किसान आंदोलन की आड़ में भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय साजिश का दिल्ली पुलिस ने पर्दाफाश करते हुए देशद्रोह, धार्मिक वैमनस्य फैलाने समेत साजिश रचने का मामला दर्ज किया है।
दिल्ली पुलिस का दावा है कि जो दस्तावेज पर्यावरणविद ग्रेटा थनवर्ग द्वारा ट्वीट किए गए थे, उसमें हिंसा के बारे में पूरी साजिश का खुलासा था। इसी दस्तावेज को लेकर यह प्राथमिकी दर्ज की गई है और अब पूरे मामले की जांच साइबर सेल करेगी ।
ग्रेटा थनबर्ग स्वीडन की एक पर्यावरण कार्यकर्ता हैं, जिनके पर्यावरण आन्दोलन को अन्तरराष्ट्रीय ख्यति मिली है। स्वीडन की इस किशोरी के आन्दोलनों के फलस्वरूप विश्व के नेता अब जलवायु परिवर्तन पर कार्य करने के लिए विवश हुए हैं।
लेकिन उसका भारत के किसान आंदोलन से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है । लेकिन ग्रेटा भारत विरोधी अभियान का हिस्सा जरूर बन गई है और कहा जाता है कि उसे ब्रिटेन तथा कनाडा में रहने वाले खालिस्तानी नेताओं ने आगे रखकर अपना हित साधा है
जबकि ग्रेटा को साल २०१९ मे ‘टाइम पर्सन ऑफ़ द इयर’ पुरस्कार से नवाजा जा चुका है । दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन का कहना है कि 26 जनवरी की हिंसा से पहले ही सोशल मीडिया की मॉनिटरिंग की जा रही थी।
इस दौरान साइबर टीम ग्रेटा के टि्वटर हैंडल के जरिए कुछ दस्तावेज देखे, जो ट्वीट किए गए थे।सोशल मीडिया की निगरानी के दौरान पुलिस को एक अकाउंट के जरिए एक दस्तावेज मिला, जो एक टूलकिट है जिसमें ‘प्रायर एक्शन प्लान’ नाम का एक सेक्शन है।
इसमें किसान आंदोलन के दौरान क्या करना है , ये कहा गया है। टूल किट के जरिए बताया गया था कि किस तरीके से भारत सरकार के विरुद्ध काम करते हुए किसान आंदोलन को लेकर आम लोगों को भड़काना है और किस तरीके से हिंसा को अंजाम देना है ।
26 जनवरी को लेकर कैसे लोगों को इक्ट्ठा करना है और सोशल मीडिया के जरिए कैसे इसे सर्कुलेट करना है। इन सभी जानकारियों से इस बात का खुलासा हुआ है जो 26 जनवरी को हुआ था, वह एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा था। बाद में इस दस्तावेज को हटा लिया गया था।
विवादित इस दस्तावेज को लेकर दिल्ली पुलिस में देशद्रोह समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया है। एफएआईआर में किसी का नाम नहीं है लेकिन आईपीसी की धारा 124ए, 153ए और 120बी लगाई गई है।
इसमें साफ बताया गया है कि जहां एक तरफ पूरी साजिश के तहत इस आंदोलन का इस्तेमाल करते हुए यह हिंसा की गई तो वहीं दूसरी तरफ लोगों को हिंसा के लिए भड़काने का भी प्रयास किया गया।
प्राथमिक जांच में पाया गया है कि भारत सरकार के विरुद्ध यह पूरी साजिश रची गई थी। विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन ने कहा कि जो कुछ बबाल हुआ उसकी आशंका पहले से ही थी।
इस वजह से किसान नेताओं को भी इसकी जानकारी दी गई थी । उन्होंने कहा कि किसान रैली से पहले ही हमने करीब 300 ऐसे सोशल मीडिया एकाउंट पकड़े थे, जिन पर खुलेआम किसान आंदोलन के खिलाफ षडयंत्र रचा जा रहा था।
यह सीधे-सीधे कानून और भारत सरकार के खिलाफ खुलेआम साजिश का हिस्सा थी। दिल्ली पुलिस ने जो भी सोशल मीडिया एकाउंट्स चिन्हित किये हैं, उन सभी की कड़ी जांच की जायेगी और आरोपियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जायेगा।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि केंद्र सरकार के खिलाफ षडयंत्र रचने वालों ने यह भी अफवाह फैलायी कि, किसान आंदोलन वाले स्थानों पर सरकार ने इंटरनेट सेवा बंद कर दी है जबकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं था।
इसमें दो राय नहीं कि, अब तक जो भी तथ्य सबूत सामने आये हैं, उनके हिसाब से किसान ट्रैक्टर रैली में जो भी घटना हुई ,सोचे-समझे षडयंत्र का हिस्सा था ।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि रिहाना हो या ग्रेटा दोनों विदेश मेंं बैठे कुुछ खालिस्तानी नेताओं केे संपर्क में हैैै और दोनों सोची समझी रणनीति के तहत अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा बन गई है।