राजनीति में शुचिता की बात करने वाली आम आदमी पार्टी दो करोड़ रुपये चंदा लेकर फंस गई है। अलग तरह की राजनीति किए जाने का दंभ भरने वाले अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी पर फर्जी कंपनियों से काला धन लेने के आरोप है।
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने दो ऐसे ही लोगों को धर दबोचा है, जिन्होंने 50-50 लाख रुपये चार अलग-अलग फर्जी कंपनियों के नाम से आम आदमी पार्टी को दिए थे। इनमें एक आरोपी का नाम मुकेश शर्मा उर्फ मुकेश कुमार है जबकि दूसरा आरोपी सुधांशु बंसल है जो उसका चार्टर्ड अकाउंटेंट बताया गया है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि पकड़े गए मुकेश शर्मा ने चंदा देने के लिए फर्जी कंपनियां बनाई थी। यह चंदा 2014 में आप पार्टी को दिया गया था।आरोपी मुकेश कुमार दिल्ली में प्रॉपर्टी डीलिंग और तंबाकू का कारोबार करता है।
दरअसल आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री रह चुके और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के नेता कपिल मिश्रा ने अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगाया था कि चंदे के नाम पर फर्जी कंपनियों के सहारे ब्लैक मनी को सफेद किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि आम आदमी पार्टी ने फर्जी कंपनियों के सहारे 2 करोड़ रुपये का चंदा लिया है। इन आरोपों के बाद मुकेश शर्मा नाम का शख्स सामने आया था और मुकेश शर्मा ने दावा किया था उनकी कंपनियां असली और रजिस्टर्ड हैं लेकिन वह किसी कानूनी पचड़े में नहीं पड़ना चाहता, इसलिए सामने नहीं आ रहा।
मुकेश शर्मा ने यह भी कहा था वे पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से नहीं मिले हैं और केवल चंदा देते समय पार्टी के सेक्रटरी पंकज गुप्ता और पार्टी कोषाध्यक्ष से मिले थे। जबकि कपिल मिश्रा ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल ने सरकार बनने के बाद फर्जी कंपनियों को ठेका दिया और इसके बदले उन्हें काला धन मिला था।
उधर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी की शिकायत पर छानबीन में जुटी दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की जांच में मुकेश शर्मा का दावा गलत साबित हुआ। पुलिस ने दावा किया कि चंदा देने वाली कंपनियों के पते पर जाकर जब छानबीन की गई तो वहां कंपनियों का कोई अस्तित्व ही नहीं था।
पुलिस के मुताबिक, दोनों आरोपी फर्जी शैल कंपनी बनाकर मनी लॉन्ड्रिंग का काम करते थे जबकि इस मामले की शिकायत रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज (Registrar of Companies) ने आर्थिक अपराध शाखा को दी थी। शिकायत में उन्होंने चार कंपनियों के नाम लिए थे। इसमें गोल्डमाइन बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड, स्काइलाइन मेटल एंड एलाय प्राइवेट लिमिटेड, सन विजन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड और इंफोलेन्स सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन लिमिटेड का नाम शामिल था।
प्रति कंपनी ने 50 लाख रुपये का चंदा दिया और इस हिसाब से चंदे की रकम 2 करोड़ हो गयी। जांच में पाया गया कि चंदा 5 अप्रैल 2014 को दिया गया और इसे लेकर 21 नवंबर 2015 में आर्थिक अपराध शाखा ने केस दर्ज किया था।
मामले की जांच के दौरान रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी ने आरोपी कम्पनीज को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया। इनमें तीन कंपनी की और से कोई नहीं आया। लेकिन एक कंपनी के डायरेक्टर दीपक अग्रवाल ने अपना पक्ष रखा। इन्होंने जानकारी दी कि उनकी तस्वीर और हस्ताक्षर जिस आधार पर डीआईएन नंबर जारी हुआ वह फ़र्ज़ी है। इसके बाद इस मामले में लंबी जांच पड़ताल किए जाने के बाद दोनों आरोपियों को पकड़ लिया गया।
रुपयों को लेकर हुई जांच में यह बात सामने आई कि मैक्स की सब्सिडियरी कंपनी अंतरा गुरुकुल सीनियर लिविंग लिमिटेड के अकाउंट से आम आदमी पार्टी को रुपये दिए गए थे।
आपको बताते चलें कि इस कथित चंदे को लेकर आयकर विभाग ने भी आम आदमी पार्टी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और आरोप लगाया था कि पार्टी ने साल 2014-15 के दौरान मिले चंदे की जानकारी छुपाई है।
सनद रहे पहले यही आम आदमी पार्टी मिलने वाली चंदे की जानकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक करती थी लेकिन आम आदमी पार्टी ने बाद में फैसला किया कि वह अब पार्टी को मिलने वाले चंदे की जानकारी वेबसाइट पर नहीं डालेगी। बिना सबूत आरोप लगाने वाली आप ने इस पर कहा था कि चूंकि भाजपा उन तमाम लोगों को बहुत परेशान करती है जो उनकी पार्टी को चंदा देते रहे हैं, इसलिए आम आदमी पार्टी चंदा देने वालों के नाम वेब पर नहीं डालेंगे।
वाकई आम आदमी पार्टी ने ये कदम भाजपा से परेशान होकर उठाया या फिर वेबसाइट पर चंदे की जानकारी सार्वजनिक न करने के पीछे काले धन को सफेद करना था यह तो जांच का विषय है?
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो आम आदमी पार्टी के चंदे में निरंतर इजाफा होता रहा है। उदाहरण स्वरुप निर्वाचन आयोग को भेजी जानकारी में आम आदमी पार्टी ने 2016-17 में चंदे के रूप में 24.73 करोड़ रुपये की राशि दिखाई जो कि पिछले साल की तुलना में 4 गुना था। इसके बाद भी आम आदमी पार्टी का चंदा का ग्राफ लगातार बढ़ता रहा।
एनजीओ एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने भी 2016-17 के दौरान क्षेत्रीय दलों को मिले चंदे पर रिपोर्ट जारी जारी की थी। जिसके अनुसार क्षेत्रीय दलों को 2016-17 में कुल 91.37 करोड़ रुपए का चंदा मिला। सबसे अधिक 25.65 करेाड़ रु. चंदा शिवसेना को मिला। उसके बाद आम आदमी पार्टी और शिरोमणी अकाली दल का नंबर आता है।
आयकर विभाग का नियम कहता है अगर कोई किसी राजनीतिक पार्टी को नगद के तौर पर 2000 रुपये से ज्यादा देता है तो उस पर कार्रवाई हो सकती है। इसके लिए डिपार्टमेंट ने समय-समय पर अपनी वेबसाइट पर क्लीन ट्रांजैक्शंस क्लीयर इकोनॉमी नाम से कैंपेन भी चलाती रहती है जिसमें नगद के इस्तेमाल को लेकर जानकारी दी जाती है साथ ही इसमें बताया जाता है कि नगद के इस्तेमाल को लेकर क्या न करें। अगर इन नियमों को कोई तोड़ता है तो न सिर्फ उस पर जुर्माना लग सकता है, बल्कि ITR फाइलिंग में क्लेम किया गया डिस्काउंट भी कैंसल हो सकता है।
आयकर विभाग का उद़देश्य किसी भी तरह की काले धन के सुर्कलेशन पर रोक लगाना है लेकिन आम आदमी पार्टी ने आयकर विभाग को भी सही जानकारी मुहैया नहीं करवाई। और आज वह काले धन को सफेद करने के आरोप में घिरे गई है।