एक बार सलमान खान इन्दौर में एक प्रमोशनल क्रिकेट मैच खेलने आए। सलमान के नाम से नेहरू स्टेडियम में बहुत भीड़ इकट्ठा हो गई। इतनी भीड़ देखते हुए सलमान को स्टेडियम के पीछे के गेट से अंदर ले जाया जा रहा था। गेट की सीढ़ियों के पास सलमान का एक प्रशंसक अचानक कहीं से कूद पड़ा। सलमान ने आव देखा न ताव, उस मरियल से लड़के को उठाकर नीचे पटक दिया। दूसरे दिन जब एक कार सलमान को छोड़ने एयरपोर्ट जा रही थी तो वे बकार्डी के नशे में धुत इन्दौर वालों को अश्लील गालियां दे रहे थे। इतना क्रोध इसलिए था क्योंकि उनकी कलाई में हमेशा लटका रहने वाला नीला ब्रेसलेट उस लड़के को उठाकर फेंकने में टूट गया था। सलमान खान के दिमाग में क्या चलता है और वे इस देश के नागरिकों को, अपने प्रशंसकों के साथ राजा-प्रजा वाला व्यवहार क्यों करते हैं।
सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के बाद सलमान के वे गड़े मुर्दे उखाड़े जाने लगे हैं, जिनके कारण भाई की इमेज पर बहुत फर्क पड़ रहा है। सन 2013 में सलमान खान ने शायद बकार्डी की सनक में ट्विटर पर लिख दिया था ‘बदतमीज़ी का कोई रोल नहीं है यहाँ, मैं ट्विटर में घुसकर भी चमाट मार सकता हूँ। चूँकि ट्वीट बहुत पुराना है लेकिन सुशांत प्रकरण के चलते फिर से निकाल लिया गया है।
अब उस सात साल पुराने ट्वीट पर लोग अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। सलमान खान के गुस्से से पूरा देश परिचित है। इस सुपरस्टार की सहनशक्ति उसके नीले रंग के ब्रेसलेट की तरह ही कमज़ोर है, फौरन टूट जाती है। जबसे सलमान ने सितारा दर्जा प्राप्त किया है, विवाद उनके पीछे चलते रहे हैं।
एक सवाल सलमान से पूछा जाना चाहिए कि यदि वे सलीम खान के बेटे ने होते तो क्या उनको फिल्मों में मौके आसानी से मिल सकते थे। शुरूआती दौर में सलमान एक औसत अभिनेता थे। उनके चेहरे पर भाव मुश्किल से आते थे। वह तो उनके भाग्य में सूरज बड़जात्या जैसा होनहार निर्देशक आ गया, नहीं तो कुछ ही साल में वे यहाँ से आउट कर दिए जाते।
बाद के साल में जब दस बारह फ्लॉप देने के बाद उन्हें प्रभु देवा की ‘वांटेड’ मिली तो उसके बाद उनके अभिनय और कॅरियर में थोड़ा सुधार आया, सुधार इतना भी नहीं था कि उनके बाद आए राजकुमार राव, नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे स्वाभाविक कलाकारों से उनका अभिनय अच्छा हो गया हो।
‘वांटेड’ के बाद उनकी अधिकांश सुपरहिट फिल्मों पर निगाह डाले तो पाएंगे कि उनके कॅरियर की दूसरी पारी दक्षिण भारतीय फिल्मों के रीमेक के भरोसे चलती रही। वे क्या आमिर खान और शाहरुख़ खान की गाड़ी भी दक्षिण भारतीय फिल्मों की कृपा से चलती रही। शाहरुख़ खान की चेन्नई एक्सप्रेस और आमिर खान की ‘गजनी’ साउथ की रीमेक ही थी।
वे मौके किसी और औसत अभिनेता को मिलते तो वह भी सुपरस्टार की पदवी पर आसीन हो सकता था। ऐसा कहा जाता है कि सलमान भाई पर पाकिस्तान के भाइयों की बहुत कृपा है। उनका इंडस्ट्री में ऐसा खौफ है कि वे इंडस्ट्री में किसी का भी कॅरियर चुटकियों में उजाड़ सकते हैं।
सलमान को गुस्सा क्यों आता है, इस पर मीडिया में बहुत कुछ लिखा गया है। अधिकांश कहते हैं कि वे सच्चे दिल के हैं और इसलिए कोई आडंबर नहीं करते। जब उनकी पहली फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ हिट हुई, उसके पहले तक कोई फोटोग्राफर उनके फोटो लेना पसंद नहीं करता था, कोई पत्रकार उनसे इंटरव्यू नहीं लेता था। तब तक वे इंडस्ट्री में एक गैर जरुरी शख्स हुआ करते थे।
इसके बाद के सालों में उनकी ज्यादातर फ़िल्में सेमी हिट और फ्लॉप रही लेकिन उनके दिमाग से ये फितूर नहीं उतरा कि वे ‘दी सलमान खान’ हैं। बॉलीवुड में जब सुपरस्टार को अपना सिंहासन खिसकता महसूस होता है तो वह षड्यंत्र करना शुरू कर देता है। ऐसे षड्यंत्र अपने समय के सभी सुपरस्टार्स ने किये हैं।
समकालीन अभिनेताओं के पर काटने के मामले में सलमान ने सबको पीछे छोड़ दिया है। जो उनकी महत्ता को प्रणाम करेगा, बस वही इंडस्ट्री में टिका रह सकता है। अरिजीत सिंह ने एक शो के दौरान सलमान की बात का जवाब क्या दे दिया, उनसे फ़िल्में छीनी जाने लगी थी। विवेक ओबेराय प्रकरण से तो सारा देश परिचित है। सलमान के गुस्से ने एक प्रतिभाशाली युवा का कॅरियर बर्बाद कर दिया।
क्रिकेट, राजनीति और फिल्मों में कोई ये क्यों नहीं समझता कि ये सिंहासन आपका खानदानी सिंहासन नहीं है। एक दौर बीतने के बाद या तो आप इसे छोड़ते हैं या हटा दिए जाते हैं। आश्चर्य की बात है कि इन तीनों क्षेत्रों में कोई स्वयं रिटायर नहीं होता, वह होना ही नहीं चाहता। नंबर वन की कुर्सी एक अहंकार है। ये अहंकार उन्होंने जीवनभर मेहनत कर कमाया है।
बॉलीवुड में समीकरण बदलने लगे हैं। अब नबंर वन का हक़दार रणवीर सिंह को माना जा रहा है। यदि सुशांत सिंह राजपूत को हटाकर रणवीर को मौके नहीं दिए जाते तो आज शायद उनकी जगह पर सुशांत इस कुर्सी के हकदार हो सकते थे। अगले तीन वर्ष में सलमान खान को गद्दी से उतार दिया जाएगा। अब वे हीरो नहीं लगते। उनके चेहरे से युवाओं की मासूमियत विदा हो चुकी है।
बॉक्स ऑफिस पर उनकी फिल्म चल जाए, इसके लिए उन्हें प्रभुदेवा नुमा स्टेप्स लगाने पड़ते हैं, जो न उन पर जंचते हैं, न उनकी उम्र को सूट करते हैं। आजकल वे पनवेल स्थित फॉर्म हॉउस पर चावल की खेती कर रहे हैं और मीडिया में छाए हुए हैं। कांग्रेस के एक बड़े नेता का कहना है ‘वे युवाओं को खेती के लिए प्रेरित कर सकते हैं।’ ठीक बात है।
अभी एक खबर चली थी कि सलमान के एक ‘भाईनुमा’ प्रशंसक ने अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा को घर में घुसकर मारने की धमकी दी। नेता जी को शोध करना चाहिए कि सलमान खान का ये प्रशंसक उनके कौनसे गुण से प्रेरित होकर इतनी बड़ी अभिनेत्री को ऐसे बातें बोल रहा है।
आप उन दिनों को याद क्यों नहीं करते, जब आपको बांद्रा की सड़कों पर पैदल भटकते हुए एक बात की चिंता रहती थी कि आपके समकालीन अभिनेता आपसे आगे न निकल जाए। उस वक्त तो आपको ‘बीवी हो तो ऐसी’ भी ऑफर नहीं हुई थी, जिसमे आपने बीस-पच्चीस मिनट का रोल किया था।
उसके बाद आपने ऐसा स्टारडम देखा, जो केवल अमिताभ और राजेश खन्ना को ही नसीब हुआ था। अब आपका कॅरियर समाप्ति की ओर है। दो तीन साल में हीरो के रोल मिलना बंद हो जाएंगे। अच्छा हो उस सिंहासन को स्वयं ही त्याग दे, जिसकी गद्दी में अब कांटें उग आए हैं। सिंहासन ऐसे ही होते हैं। वे सूंघ लेते हैं कि आप अयोग्य हो चुके हैं।