अर्चना कुमारी । दूसरे धर्म के खासकर हिंदुओं के लाचार तथा आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को मुस्लिम धर्म में कन्वर्ट करने के आरोपी उमर गौतम और उसका कुनबा अभी जेल में बना रहेगा । ऐसा इसलिए क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अवैध धर्मांतरण मामले में मुख्य आरोपी उमर गौतम व उसके बेटे समेत पांच आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया । इस मामले में अदालत ने उनकी जमानत अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि, इन आरोपियों जमानत देना देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा हो सकता है।
लखनऊ बेंच के जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस सरोज यादव की पीठ ने उमर गौतम, उसके बेटे अब्दुल्ला उमर, सलाहुद्दीन, मोहम्मद सलीम व राहुल अहमद उर्फ राहुल भोला की ओर से दाखिल अलग-अलग अपीलों को अलग-अलग आदेशों में खारिज करते हुए पारित किया है। अदालत का स्पष्ट तौर पर कहना है कि आरोपियों को जमानत पर रिहा करने से देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा हो सकता है।
इसके साथ ही कोर्ट ने विचारण अदालत को उनके केस का परीक्षण एक साल में पूरा करने का भी निर्देश दिया है। जमानत लेने के लिए उमर गौतम की ओर से दलील पेश की गई कि, वह जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में वर्ष 1991 से लेक्चरर है। इतना ही नहीं बताया कहा वह सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहते है, उसके खिलाफ स्वयं पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है और उसने धर्मांतरण के लिए किसी के साथ जोर जबरदस्ती नहीं की।
उसके बेटे अब्दुला उमर की ओर से दलील दी गई कि, वह एक अच्छा छात्र है और कथित तौर पर इसका उदाहरण पेश करते हुए कहा कि कैट पास करने के बाद उसे इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली में एमबीए के लिए दाखिला मिला है और वह वर्तमान मामले में नामजद अभियुक्त नहीं है। इसी तरह सलाहुद्दीन, मोहम्मद सलीम व राहुल अहमद उर्फ राहुल भोला की ओर से भी उन्हें मामले में झूठा फंसाने की दलील दी गई।
लेकिन इनके दलीलों को अदालत ने नहीं माना और अपीलों का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम शिव नाथ तिलहरी ने कोर्ट को बताया कि, विदेशों से हवाला व अन्य रास्तों से धन प्राप्त कर इस्लामिक दावा सेंटर व फातिमा चैरिटेबल फाउंडेशन के जरिए अभियुक्त भारत की डेमोग्राफी बदलने के उद्देश्य से अवैध धर्मांतरण में लिप्त थे। उनके निशाने पर औरतें, बच्चे व एससी-एसटी वर्ग के लोग होते थे।
जांच में सामने आया कि, उमर गौतम के गैंग में तीन लेवल थे, पहले लेवल जिसमें स्वयं उमर गौतम था उसका काम योजना बनाना तथा पैसे, संसाधन व बौद्धिक सहयोग हासिल करना था, दूसरे लेवल के अभियुक्तों का काम धर्मांतरण, प्रचार-प्रसार, अवैध दस्तावेज तैयार करवाना व अवैध धर्मांतरण के बाद पुनर्वास की व्यवस्था करना था। जबकि तीसरे लेवल के अभियुक्त मल्टी लेवल मार्केटिंग एजेंट की तरह काम करते थे। इस तरह की दलीलें सुनने के बाद अदालत फिलहाल जमानत देने से मना किया और उनकी याचिका खारिज कर दी।
उल्लेखनीय है कि उमर गौतम शातिर प्रवृत्ति का है और धर्मांतरण रैकेट का खुलासा तब हुआ था जब डासना मंदिर में दो मुस्लिम महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद को मारने आए थे । गौतम के गैंग से जुड़े दो व्यक्ति- विपुल उर्फ रमज़ान और काशिफ़ 2 जून, 2021 की शाम को डासना देवी मंदिर परिसर में अवैध रूप से घुसे थे। कथित रूप से दोनों व्यक्ति हिंदू संतों के सबसे बड़े संप्रदाय ‘जूना अखाड़े’ के महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंहानंद की हत्या के इरादे से आए थे लेकिन दोनों पकड़े गए और बाद में धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश किया गया।
सूत्र बताते हैं दोनों विपुल (रमज़ान) तथा कासिफ धर्म परिवर्तन कराने वाले एक बड़े गिरोह से संबंध रखते हैं, जिसने सुनियोजित योजना के तहत उत्तर प्रदेश के कई शहरों और गाँवों में हज़ारों हिंदुओं का धर्मांतरण करवाया और पूछताछ में पता चला इस गिरोह का सरगना उमर गौतम है ।
बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस इस केस की गहराई तक पहुंची और इस मामले को लेकर कई मुस्लिम आरोपी पकड़े गए और इनमें से सबसे प्रमुख नाम था मौलाना कलीम सिद्धकी का, जिसे गिरफ्तारी से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने अपने कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित किया था। बताया जाता है कि फुलत के मदरसा जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया के निदेशक तथा इस्लामिक विद्वान कहे जाने वाले कलीम सिद्धकी मुंबई में हुए राष्ट्र प्रथम-राष्ट्र सर्वाेपरि कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात कर देश-प्रदेश और सामाजिक मुददों पर चर्चा की थी।
बताया जाता है कि स्ट्रैटजिक पालिसी फाउंडेशन, पुणे के तत्वावधान में मुंबई में राष्ट्र प्रथम-राष्ट्र सर्वोपरि विषय पर संगोष्ठी हुई थी और इसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के साथ-साथ फुलत मदरसा के निदेशक हजरत मौलाना कलीम सिद्दीकी ने भी शिरकत की।मौलाना कलीम सिद्दीकी (62) पर अवैध तरीके से धर्मांतरण और विदेश से फंडिंग लेने का आरोप है। कुछ समय पहले वे अभिनेत्री सना खान का निकाह कराने को लेकर भी चर्चा में रहे थे।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने जांच के आधार पर दावा किया था कि कथित मौलाना कलीम ने एक ट्रस्ट बना रखा है। ट्रस्ट की आड़ में वह धर्म परिवर्तन करा रहा था। ट्रस्ट में विदेशों से फंडिंग की जाती है। मौलाना उत्तर प्रदेश को पूछताछ में बताया था कि वह 15 सालों से धर्म परिवर्तन करा रहा ।