यूपीए सरकार ने अपने कार्यकाल में न सिर्फ कई सारे घोटालों को अंजाम दिया बल्कि शिक्षा के मंदिर को भी अपवित्र करने का पाप किया था। यूपीए सरकार में मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने अपनी चहेती तीस्ता सीतलवाड़ के माध्यम से स्कूली बच्चों के मन में सांप्रदायिकता और भेदभाव का जहर घोलने की भरपूर कोशिश की थी। सिब्बल ने एनसीईआरटी की अनुशंसा को दरकिनार कर तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा तैयार घृणित पाठ्यक्रम और विषय सामग्री तीसरी से छठी क्लास के बच्चों को पढ़ने पर मजबूर किया था, जबकि एनसीईआरटी ने तीस्ता सीतलवाड़ की पाठ्य सामग्रियों को सांप्रदायिकता और भेदभाव का जहर फैलाने वाला बताते हुए खारिज कर दिया था।
मुख्य बिंदु
* बच्चों के मन में वैमनस्य भरने के अभियान के लिए तीस्ता सीतलवाड़ को एचआरडी मंत्रालय ने दिया था 1.40 करोड़ का फंड
* एनसीईआरटी के अधिकारियों ने सीतलवाड़ के पाठ्य पुस्तकों को विषैला बताते हुए कर दिया था खारिज
इसी मामले में गुजरात पुलिस की अहमदाबाद अपराध शाखा ने 21 मई 2018 को तीस्ता सीतलवाड़ और यूपीए सरकार के खिलाफ कई सनसनीखेज आरोप लगाते हुए एक हलफनामा दायर किया है। अहमदाबाद अपराध शाखा ने तीस्ता सीतलवाड़ पर तीसरी से छठी क्लास के स्कूली बच्चों में वैमनस्यता और सांप्रदायिकता का जहर बोने का आरोप लगाया है। इस मामले में मिली शिकायत के आधार पर मानव संसाधन मंत्री ने जांच के लिए एक आतंरिक समिति का गठन कर दिया है।
इस मामले में एनसीईआरटी के दो पूर्व अधिकारियों ने भी माना है कि यूपीए सरकार के तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल के इशारे पर तीस्ता सीतलवाड़ ने बच्चों के लिए जो पाठ्य सामग्री तैयार की थी उसका उद्देश्य बच्चों में सांप्रदायिक सहिष्णुता बिगाड़ना था।
अपराध शाखा के हलफनामें में साफ आरोप लगाया गया है कि तीस्ता सीतलवाड़ और उसके पति जावेद आनंद ने सीएबीई के सदस्य के रूप में अपनी हैसियत का बेजा इस्तेमाल ही नहीं किया बल्कि स्कूली बच्चों में वैमनस्य और सांप्रदायिकता का जहर भरने का षड्यंत्र भी रचा था। इसके साथ ही उन दोनों पर अवैध तरीके से सरकार से फंड लेकर उसका उपयोग अपने प्रोजक्ट ‘खोज’ के लिए करने का आरोप लगाया है। वैसे सभी जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ के सारे एनजीओ के खिलाफ बगैर उचित प्रक्रिया के अवैध तरीके से फंड लेने की जांच चल रही है। तीस्ता का एनजीओ, चाहे सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस हो या सबरंग, भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे है।
तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा स्कूली बच्चों के लिए तैयार की गई किताबों के बारे में एनसीईआरटी के अधिकारियों का कहना है कि निश्चित रूप से उनकी पाठ्य सामग्री सामाजिक समरसता को जोखिम में डालने वाली थी। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी किताब में देश की न्यायिक व्यवस्था की भी आलोचना की थी, उन्होंने भारतीय संविधान पर सवाल खड़ा किया था। इसके अलावा भगवाकरण से लेकर राजनीति तक की आलोचना की गई थी। जबकि 2002 के दंगे को सांप्रदायिक विमर्श के तहत प्रस्तुत किया गया था। एनसीईआरटी ने तीस्ता की पाठ्यसामग्री को विषैला बताते हुए उसे खारिज कर दिया था। लेकिन तत्कालीन शिक्षा मंत्री के अधीन चलने वाले मानव संसाधन मंत्रालय ने उसे मंजूरी दे दी। एनसीईआरटी के अधिकारियों ने कपिल सिब्बल का नाम लेते हुए कहा कि यह उनका एक राजनीतिक फैसला था।
मालूम हो कि इस प्रकार स्कूली बच्चों के मन में देश और समाज के खिलाफ जहर भरने का अभियान चलाने के लिए तीस्ता सीतलवाड़ को यूपीए सरकार ने करोड़ो का फंड दिया था। सबरंग ट्रस्ट के खोज प्रोजेक्ट के तहत इस प्रकार का अभियान चलाया गया। मानव संसाधन मंत्रालय ने इसके लिए खोज प्रोजक्ट को 1.40 करोड़ रुपये का फंड दिया था।
हालांकि इसकी शिकायत वर्तमान एचआरडी मंत्रालय तक पहुंच चुकी है। इस मामले में एचआरडी मंत्रालय के सचिव को चिट्ठी भी लिखी गई है। मंत्रालय ने भी तत्काल कदम उठाते हुए इस मामले की जांच करने के लिए एक आंतरिक जांच समिति का गठन कर दिया है।
URL: Upa government promoted communal curriculam in ncrt books via setalvad ngo
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