आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाने के बाद जो गोग सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बहाने मोदी पर हमलावर थे सरकार ने उनके मुंह पर करारा तमचा मारा है। सरकार ने राकेश अस्थाना ही नहीं भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे और तीन अधिकारियों को सीबीआई से पत्ता काट दिया है। यानि मोदी सरकार ने राकेश अस्थाना समेत चार सीबीआई अधिकारियों का सीबीआई से तबादला कर दिया है। मालूम हो कि राकेश अस्थाना को सीबीआई के विशेष निदेशक पद से हटाकर एविएशन सुरक्षा में भेज दिया गया है।
Tenure of CBI Special Director Rakesh Asthana and three other CBI officers curtailed by Appointments Committee of the Cabinet, with immediate effect. pic.twitter.com/TXbhwQ9kVO
— ANI (@ANI) January 17, 2019
मोदी सरकार ने राकेश अस्थाना के अलावा जिन तीन अधिकारियों का सीबीआई से तबादला किया है उनमें जॉइंट डायरेक्टर अरुण कुमार शर्मा, डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा और एसपी जयंत जे नाइकनवरे शामिल हैं। सरकार ने अपने जारी आदेश में संयुक्त निदेशक अरुण कुमार शर्मा, डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा और एसपी जयंत जे नाइकनवरे के कार्यकाल में भी कटौती कर दी है। वहीं राकेश अस्थाना को ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन में महानिदेश (डीजी) के पद पर तबादला कर दिया है।
And this means #RakeshAsthana gets back in action from exile. He was sent on leave by the Govt in October along with #AlokVerma. With this order, Asthana gets back his functional job. He will be working as DG, Bureau of Civil Aviation (BCAS). https://t.co/Tyf6jgfeAc
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) January 17, 2019
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से सीबीआई के दो शीर्षस्थ अधिकारियों आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के आपसी कलह की वजह से सीबीआई की साख पर बट्टा लगने लगा था। दोनों अधिकारी एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के साथ एक दूसरे के खिलाफ कोर्ट तक चले गए थे। इस विवाद को हवा देने वालों में भी प्रशांत भूषण ही था। प्रशांत भूषण ने कांग्रेस की शह पर आलोक वर्मा के माध्यम से मोदी सरकार को अस्थिर करने का षड्यंत्र रचा था। ज्ञात हो कि यह वही प्रशांत भूषण है जिसने सीबीआई डायरेक्टर के रूप में आलोक वर्मा की नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक चला गया था।
लेकिन सीबीआई की साख को बचाने के लिए सीवीसी की रिपोर्ट के आधार पर 23 अक्टूबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना दोनों को बलात छुट्टी पर भेज दिया। और बाद में चयन समिति ने आलोक वर्मा को बहुमत के आधार पर सीबीआई के निदेशक के पद से हटाकर अग्निशण विभाग तबादला कर दिया। प्रशांत भूषण ने आलोक वर्मा के हटाने पर भी मोदी सरकार को बदनाम करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
जिस राकेश अस्थाना को आज सीबीआई के निदेशक पद से हटाया गया है उसकी नियुक्त रोकने के लिए आलोक वर्मा ने ही प्रशांत भूषण के साथ मिलकर काफी बड़ा षड्यंत्र रचा था। आलोक वर्मा ने गुजरात की एक कंपनी संदेसरा ग्रुप से तीन करोड़ रुपये की रिश्वत लेकर उसकी जांच को प्रभावित करने का आरोप लगया था। मालूम हो कि संदेसरा ग्रुप वही है जिसके भ्रष्टाचार में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के दामाद और बेटा संलिप्त पाया गया है। अभी उसकी जांच चल ही रही है।
राकेश अस्थाना के खिलाफ अभियान में प्रशांत भूषण शुरू से शामिल था। राकेश अस्थाना के खिलाफ आरोप लगाकर ही प्रशांत भूषण विजय माल्या के प्रत्यर्पण में रोड़ा अटका रहा था।
इतना ही नहीं राकेश अस्थाना के खिलाफ भाजपा नेता सुब्रमनियन स्वामी के साथ मिलकर पी गुरु वेबसाइट ने भी न्यूज सीरीज चलाई थी। हालांकि शुरू में तो इंडिया स्पीक्स डेली ने राकेश अस्थाना के खिलाफ स्टोरी प्रकाशित की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले आने के बाद से इंडिया स्पीक्स ने उनके खिलाफ कोई स्टोरी नहीं प्रकाशित की है, क्योंकि इंडिया स्पीक्स डेली का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश सर्वोपरि होना चाहिए। अगर सुप्रीम कोर्ट से निर्दोष साबित होने के बाद वह व्यक्ति बिल्कुल निर्दोष ही होता है।
राकेश अस्थाना वही सीबीआई अधिकारी है जिन्होंने लालू यादव के खिलाफ निष्पक्षता से जांच कर उन्हें जेल तक पहुंचाया था। जबकि आलोक वर्मा तो कांग्रेस और प्रशांत भूषण जैसों के इशारे पर लालू यादव के मामले को आगे बढ़ाना ही नहीं चाहते थे। आज महागठबंधन के नाम पर जो अलग-अलग छोटे-छोटे गठबंधन हो रहे हैं वह लालू यादव के राजनीति में अक्रिय होने की वजह से। अगल लालू यादव आज जेल से बाहर और सक्रिय राजनीति में होते तो सभी दल एकजुट रहते। क्योंकि लालू यादव में अलग-अलग दलों को एकजुट रखने का सामर्थ्य है।
आलोक वर्मा पर सिर्फ लालू यादव के मामले को ही दबाने का आरोप नहीं है बल्कि विजय माल्या के मामले में भी कुंडली मारकर बैठने का आरोप है। वर्मा को बलात छुट्टी पर भेजे जाने के चंद रोज बाद ही विजय माल्या का भारत प्रत्यर्पित होने का रास्ता प्रशस्त हो गया था। आलोक वर्मा पर तो यहां तक आरोप है कि जिस अस्थाना को भ्रष्टाचारी साबित कर प्रशांत भूषण विजय माल्या का प्रत्यर्पण रोकना चाहता था उसे आलोक वर्मा ही इनपुट्स मुहैया कराता था।
सीबीआई में मची इस उथल-पुथल में भी कांग्रेस और प्रशांत भूषण का हाथ माना जा रहा है। प्रशांत भूषण और कांग्रेस मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए देश की लोकतांत्रिक स्वायत्त संस्थान को भी राजनीति का अखारा बनाने से परहेज नहीं किया।
2014 में मोदी सरकार आने के बाद से ही उसे गिराने के लिए प्रशांत भूषण के षड्यंत्र
1. फर्जी सहारा-बिडला डायरी के जरिए मोदी सरकार को बदनाम करने का प्रयास
2. पूर्व न्यायाधीश लोया की सामान्य मौत को हत्या बताकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को जेल भिजवाने का प्रयास
3. जज लोया मामले में न्यायपालिका की गरिमा को कुचलने का प्रयास, पूर्व न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने भूषण को कहा था कोर्ट फिक्सर
4. आधार कार्ड के जरिए भ्रष्टाचार पर प्रहार से बिलबिला कर आधार कार्ड को ही खत्म कराने का प्रयास
5. अवैध घुसपैठिए रोहिंग्या मुसलमानों को देश में रोकने का प्रयास
6. चुनावों में अपने आकाओं की हार के बाद ईवीएम पर दोषारोपण कर चुनाव आयोग की गरिमा पर हमला
7. पहले आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक बनने से रोका और फिर बाद में हटाने पर मोदी सरकार को बदनाम करने का प्रयास
8. आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को सीबीआई से हटाने के बाद सीबीआई के कार्यकारी निदेशक एम नागेश्वर राव को रोकने का प्रयास
9. कांग्रेस की शह पर राफेल डील को लेकर अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा के साथ मिलकर मोदी सरकार को गिराने का प्रयास
10. कश्मीर के अलगाववादियों, आतंकवादियों और पत्थरवाजों के पक्ष में मोदी सरकार को गिराने का प्रयास
11. कठुआ रेप कांड मामले में अपने सहयोगी इंदिरा जयसिंह के साथ मिलकर हिंदुओं और देश को बदनाम करने का प्रयास
URL : Transfering special derector of CBI Modi Govt slaped his critics !
Keyword : CBI, Modi Govt, Prashant Bhushan, Rakesh Ashthana. alok veram