भारत सिर्फ इस्लामिक आंतकवाद से ही परेशान नहीं है बल्कि खालिस्तान की मांग करने वाले देश विरोधी तत्व एक बार फिर से सक्रिय दिखाई देते हैं। ऐसे ही खालिस्तान जिंदाबाद फ़ोर्स से जुड़े दो हार्डकोर सदस्यों को दिल्ली स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया है। इनकी पहचान इंद्रजीत सिंह गिल और जसपाल सिंह के तौर पर हुई।
पुलिस ने दावा किया कि दोनों ने एक अन्य दोस्त के साथ मिलकर 14 अगस्त को पंजाब के मोगा में डीसी दफ्तर की छत पर लगे तिरंगे को फाड़कर खालिस्तान का झंडा लगा दिया था। इसके बाद से सुरक्षा एजेंसियां इन दोनों को पकड़ने की कोशिश में जुटी थी।
पुलिस उपायुक्त संजीव कुमार यादव के अनुसार, सूचना मिली थी कि ‘खालिस्तान ज़िंदाबाद फ़ोर्स’ से जुड़े 2 सदस्य दिल्ली में अपने विदेशी कमांडरों के आदेश पर कोई राष्ट्रविरोधी गतिविधि को अंजाम देने वाले हैं। टीम सक्रिय हुई और 29 अगस्त को जीटी करनाल रोड से इन दोनों को दबोच लिया गया। दोनों मोगा, पंजाब के निवासी हैं। इनके खिलाफ मोगा में देशद्रोह और राष्ट्रीय सम्मान को ठेस पहुंचाने का केस दर्ज है। इन्होंने मोगा डीसी दफ्तर की छत पर लगे राष्ट्रीय ध्वज को फाड़कर खालिस्तान का झंडा लगा दिया था।
पूछताछ में इंद्रजीत सिंह गिल ने खुलासा किया कि पहले वह ड्राइवर का काम करता था। इसके बाद उसने एक एमएनसी में काम किया। जबकि वह शुरु से ही खालिस्तानी मूवमेंट से प्रभावित था। इस साल 8 अगस्त को उसके चचेरे भाई जग्गा ने यूट्यूब पर प्रतिबंधित चैनल ‘सिख फ़ॉर जस्टिस’ सुनने के लिए कहा। इसमें उसे बताया गया कि उसके WhatsApp पर एक लिंक आएगा, जिसके जरिये वो खालिस्तान को वोट करे। इंद्रजीत ने चैनल को सब्सक्राइब कर लिंक पर वोट कर दिया। इसके बाद इस चैनल के जरिए कहा गया, खालिस्तान बनाओ और खालिस्तान का झंडा फहराओ।
झंडा फहराने के लिए 14 ,15 और 16 अगस्त का डेट दिया गया और कहा गया कि कहीं भी सरकारी दफ्तर पर भारतीय झंडे को फाड़ कर खालिस्तान का झंडा फहराना है। इस चैनल पर राणा नामक शख्स ने मोगा में खालिस्तान का झंडा लहराने पर 2500 डॉलर का इनाम देने के लिए कहा जबकि लाल किले और दूसरी ऐतिहासिक इमारतों पर खलिस्तान का झंडा फहराने के लिए 1,25000 डॉलर इनाम देने की घोषणा की थी।
इस पर इन आरोपियों ने मोगा में खालिस्तान का झंडा फहरा दिया था। पूछताछ में यह भी पता चला है इंद्रजीत का दोस्त जसपाल भी उसी के गांव का रहने वाला है। जसपाल एक इंटरनेट कैफ़े चलाता है।
11 अगस्त को इंद्रजीत सिंह गिल, जसपाल और आकाशदीप जो कि फिरोजपुर का रहने वाला है, इन तीनों ने मिलकर मोगा के डीसी ऑफिस में खालिस्तान का झंडा लहराने की साज़िश रची थी। दिल्ली पुलिस का कहना है इन लोगों ने 13 अगस्त नानकशहर से एक झंडा लिया और उस पर खलिस्तान लिखा, फिर 14 अगस्त को तीनों 2 बाइक पर सवार होकर मोगा के डीसी ऑफिस पहुंचे और फिर जसपाल डीसी ऑफिस की छत पर गया और उसने खलिस्तान का झंडा लगा दिया। इस दौरान तिरंगे झंडे ध्वज को निकालकर फाड़ दिया गया।
बाद में आकाशदीप ने इसका वीडियो बनाकर वॉट्स एप पर राणा को भेजा जो उसके यूट्यूब चैनल पर अपलोड हुआ और बाद में यह सोशल मीडिया में वायरल हो गया। इसके कुछ दिनों पर मोगा पुलिस ने आकाशदीप को गिरफ्तार कर लिया, जबकि इंद्रजीत और जसपाल फरार चल रहे थे।
स्पेशल सेल को जानकारी मिली है कि विदेश में बैठे राणा जैसे खालिस्तान समर्थक और अन्य हैंडलरों ने दोनों से दिल्ली आने को कहा और यात्रा के लिए उनके अकॉउंट में 20 हज़ार रुपये ट्रांसफर भी किये गए। दिल्ली से इन्हें नेपाल और फिर पाकिस्तान जाना था, वहां इनकी ट्रेनिंग होनी थी लेकिन इससे पहले ही दोनों धर दबोचे गए।
आपको बताते चलें कि प्रतिबंधित ‘सिख फॉर जस्टिस’ ने पूर्व में घोषणा कर रखी थी कि लाल किले पर 14, 15 और 16 अगस्त के दिन खालिस्तान का झंडा फहराने वाले सिख को सवा लाख डॉलर इनाम दिया जाएगा। इसके लिए एक वीडियो भी अपलोड किया गया और इस वीडियो में सिख फॉर जस्टिस के सुप्रीमो गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा कि 15 अगस्त का दिन सिखों के लिए स्वतंत्रता दिवस का दिन नहीं है। ये दिन सिखों को 1947 में हुए बंटवारे के समय हुई त्रासदी की याद दिलाता है।
विवादास्पद वीडियो में पन्नू बोलता है कि आज भी हमारे लिए कुछ भी नहीं बदला है।बदले हैं तो केवल शासक हम अभी भी भारतीय संविधान में हिंदू के रूप में दर्ज हैं और पंजाब के संसाधनों का इस्तेमाल अन्यायपूर्ण तरीके से किया जा रहा है। हमें वास्तविक स्वतंत्रता की जरूरत है और इसके लिए खालिस्तानी राज्य बनना जरूरी है। ‘सिख फॉर जस्टिस’ के तरफ से देश के विभिन्न राज्यों में रहने वाले लोगों को अंतरराष्ट्रीय कॉल करके भी भड़काया गया जबकि उसकी धमकी के बाद लाल किले की सुरक्षा काफी बढ़ा दी गई थी।
मालूम हो कि गुरुवंतपंत सिंह पन्नू वही आतंकी है जो दुनियाभर में रेफरेंडम 2020 चला रहा है और आशंका है कि इसका ही नाम राणा है जिसको मदद पाकिस्तान तथा कनाडा में बैठे कुछ मुस्लिम और सिख चरमपंथी कर रहे हैं। इसके अलावा पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आईएसआई भी इसको मदद पहुंचा रहा है।
खुफिया ब्यूरो का कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के बाद से इस्लामिक और खालिस्तानी समर्थक आतंकी गड़बड़ी फैलाना चाहते हैं। संपूर्ण राज्यों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
ज्ञात रहे कि ‘खालिस्तान’ के तौर पर अलग स्वायत्त राज्य की मांग ने 1980 के दशक में जोर पकड़ा और इसे खालिस्तान आंदोलन का नाम दिया गया। अकाली दल के कमजोर पड़ने और ‘दमदमी टकसाल’ के जरनैल सिंह भिंडरावाला की लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही ये आंदोलन हिंसक हो गया। साल 1983 में डीआईजी अटवाल की स्वर्णमंदिर परिसर में ही हत्या के बाद भिंडरावाला ने स्वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना लिया। उसके बाद भिंडरवाला को स्वर्ण मंदिर से निकालने के लिए भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ को अंजाम दिया। 6 जून 1984 को भारी गोलीबारी के बाद जरनैल सिंह भिंडरवाला का शव बरामद कर लिया गया।
इस कार्रवाई के विरोध में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को मौत के घाट उनके ही सिख सुरक्षाकर्मियों ने उतार दिया था। इसके बाद भी खालिस्तान आंदोलन खत्म नहीं हुआ और देश विदेश में बैठे खालिस्तान समर्थक छोटे बड़े संगठन बनाकर अपने ‘खालिस्तानी’ मुहिम में जुटे हुए हैं।