अति का उत्तर अति! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अतिवादी झूठ का प्रतिउत्तर अति धैर्य से दिया और एक झटके में केजरीवाल का मुखौटा खींच दिया! अरविंद केजरीवाल जब बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री मांग रहे थे तो मोदी चुप थे!
इससे केजरीवाल का यकीन बढ़ता जा रहा था कि मोदी की डिग्री झूठी है और वह और जोर-जोर से चीख चिल्ला रहे थे! उनके चंपुओं- आशुतोष, आशीष खेतान, संजय सिंह और ट्वीटराजियों ने ‘फर्जी मोदी’ का खूब शोर मचाया! ये लोग दिल्ली विश्वविद्यालय तक डिग्री की जांच करने पहुंच गए, जैसे कि ये विजिलेंस अफसर हों! पूरी दुनिया इसे देख रही थी!
आप उस समय के विदेशी अखबारों को देखिए केजरीवाल को आधार बनाकर प्रधानमंत्री मोदी को फर्जी साबित करने की कोशिश की जा रही थी! वैसे भी अंतरराष्ट्रीय मीडिया मोदी की कूटनीति से चकराया हुआ है! इसलिए वे मोदी पर हमला करने का केवल बहाना ढूंढ़ते रहते हैं!
प्रधानमंत्री किसी राष्ट्र का प्रमुख होता है! यदि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी देश के दूसरे समकक्ष से मिलता है तो उसकी छवि बहुत मायने रखती है! अरविंद केजरीवाल ने अगस्ता वेस्टलैंड में सोनिया गांधी के आ रहे नाम से ध्यान भटकाने के लिए इस छवि पर प्रहार की रणनीति बनाई थी और शुरु में उन्हें लग रहा था कि वह सफल हो रहे हैं!
एकाएक प्रधानमंत्री ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व अपने वित्त मंत्री अरुण जेटली को अपने प्रमाण पत्र के साथ मैदान में उतार दिया! मोदी की एक खासियत है कि वह रियेक्ट नहीं करते और अरविंद केजरीवाल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए उनकी इसी खासियत का फायदा उठाना चाहा था!
याद रखिए अरविंद केजरीवाल रेमाॅन मेग्सेसाय पुरस्कार प्राप्त हैं! और आपको मैंने पहले बताया हुआ है कि रेमाॅन मेग्सेसाय के पक्ष में माहौल बनाने के लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईएए ने उनके प्रतिद्वंद्वि पर झूठा ड्रग एडिक्ट का आरोप लगाया और उन्हें समाप्त कर दिया! अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि बहुत मायने रखती है! सीआईए छवि नष्ट करने का खेल खेलता रहा है! अभी हाल ही में रूसी राष्ट्रपति पुतिन को भ्रष्टाचारी साबित करने के लिए पनामा पेपर लीक किया गया! आप सोच कर देखिए, पुतिन के अपने देश से अधिक यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुतिन को नष्ट करने का दांव है! सीआईए द्वारा प्रयोजित रेमाॅन मेग्सेसाय पुरस्कार विजेता केजरीवाल सीआईए के आजमाए फार्मूले पर ही अंतरराष्ट्रीस स्तर पर मोदी की छवि को नुकसान पहुंचाने का खेल खेल रहे हैं! मोदी इसे जानते हैं, इसीलीए प्रमाण पत्र सामने लाने की जरूरत महसूस हुई।
हां तो अरविंद केजरीवाल को लगा कि पीम मोदी इस पर कभी रियेक्ट तो करेंगे नहीं और वह झूठ का प्रचार इतनी जोर-जोर से करेंगे कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जैसे सोनिया गांधी की छवि एक भ्रष्टाचारी के रूप में सामने आयी है, उसी तरह मोदी की अनपढ़, फर्जी डिग्री वाले नेता की छवि बने! अहंकार में डूबे अमेरिका, ब्रिटेन आदि के राष्ट्राध्यक्षों के लिए शिक्षा बहुत मायने रखती है!
अरविंद केजरीवाल की कोशिश यही थी कि अगली बार जब कोई राष्ट्राध्यक्ष मोदी से मिले तो उन्हें हिकारत की नजर से देखे! केजरीवाल ने सोनिया के समकक्ष मोदी को खड़ा करने का यह दांव खेला था, जिसमें प्रारंभिक रूप से वह सफल भी होते दिख रहे थे! लेकिन मोदी तो मोदी ठहरे, खुद न बोलकर अपने सिपहसलारों को आगे कर दिया!
आपने नोटिस किया कि जब मोदी की डिग्री सार्वजनिक की गई तो केजरीवाल खेमे में कितनी बेचैनी थी? पूरी जिंदगी कांग्रेस के लिए पत्रकारिता करने वाले आशुतोष, पूरी जिंदगी कांग्रेस के लिए फर्जी स्टिंग आॅपरेशन करने वाले आशीष खेतान और संजय सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय पहुंच गए थे, विजिलेंस अफसर बनकर, मोदी की डिग्री जांचने! ये लोग इसके बाद भी सवाल उठाकर खुद की विश्वसनीयता को बचाने और मोदी की छवि को नुकसान पहुंचाने में जुटे थे!
इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय ने नरेंद्र मोदी का प्रमाण पत्र सहित, अंक पत्र, पंजीकरण संख्या, रोल नंबर आदि जारी कर केजरीवाल खेमे की सारी साजिशों-योजनाओं को ध्वस्त कर दिया! मोदी ने बिना बोले ही, केजरीवाल की पूरी विश्वसनीयता संदिग्ध कर दी! अब आप ही बताइए कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी किसी संबंधित आॅथरिटी यानी विश्वविद्यालय के प्रमाणों पर भरोसा करेगा या केजरीवाल के सिर्फ बोले हुए झूठ या ट्वीट पर! मैं अंतरराष्ट्रीय बिरादरी इसलिए कह रहा हूं कि वहां पढ़े-लिखे का सम्मान है, यहां तो आज भी मूर्ख श्रेणी के भेड़ केजरीवाल के झूठ का ही ढोल पीट रहे हैं!
इसके बाद भी कुछ लोगों को यह कहने के लिए लगाया गया कि मोदी,केजरीवाल के ट्रैप में फंस गए और डिग्री दिखाने के लिए बाध्य हुए! उसे इग्नोर करना चाहिए, वगैरह! यह कहने वाले लोग भूल जाते हैं कि नरेंद्र मोदी अब केवल नरेंद्र मोदी नहीं हैं, बल्कि वह इस देश के प्रधानमंत्री हैं! जब वह एक प्रधानमंत्री की हैसियत से दूसरे देश के प्रधानमंत्री से हाथ मिलाते हैं तो उनका जो आत्मविश्वास है, वह उनकी ईमानदारी के कारण आता है! सामने वाले राष्ट्राध्यक्ष की आंखों में यदि भारत के प्रधानमंत्री के लिए अनपढ़, फर्जी डिग्रीधारी होने का भाव हो तो भारत की आधी कूटनीतिक हार वहीं हो जाएगी! चीन से हार के बाद पंडित नेहरू की अंतरराष्ट्रीयतावादी छवि को इतना नुकसान पहुंचा कि उन्होंने घुट-घुट कर दो साल के अंदर दम तोड़ दिया!
यह तय मानिए, मोदी हमारी-आपकी अपेक्षा अधिक राजनीति जानते हैं! हम अभी तक मतदाता हैं और वो पूर्ण बहुमत वाले प्रधानमंत्री! उनकी समझ पर इतना तो यकीन आप कर ही सकते हैं! केजरीवाल के फैलाए झूठ के गुब्बारे को उस स्तर तक हवा देना और फिर आखिर समय में गुब्बारा फोड़ देना, यह उनकी रणनीति थी, जिसमें वो सफल हुए हैं!
आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केजरीवाल की अपनी हैसियत सिर्फ सोनिया गांधी या कांग्रेस को कवर देने वाले एजेंट की रह गई है! वह जब कुछ बोलेंगे तो एक बार सामने वाला यह जरूर सोचेगा कि यह आदमी सही बोल रहा है या झूठ और यही नरेंद्र मोदी का मास्टर स्ट्रोक है, जिसे भाजपा का कोई नेता अभी तक नहीं लगा पा रहा था!