मोदी सरकार ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ दोनों देशों के राष्ट्रीय मुद्रा में व्यापारिक समझौता कर एक प्रकार से अमेरिकी डॉलर की रीढ़ तोड़ दी है। सवाल उठता है कि जिस प्रकार मोदी सरकार ने डॉलर को परे हटा यूएई के साथ व्यापार समझौता जैसा साहसिक पहल की है क्या कांग्रेस पार्टी कभी ऐसी पहले के बारे में सोच भी पाती? मोदी सरकार पर पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते दाम और विदेशी निवेश को लेकर सवाल उठाने वालो, जरा गौर से देखो कि किस प्रकार मोदी सरकार ने निवेश के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ आगे बढ़ गई है।
जरा सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालिद-अल-खली का बयान देखो, जिनमें उन्होंने कहा है किभारत में पेट्रोल के बढ़ते दाम को घटाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने खुद चार बार बैठक कर विश्व में बढ़ रहे क्रूड ऑयल के बारे में मजबूती से अपना पक्ष रखा है। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री ने ओपेक देशों की वियना में हुई बैठक में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने मुझसे मिलकर तेल की बढ़ती कीमत पर भारतीय तेल उपभोक्ताओं की चिंता से अवगत कराया। सऊदी अरब के तेल मंत्री ने कहा, ओपेक कच्चे तेल के उत्पादन पर कटौती का फैसला लेने से पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राय लेगा।
सऊदी अरब के तेल मंत्री खलील अल फलीह ने कहा कहा, हम मोदी की राय पर बेहद संजीदगी से विचार करेंगे, क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरह वे भी इस मुद्दे पर मुखरता से राय रखते हैं। हम उनसे ब्यूनस आयर्स में हाल ही में जी-20 सम्मेलन में मिले हैं। उन्होंने निजी वार्तालाप के दौरान बेहद मजबूती के साथ अपने विचार रखे, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें भारतीय ग्राहकों की चिंता है और वे इस बारे में बेहद गंभीर हैं। मैं भारत में ऊर्जा क्षेत्र के तीन सम्मेलनों के दौरान उनसे मिला, जहां वे इस मुद्दे पर खासा मुखर दिखे।
OPEC (ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) कच्चे तेल का उत्पादन घटाने पर कोई फैसला नहीं ले पाया है। इसकी बड़ी वजह सऊदी अरब का वह बयान है जिसमें कहा गया था कि ओपेक कच्चे तेल के उत्पादन पर कटौती का फैसला लेने से पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राय लेगा। सऊदी अरब के तेल मंत्री खलील अल फलीह ने कहा कि ओपेक गिरती कीमतों को थामने के लिए निर्यात में कटौती करना चाहता है। लेकिन फैसला मोदी सहित दुनियाभर के नेताओं से बातचीत के बाद लिया जाएगा।
एक अन्य महत्वपूर्ण खबर में हाल ही में देश के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारत और UAE के बीच दोनों देशों के राष्ट्रीय मुद्रा में व्यापार करने की योजना समझौता पर हस्ताक्षर किया है। इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच अब अमेरिकी डॉलर में नहीं बल्कि दोनों देशों के अपने राष्ट्रीय मुद्रा में ही व्यापार होंगे। मोदी सरकार ने इस समझौते के तहत एक तीर से दो निशाना साधा है। इस समझौते के बाद जहां देश की अपनी मुद्रा की वैश्विक पहचान बढ़ेगी वहीं अमेरिकी डॉलर की बादशाहत भी खत्म होगी।
Great news! @SushmaSwaraj signs agreement of India-UAE plan to trade in local currency, not dollar!!! https://t.co/20dOox6XRK
— Sunil Jain (@thesuniljain) December 5, 2018
तीसरी महत्वपूर्ण खबर में, मोदी सरकार के कार्यकाल में ही भारत ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने में चीन को भी पीछा छोड़ दिया है। भारत ने विदेशी निवेश के मामले में चीन के दो दशकों की बढ़त को धाराशाई कर दी है। इस साल जहां भारत ने 38 बिलियन डॉलर विदेशी निवेश लाने में सफलता हांसिल की है वहीं चीन विदेशी निवेश के रूप में सिर्फ 32 बिलियन डॉलर हांसिल कर पाया है। भारत को यह सफलता मोदी सरकार की मेक इन इंडिया तथा इज ऑफ डुइंग बिजनेस योजना के कारण मिली है।
India beat China in attracting foreign investment after almost 2 decades.
India got $38 billion investment while China got $32 billion only.
Looks like the result of Make in India & improved rank in Ease of doing Business.
— Anshul Saxena (@AskAnshul) December 6, 2018
देश में वामी कांगी जैसे लोग भी हैं जो मोदी सरकार को पेट्रोल के बढ़ते दाम पर घेरते रहते हैं। जबकि पेट्रो पदार्थों की कीमत वैश्विक स्तर पर क्रूड वॉयल की कीमत पर आधारित होती है। इसमें सरकार के हाथ में करने के लिए बहुत कुछ नहीं होता है। फिर भी पेट्रोल के बढ़ते दाम पर अंकुश लगाने तथा उसके दाम घटाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी स्वयं कितने चिंतित हैं इसका अंदाजा सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालीद अल फलिह के उस बयान से लगाया जा सकता है जो उन्होंने हाल ही में बियाना में संपन्न ओपेक की बैठक में दिया है। वहां उन्होंने खुलासा करते हुए कहा है कि पेट्रो पदार्थों की कीमत कम करने तथा वैश्विक क्रूड ऑयल की कीमत बढ़ने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार बार बैठकें की है। इस दौरान उन्होंने बैश्विक क्रड ऑयल के बढ़ते दाम के खिलाफ मजबूती से अपनी बात रखी है।
"I don't need permission from any foreign government to cut," says Saudi Arabia's Al-Falih at OPEC+ meetings https://t.co/A1drq7jz24 pic.twitter.com/mDBE6cshbK
— Bloomberg TV (@BloombergTV) December 6, 2018
देश के हित में जिस प्रकार के साहसिक फैसले मोदी सरकार ने लिए हैं क्या कांग्रेस को देश की जनता के हित में कभी इस प्रकार के कड़े फैसले लेते देखा है। जिस प्रकार मोदी सरकार ने अमेरिकी मुद्रा डॉलर पर प्रहार कर राष्ट्रीय मुद्री की साख कायम की है क्या कांग्रेस कभी भी इस प्रकार के साहसिक फैसले और अमेरिका के खिलाफ जाने के बारे में सोच भी सकती थी ?
URL : UAE and India inked an agreement to do businesses in their currency!
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