संदीप देव। हां ‘सरकारी हिंदुओं’ मैं पैकेट वाला दूध नहीं लेता हूं। दिल्ली के नजदीक भी गांव में रहता हूं और गांव के दूधवाले से खुला दूध लेता हूं। तुम कुतर्क करते थे न कि केवल पैकेट वाले दूध पर GST लगा है!
स्वाभाविक बात है कि जब पैकेट वाले दूध पर GST लगा है तो पीछे मूल सप्लायर यानी दूध विक्रेता भी रेट बढ़ाएगा और यह रेट वसूला हर हाल में उपभोक्ता से ही जाएगा। यह साधारण मांग-आपूर्ति का सिद्धांत है। लेकिन चमचागिरी में तो डिग्री लेने की होड़ लगी है ‘सरकारी हिंदुओं’ में! एक ‘स्वघोषित प्रवक्ता’ झूठ लिखता है और ‘मूढ़ भेड़ें’ झुंड में उसे कॉपी कर सच लिखने वालों की टिप्पणी में पेस्ट करते चले जाते हैं। दिमाग तक नहीं लगाते!
इनको समझाने का प्रयास करो तो व्यक्तिगत रूप से हमला करते हैं। जब इनको इनकी ही भाषा में जवाब तो ‘आपकी भाषा’ खराब है का ‘विक्टिम कार्ड’ लेकर कूद पड़ते हैं। ये ‘स्वघोषित सरकारी प्रवक्ता’ मानसिक रूप से कम्युनिस्ट कैडर बन चुके हैं और जनता व सरकार के बीच ‘दलालों’ की भूमिका में आ चुके हैं! याद रखना ‘दलाल’ और ‘दासों’ के अंदर आत्मबोध मर चुका होता है। न समझ में आए तो दर्पण में अपना चेहरा गौर से देख लिया करो! रामजी इन ‘दासों’ को दासता से मुक्त होने के लिए सद्बुद्धि प्रदान करें। जय रामजी की।
#sandeepdeo
बकैती करने वाले ‘सरकारी हिंदुओं’ के लिए संसद में वित्त मंत्री के बयान वाले लिंक के साथ विशेष नोट:- संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया, “जिन मिल्क प्रोडक्ट्स जैसे दही, लस्सी, बटर मिल्क और पनीर की बिक्री ‘पहले से ही पैकेज्ड और लेबल’ के रूप में की जाती है तो उन पर जीएसटी लागू होता है इसके अलावा ‘अल्ट्रा हाई ट्रेम्पेचर मिल्क’ भी जीएसटी के अधीन आता है।”
सरकार ने ‘पहले से ही पैक्ड और लेबल’ एवं ‘अल्ट्रा हाई टेंपरेचर’ कह विरोध को डायवर्ट करने व कंफ्यूजन पैदा करने का प्रयास किया। ऑलरेडी जो दूध पैक्ड आता है, उस पर GST की घोषणा के बाद दाम बढ़ चुके हैं। हर कंपनी ने बढ़ा दिया है। अपने अपने घर में देखिए! कारण कंफ्यूजन वाले दिए जा रहे हैं! और इसके कारण पीछे से मूल दूध सप्लायर (दूधिया) भी दाम बढ़ा चुके हैं, क्योंकि मूल आपूर्तिकर्ता वही हैं। कंपनियां दूध पैदा नहीं करती।
‘सरकारी हिंदुओं’ की दिक्कत यह है कि घर में दूध का दाम बढ़ चुका है, परंतु बकैती इतना कर चुके हैं कि सच बोल/लिख नहीं सकते!