ईश्वर अपने कुछेक कार्य , मेरे ही द्वारा करा रहा है ;
इसीलिये मेरा दायित्व , खुद ईश्वर ही उठा रहा है ।
साफ दिखाई देता मुझको , ईश्वर की मर्जी क्या है ?
कविताओं के सभी शब्द , ईश्वर के हैं मेरे क्या हैं ?
निर्बाध कलम चलती है मेरी , ईश्वर मार्ग दिखाता है ;
मेरा इसमें कुछ भी नहीं है , ईश्वर सब लिखवाता है ।
ईश्वर की ये ही मर्जी है , भारत को हिंदू- राष्ट्र बनाओ ;
धर्म -सनातन की छाया में , प्राणी मात्र को मुक्त कराओ ।
सारा भय – भ्रष्टाचार हटेगा , दिव्य – प्रशासन आयेगा ;
वामी, कामी ,जिम्मी, सेक्युलर, हर जेहादी मिट जायेगा ।
पाप नष्ट होगा धरती से , धर्म का शासन आयेगा ;
बुद्धि शुद्ध होगी नेता की , सत्यनिष्ठ बन जायेगा ।
अब तक पड़ा बुद्धि पर पर्दा , वो पर्दा हट जायेगा ;
हर हालत में सही राह पर , दाढ़ी वाला आयेगा ।
पहले भी ये ठीक-ठाक था, फिर से ठीक-ठाक होयेगा ;
इसको दिशा-भ्रमित जो करता , सलाहकार वो जायेगा ।
सही गलत का पूरा अंतर , स्पष्ट इसे दिख जायेगा ;
गलत राह बतलाने वाला , इसका हर साथी जायेगा ।
आने वाला है नया साल , इसको घर वापस लायेगा ;
सुबह का भूला शाम को लौटे , भूला नहीं कहायेगा ।
हर हिंदू का दायित्व यही है , एक संगठन बन जाओ ;
आपस के सब वैर भुलाकर , एक मंच पर आ जाओ ।
ये ईश्वर की इच्छा है , इस देश को हिंदू – राष्ट्र बनाओ ;
स्पष्ट रूप से इसको मानो , वरना राजनीति से जाओ ।
भारत की गंदी राजनीति , हर हालत में ये जायेगी ;
उदय हो रहा धर्म का सूरज , राष्ट्रनीति अब आयेगी ।
धर्म – सनातन का सूरज ही , हर अंधियारा छांटेगा ;
संकुचित है जो भी मजहब , दुनिया से मिट जायेगा ।
शेष रहेगी मानवता और धर्म का शासन आयेगा ;
धर्म का शासन,न्याय का शासन,कानून का शासन आयेगा।
“वंदे मातरम-जय हिंद”
रचयिता : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”