अर्चना कुमारी, दिल्ली। देशद्रोही करतूतों से शर्मसार करने वाले उमर खालिद को दिल्ली दंगा को लेकर एक मामले में जमानत तो मिली लेकिन वह अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएगा। उमर खालिद को कोर्ट निर्देश दिया है कि वह खजूरी खास के एसएचओ को अपना मोबाइल नंबर देगा और हर वक्त मोबाइल नंबर ऑन रखेगा जबकि उसे अपने मोबाइल नंबर पर आरोग्य सेतु ऐप को भी डाउनलोड करके रखना होगा।
दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को बृहस्पतिवार को जमानत मिल गई। अदालत ने उमर खालिद को खजूरी खास में दर्ज एक प्राथमिकी मामले में जमानत दी जबकि दिल्ली में बढ़ते कोरोना के चलते कोर्ट ने जमानत की एक शर्त यह भी रखी है कि उमर खालिद को फोन में आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करके रखना होगा।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने उमर खालिद को 20 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दी है जबकि कोर्ट ने उमर खालिद को कुछ शर्तों के साथ जमानत दी , जिसमें कहा गया है कि वह कोर्ट में होने वाली हर तारीख पर पेश होगा। इसके अलावा उसे कहा गया है कि वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा और ना ही गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेगा।
इतना ही नहीं समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने में सहयोग करेगा। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि उसे सिर्फ इसलिए अनिश्चितकाल तक के लिए जेल में नहीं रख सकते, क्योंकि कुछ लोग जो कि दंगे की भीड़ का हिस्सा रहे उनकी पहचान हो गई है या फिर वे पकड़े गए हैं। दरअसल हिंसा के एक मामले में उमर खालिद को जमानत जरूर मिली लेकिन उसकी अभी रिहाई नहीं हो पाएगी।
कोर्ट के इस आदेश के बावजूद उमर खालिद जेल से रिहा नहीं हो सकता है क्योंकि उसके खिलाफ आतंक विरोधी धारा यूएपीए का मामला भी दर्ज है। कोर्ट ने उमर खालिद को खजूरी खास थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 101 में केवल जमानत दी है लेकिन अन्य प्राथमिकी को लेकर फैसला लंबित है।
जिस मामले में उसे जमानत दी गई, उसमें न्यायालय का कहना है कि यह एक तथ्य है कि उमर खालिद घटनास्थल पर घटना के समय मौजूद नहीं था। इसके अलावा न ही वह किसी सीसीटीवी फुटेज में देखा गया जबकि अदालत ने कहा कि उमर खालिद की न तो किसी स्वतंत्र गवाह ने पहचान की है और न ही पुलिस के किसी गवाह ने।
यहां तक कि उमर खालिद की कॉल डिटेल रिकार्ड से भी ये नहीं साबित हो रहा है कि उमर खालिद घटनास्थल पर था। इस वजह सेे संदेह का लाभ उमर खालिद को देते हुए रिहा किया जाता है।