कांग्रेस को घोटालेवाजों की पार्टी कहें तो कोई गलत नहीं होगा। कांग्रेस ने जहां भी हाथ लगाया वहां से एक बड़ा घोटाला निकला। साल 2014 की जनवरी में जब कांग्रेस को यह आभास हो गया था कि वह इस बार सत्ता में नहीं आने वाली है, तो उसने अंतिम दांव खेला। कांग्रेस ने टीवी की टीआरपी आंकने वाली एजेंसी BARC (बार्क) को 70 हजार करोड़ रुपये का सालाना व्यवसाय दे दिया। उस समय यूपीए सरकार में मनीष तिवारी सूचना प्रसारण मंत्री थे। तिवारी ने बार्क को लाभ पहुंचाने के लिए उनके पक्ष में नियम को भी कमजोर किया। उद्देश्य साफ था, टीवी चैनलों को बेशुमार पैसे देकर अपने पक्ष में माहौल बनाकर दोवारा सत्ता में आने का।
मुख्य बिंदु
*2014 की जनवरी में नियमों को ताक पर रखकर रेटिंग एजेंसी बार्क के लिए खोला कुबेर का खजाना
*टीवी चैनलों को अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए पहले के कानून से किया खिलवाड़
9 जनवरी 2014 को कांग्रेस नियंत्रित यूपीए सरकार की कैबिनेट ने टीवी चैनलों की रेटिंग निर्धारित करने वाली एजेंसियों को नियमित करने के लिए नई नीति बनाने की घोषणा करने का फैसला किया। हालांकि यह पॉलिसी ट्राई (Telecom Regulatory Authority of India) के सुझावों पर बनने वाली थी। लेकिन कांग्रेस के दवाब में तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने बार्क के पक्ष में दिशानिर्देश जारी कराया। बार्क वही रेटिंग एंजेसी है जिसका पूरा नियंत्रण Rupert Murdoch के स्टार ग्रुप के हाथ में था। मालूम हो कि 2005 तक भारत में स्टार ग्रुप का भारत में संचालन का काम पीटर मुकर्जी देखते थे। लेकिन हत्या और भ्रष्टाचार के मामले पीटर मुकर्जी की संलिप्तता उजागर होने के बाद यह जिम्मेदारी टीवी व्यवसाय के विशेषज्ञ माने जाने वाले उदय शंकर ने संभाली।
बार्क को 70 हजार करोड़ का सालाना व्यवसाय दिए जाने से पहले मूल नियम यह था कि ऐसी किसी भी टीवी रेटिंग एजेंसी को यह काम नहीं दिया जा सकता जिसमें कोई टीवी चैनल या विज्ञापन एजेंसियां शामिल हो या फिर उसकी हिस्सेदारी उस एजेंसी में हो। कांग्रेस ने स्टार ग्रुप को लाभ पहुंचाकर अपना हित साधने के लिए इन नियम को कमजोर बनाया और उसे लाभ पहुंचाया।
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