अर्चना कुमार। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दरभंगा रेलवे स्टेशन पर पार्सल ब्लास्ट मामले में दो लश्कर के और आतंकी को धर दबोचा है । यह गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश के शामली से की गई है जबकि इससे पहले दो सगे भाइयों को गिरफ्तार किया गया था । दरअसल बिहार के दरभंगा जिले के रेलवे स्टेशन पर 17 जून को सिकंदराबाद से आए कपड़े के पार्सल में हुए ब्लास्ट मामले में इस तरह की कार्रवाई की गई।
फिलहाल जिन दो लोगों की गिरफ्तारी की गई है , उनके नाम मोहम्मद कासिम और हाजी सलीम है । हाजी सलीम उर्फ टुइया शामली के कैराना के बिस्तायान मोहल्ले का और कासिम उर्फ कफील आलखुर्द का निवासी है। इस मामले में दो अन्य संदिग्धों मो.नासिर खान और इमरान मलिक नामक सगे भाइयों को एनआईए ने 30 जून को हैदराबाद से गिरफ्तार किया था।
पूछताछ में पता चला चारों के तार लश्कर से जुड़े हुए हैं। दोनों सगे भाइयों से हुई पूछताछ के बाद दो और लोगों को उत्तर प्रदेश से पकड़ा गया। अभी तक की जांच में यह पता चला है कि इस केस में मुख्य साजिशकर्ता मो. सलीम अहमद अर्फ हाजी सलीम और कफिल हैं। हैदराबाद से गिरफ्तार दोनों आतंकियों ने हाजी सलीम के घर पर मुलाकात की थी और बड़े आतंकी घटना को अंजाम देने की योजना बनाई थी।
एनआईए के अनुसार मोहम्मद सलीम और काफील दोनों दरभंगा बलास्ट के प्रधान आरोपी हैं, ये दोनों लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करते हैं। इसके पहले गिरफ्तार हुए नाशिर और इमरान मालिक हाजी सलीम के घर पर मिलकर चलती ट्रेन में बड़ा आईईडी धमाके की प्लानिंग की थी। हाजी सलीम पाकिस्तान का रहने वाला लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेटिव इक़बाल काना का करीबी सहयोगी है, इक़बाल काना उसको रुपये भेजता था।
ब्लास्ट को अंजाम देने के लिए पुरानी दिल्ली के कई हवाला कारोबारियों के जरिये इकबाल काना ने सलीम को पैसे भेजवाये थे। ब्लास्ट को अंजाम देने कर लिए मो. नासिर व मो. इमरान मल्लिक को 1.5 लाख रुपये दिए गए थे। बताया जाता है कि सोशल मीडिया के जरिये इकबाल काना से दोनों के संपर्क करने के सबूत भी एनआईए को मिले हैं।
उनलोगों के टारगेट पर और कौन-कौन सी जगह थी, इसे लेकर गहन पूछताछ चल रही है। इस केस में फरार चल रहे मो. सुफियान के सिलसिले में उनलोगों से पूछताछ की जा रही है। अभी तक की जांच में पता चला है कि पाकिस्तान में बैठे लश्कर के हैंडलर इकबाल काना ने दरभंगा के अलावा देश के कई कोनों में दहशत मचाने के लिए युवकों को तैयार करने का जिम्मा सौंपा था।बताया जाता है कि इकबाल काना ने केमिकल बम बनाने का फार्मूला भी सलीम के मोबाइल पर भेजा था।
सिकंदराबाद से भेजे गए पार्सल पर जो मोबाइल नंबर दर्ज था वह कफील का बताया जा रहा है। एनआईए उसके कॉल डिटेल्स की गहन तहकीकात कर रही है। इस साजिश में कई स्लीपर सेल के शामिल होने की भी आशंका जतायी जा रही हैएनआईए की प्रवक्ता एसपी जया रॉय ने बताया कि पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि वह चाहते थे कि जान-माल का बड़ा नुकसान हो। जांच में पता चला है कि हाजी सलीम पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेटिव इकबाल काना का करीबी सहयोगी है।
हाजी इकबाल काना के लिये काम कर रहा था। वह इकबाल काना द्वारा भेजे गए फंड को आगे भेजता था, जिसका इस्तेमाल आतंकी हमले को अंजाम देने में किया जाता था। यह भी पता चला है कि इस ब्लास्ट के लिए जल्दी आग पकड़ने वाले कपड़े का किया था उपयोग। ऐसे कपड़ों और केमिकल का उपयोग किया था, जो जल्दी आग पकड़ने वाले होते हैं। आतंकी पूरी ट्रेन को बर्निंग ट्रेन बनाना चाहते थे। इसके लिए बोतल के ऊपर सेंसर लगाकर ट्रेन की तेज रफ्तार होने के बाद ब्लास्ट कराकर आग लगाने की मंशा थी लेकिन कुछ गड़बड़ी की वजह से चलती ट्रेन में धमाका नहीं हो पाया।