी जीत है, ये पीएमओ आपका टर्फ है।’
– ‘मेरे लिए देश पहले हैं, मैं रिजाइन करना चाहता हूँ।’
‘एक के बाद दूसरा करप्शन स्केम, ऐसे में राहुल टेकओवर कैसे कर सकता है।’
URL: The Accidental Prime Minister’ delves into the internal politics of the Congress party
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