भाजपा के उप्र उपचुनाव हारते ही ‘पेटिकोट पत्रकारों’ ने जांच एजेंसी और नौकरशाहों को धमकाना शुरू किया कि “चेत जाओ! जांच रोक दो, अन्यथा तुम्हारी खैर नहीं! 2019 में हमारे मालिक-मालकिन की सरकार आएगी तो तुम सबको बख्शा नहीं जाएगा!” क्या अब भी आपका मन इन दल्लों को पत्रकार मानने/कहने का कर रहा है?
1) यह एम.वेणु है। चिदंबरम का दलाल! अभी नक्सली वेब ‘द वायर’ का सह संस्थापक है। सुना जा रहा है कि कार्ति चिदंबरम से हो रही पूछताछ में हवाला कारोबार में इसका भी नाम सामने आ रहा है। यही कारण है कि उप्र उपचुनाव के बाद इसने CBI और ED को धमकाने के लिए ट्वीट का सहारा लिया है ताकि ये एजेंसिया डर कर जांच धीमी कर दें।
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जो लोग गोरखपुर और खासकर गोरक्ष-मठ की राजनीति को जानते हैं, वो समझ रहे हैं कि योगी ने यह चुनाव हारा नहीं, बल्कि जीता है! एक बार पूर्व में भी यह हो चुका है!
मुख्यमंत्री के रूप में योगी को फ्री हैंड चाहिए, और कुछ लोग खुद को सुपर सीएम समझ उनकी उड़ान को रोकने में जुटे है! बड़ी जीत के लिए छोटी हार की यह चक्रव्यूह वाली राजनीति है!
कारपोरेट दलाल नीरा राडिया के टेप में भी इस वेणु की आवाज थी। इसने नीरा राडिया से अनुरोध किया था कि इसकी एक चेली रोहिणी सिंह को पोलिटिकल सर्कल में घुसाए। आज वह रोहिणी सिंह भी ‘फेक न्यूज फैक्टरी’ ‘ द वायर’ की टीम का हिस्सा है।
2) कुछ दिनों पूर्व बिजनस स्टैंडर्ड ने भी चिदंबरम के बेटे की गिरफ्तारी के बाद एक लेख लिखकर CBI और ED के अधिकारियों को धमकाया था! उस लेख में लिखा गया था कि ‘2019 में पी चिदंबरम अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं।’ इसका मकसद भी चिदंबरम के बेटे से हो रही पूछताछ को रोकना, डिले करना और जांच एजेंसी पर दबाव बनाना था।