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India Speaks Daily > Blog > Blog > नारी जगत > टूटते विवाह के लिए एकपक्षीय विमर्श चलाने वाले या वालियां दूसरा पक्ष सामने रखने पर आपको ही एकतरफा कह देते हैं, आश्चर्य है!
नारी जगत

टूटते विवाह के लिए एकपक्षीय विमर्श चलाने वाले या वालियां दूसरा पक्ष सामने रखने पर आपको ही एकतरफा कह देते हैं, आश्चर्य है!

ISD News Network
Last updated: 2022/05/11 at 1:12 PM
By ISD News Network 41 Views 6 Min Read
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श्वेतादेव । ससुराल में बेटियों को सताए जाने के विरोध में समाज और राज्य दोनों हैं। बेटियों के प्रोटेक्शन के लिए दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा जैसा कानून बना। उत्पीड़क पुरुष और परिवार को सजा मिलती है। समाज से भी ऐसे परिवार को बहिष्कृत करने की परिपाटी चली है। बेटियों को सुरक्षित रखने की दिशा में यह एक सराहनीय कदम साबित हुआ है।

लेकिन इन कानूनों का दुरुपयोग भी बढ़ा है। इन कानूनों का भय दिखाकर बेटियों का मायका जो बेटियों का घर तुड़वा रहा है, उस पर कुछ लोग विमर्श भी नहीं करना चाहते, सच्चाई स्वीकारना तो बहुत दूर की बात है! विवाहित पुरुषों की आत्महत्याएं, मां-पिता से बेटों को दूर करना, अपने ही नन्हें बच्चे को उसके पिता से छीन लेना, अदालतों के चक्कर, झूठे केस में पति के परिवार को जेल पहुंचवाना आदि की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। परिवार टूट रहे हैं। परंतु इस क्रूरता पर कोई बात भी नहीं करना चाहता!

टूटते विवाह के लिए एकपक्षीय विमर्श चलाने वाले या वालियां दूसरा पक्ष सामने रखने पर आपको ही एकतरफा कह देते हैं, आश्चर्य है! मुझे प्रसन्नता है कि मैंने कल से इस पर विमर्श आरंभ किया है, और इसमें महिलाओं को जोड़ते हुए इसे और आगे बढ़ाऊंगा। इसमें जिन पुरुष और महिलाओं का साथ मिला, उन सबका धन्यवाद। सबसे बड़ा साथ मुझे मेरी अर्धांगिनी श्वेता देव का मिला।

कल मेरे पोस्ट पर किसी महिला के अमर्यादित टिप्पणी पर उन्होंने जो टिप्पणी की, उसे मैं नीचे अक्षरशः पेस्ट कर रहा हूं। धन्यवाद Shweta Deo इस विमर्श में सकारात्मक तरीके से सहभागिता के लिए…

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श्वेता ने कम उम्र में मुझसे प्रेम विवाह कर बहुत कुछ भुगता है, लेकिन उसने धैर्य से परिवार को जोड़ा है, तोड़ा नहीं। आज मेरा परिवार एक संयुक्त परिवार है। वह बेटी भी है और बहु भी और दोनों भूमिकाओं को उसने जितना निभाया है, आज की कोई लड़की शायद ही निभा पाए। इसलिए उसकी टिप्पणी में सच्चाई और गहराई, दोनों है…

श्वेता की टिप्पणी:-

मैं इस पोस्ट पर बहुत सारी महिलाओं के कमेंट देख रही हूं बौखलाहट भरे। यहां तक कह दिया कि खुद की बेटी नहीं है इसीलिए, नहीं मैडम ऐसा नहीं है। बेटियों का संसार बसा रहे, सुख और दुख दोनों का सामना अपने बूते कर सके इसीलिए यह पोस्ट लिखी गई है।
काफी शोध भी किया गया है। बेटी नहीं है, लेकिन मैं तो खुद एक बेटी ही हूं।

बेटियां अपना घर छोड़ कर आती हैं नया संसार बसाने। नये घर में जरूरी नहीं कि सब अच्छा अच्छा ही मिले। विपरीत परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में मायका सहारा बन कर खड़ा रहे तो बेहतर है। लेकिन गलत शिक्षा देकर कभी पति से तो कभी परिवार से अलग करवा देते हैं मायके वाले। फिर परिवार कैसे बनेगा?

वनवास राम को मिला था सीता को नहीं, लेकिन वो गई पति के साथ। आधिकारों का युद्ध छेड़ती तो आज इतनी पूजनीय नहीं होती। क्या देवी कुंती के पास मायका नहीं था? क्या पति के जाने के बाद वो मायके नहीं जा सकती थी? लेकिन उन्होंने अपने पांच पुत्रों के साथ जेठ जेठानी से भी रिश्ता रखा। तो उनके पास हमेशा परिवार रहा‌।

लेकिन गांधारी ने अपने पुत्रों को अपने भाई के भरोसे छोड़ा और उनका सर्वनाश हो गया। अंत समय में कोई परिवार नहीं बचा गांधारी के पास। कैकेई ने अपने मायके से लाई दाई को अपने संसार में दखल करने दिया और खुद को अपने इकलौते पुत्र के नजर में गिरा बैठी। इतिहास हमें सिखाता है लेकिन हम सीखना नहीं चाहते हैं। अपने बच्चों के लिए जीवनसाथी सोच समझ कर चुनिए और समस्याओं को आपस में सुलझाने दीजिए।

घर और परिवार बनाने के लिए बहुत धैर्य की आवश्यकता होती है। लेकिन मायके वालों की दखलअंदाजी बच्चियों में वो धैर्य आने ही नहीं देती है। मैं बिलकुल नहीं कह रही हूं कि बेटों की मां बहुत अच्छी होती है। कुछ तो नौकरानी से ज्यादा और कुछ समझती नहीं अपने पुत्रवधू को, लेकिन इसके लिए बहुत कानून है।

बच्चियां शिकायत कर सकती हैं। उन्हें सताया जा रहा है तो केस कर सकती है। लेकिन बच्चे? उनके लिए कोई कानून नहीं है। दहेज हत्या के लिए हमने आवाज उठाई, महिला उत्पीड़न के लिए आवाज उठाई और सबके लिए कानून भी बना। लेकिन आज पुरूषों के शोषण पर एक पोस्ट आई तो इतनी बौखलाहट?

मैंने देखा है आस पास कई ऐसे पुरूषों को जो अपने छोटे बच्चे से भी नहीं मिल सकते हैं, क्योंकि पत्नी मायके जा कर बैठी है और विवाह तोड़ना चाहती है। किसी मां से उसका बच्चा छीना जाए तो पूरा समाज उसके साथ होगा और कानून भी। तो क्या पिता का कोई अधिकार नहीं है? थोड़ा इस पर विचार कीजिए देवियों! सिर्फ पुत्री ही नहीं, पुत्र भी है आपके पास। आंख मूंद लेने से सत्य नहीं बदला करता।

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TAGGED: broken marriage, marriage, shweta deo, श्वेतादेव
ISD News Network May 11, 2022
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