श्वेता पुरोहित :-
विश्वकर्मा जी देवताओं के इंजीनियर, आर्किटेक्ट, डेवलपर, बिल्डर, अस्त्र-शस्त्र निर्माता सब हैं।
🌿🌼 श्री विष्णु सहस्त्रनाम के एक श्लोक के अनुसार विश्वकर्मा श्री विष्णु हैं:
अप्रमेयो हृषीकेशः पद्मनाभोऽमरप्रभुः।
विश्वकर्मा मनुस्त्वष्टा स्थविष्ठः स्थविरो ध्रुवः ॥
🌿🌼 ‘विश्व-कर्मा’ – यह विश्व जिसका कर्म (क्रिया) है, उसे – विश्वकर्मा कहते हैं अथवा विचित्र निर्मण शक्ति से युक्त होने के कारण भगवान् विश्वकर्मा हैं। ‘त्वष्टा’ – संहार के समय प्राणियों को क्षीण करने के कारण वे त्वष्टा हैं।
🌿🌼 त्वष्टा नाम के ॠषि ही विश्वकर्मा हैं जिन्हें भगवान् शंकर के आशिर्वाद से शिल्पकला का वरदान मिला । विश्वामित्र की पत्नी का नाम हैमवती है।
🌿🌼 विश्वकर्मा को देवताओं के महलों का वास्तुकार भी कहा जाता है। इसलिए भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। विश्वकर्मा दो शब्दों से विश्व (संसार या ब्रह्मांड) और कर्म (निर्माता) से मिलकर बना है। इसलिए विश्वकर्मा शब्द का अर्थ है दुनिया का निर्माता यानि की दुनिया का निर्माण करने वाला।
🌿🌼 विश्वकर्मा: देवशिल्पी विश्वकर्मा ने हनुमान को चिरंजीवी रहने का वरदान दिया। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा निर्मित जितने भी अस्त्र-शस्त्र हैं हनुमान उन सभी से अवध्य रहेंगे। देवों और दैत्यों के लगभग सभी आयुध विश्वकर्मा ने ही बनाये थे इसी कारण उनके वरदान द्वारा हनुमान लगभग सभी अस्त्र-शस्त्रों से अवध्य और अजेय हो गए।
🌿🌼 रामायण में नल विश्वकर्मा के अवतार थे और रामसेतु का निर्माण उन्होंने ही किया था। नील नल के घनिष्ठ मित्र थे और नल के सामान उन्हें भी ये श्राप मिला था कि वो जिस वस्तु को हाथ लगाएंगे वो जल में डूबेगी नहीं।
🌿🌼 विजय: इस धनुष का निर्माण स्वयं विश्वकर्मा ने किया था। इसे उन्होंने देवराज इंद्र को दिया और देवराज इंद्र ने इसे भगवान परशुराम को प्रदान किया। इस अखंड धनुष से उन्होंने क्षत्रियों का अनेकों बार विनाश किया। बाद में उन्होंने इस धनुष को अपने प्रिय शिष्य महारथी कर्ण को प्रदान किया। हालाँकि इस धनुष का महाभारत में केवल एक ही बार स्पष्ट वर्णन है। महाभारत के अनुसार युद्ध के १७वें दिन कर्ण ने इसी धनुष से अर्जुन से युद्ध किया था। ऐसी मान्यता है कि इस धनुष की प्रत्यञ्चा को काटना असंभव था।
स्वयंभू मनु के पुत्र प्रियव्रत का विवाह प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्री बर्हिष्मतीसे से हुआ। उससे उनके दस पुत्र हुए और एक छोटी ऊर्जस्वती नामकी एक कन्या भी हुई ।
🌿🌼 महाभारत में ब्रह्माजी की आज्ञा से विश्वकर्मा ने तिलोत्तमा की उत्पत्ति की जिसने ब्रह्माजी की आज्ञा से सुन्द उपसुन्द नामक दैत्यों को मोहित किया। सुंद-उपसुंद दो असुर थे जो सदा एक साथ मिलकर रहते थे। सुंद-उपसुंद को ब्रह्माजी से वरदान मिला था कि वे दोनों, केवल एक – दूसरे के हाथों मारे जाएं। कोई अन्य प्राणी उनका वध न कर सके। इन्होंने सभी देवताओं मनुष्यों और प्राणियों को परेशान किया हुआ था। अंततः तिलोत्तमा के मोह में पड़ कर सुंद-उपसुंद ने एक दूसरे का वध किया।
🌿🌼 विश्वकर्मा द्वारा निर्मित नगरों के नाम की सूची
१. इन्द्रप्रस्थ : युधिष्ठिर के लिए
२. द्वारिका : श्री कृष्ण के लिए
३. वृन्दावन : श्रीकृष्ण के लिए
४. लंका : सुकेश पुत्र राक्षसों के लिए
५. इन्द्रलोक : इंद्र के लिए
६. सुतल : पाताल लोक
७. हस्तिनापुर : पांडवों के लिए
८. विश्वय वाहन गरूड का भवन (मत्स्य पुराण में वर्णित )
🌿🌼 विश्वकर्मा ने विविध देवों के लिए अस्त्र का निर्माण भी किया है।
१. श्री महाविष्णु का सुदर्शन चक्र
२. शिव का त्रिशूल एवं रथ (त्रिपुरदाह के लिए )
३. इंद्र का वज्र एवं धनुष ( दधीच ऋषि की अस्थियों से निर्मित)
🌿🌼 विश्वकर्मा परिवार की कथाएँ – इनकी पुत्री संज्ञा का विवाह विवस्वत सूर्य से हुआ। संज्ञा सूर्य ताप सहन ना कर पायीं और अपने पिता के पास लौट आयीं । सूर्य भी उनके पीछे आ पहुंचे। सूर्य में थोड़ा तेज रख कर विश्वकर्मा ने कुछ अंश ले लिया । इसी सूर्य के अन्य तेज से विविध देवों के आयुधों का निर्माण हुआ था। ऐसी कथा है ।
विश्वकर्मा जी के महान कार्यों का वर्णन अनंत है 🙏✨️
आज अपने सभी यंत्रों की पूजा कीजिए जो आपके दैनिक जीवन के कार्यों को आसान बनाते हैं, या आपको आजीविका प्रदान करते हैं या आपकी रक्षा करते हैं।
आप सबको विश्वकर्मा पूजा की बहुत सारी शुभकामनाएं 🙏
भगवान विश्वकर्मा की कृपा आप सबके ऊपर बनी रहे।