कांग्रेसी नेता पी.चिदंबरम के लिए दलाली करने के आरोपी तिकड़मी पत्रकार उपेंद्र राय को हाईकोर्ट ने आईना दिखा दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि जो पत्रकार दूसरों के खिलाफ खबरें प्रकाशित करता रहा हो, आज उसके खिलाफ खबर प्रकाशित हो गयी तो इतनी हाय-तौबा क्यों मचा रहा है? एक पत्रकार द्वारा 100 करोड़ के मानहानि से पहले कोर्ट-फीस के रूप में एक करोड़ रुपये जमा कराने को लेकर भी अदालत ने आश्चर्य व्यक्ति किया कि क्या पत्रकारों के पास इतने पैसे होते हैं? अदालत ने उपेंद्र राय द्वारा वेबसाइट पीगुरु के खिलाफ दायर 100 करोड़ की मानहानि की याचिका को खारिज करते हुए अपनी यह टिप्पणी दी।
pgurus.com के खिलाफ दायर याचिका खारिज होते ही उपेंद्र राय द्वारा indiaspeaksdaily.com, उसके प्रधान संपादक संदीप देव व उपसंपादक संजीव जोशी के खिलाफ भेजी 100 करोड़ की मानहानि का नोटिस स्वतः ही खारिज हो गया है। अदालत ने पीगुरु के तथ्यों को सही पाया है। इंडिया स्पीक्स डेली ने पीगुरु को साभार देते हुए ही उपेंद्र राय के खिलाफ तथ्यों का प्रकाशन हिंदी में किया था, इसलिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद इंडिया स्पीक्स के खिलाफ उपेंद्र राय का नोटिस स्वतः खारिज हो जाता है।
strong>मुख्य बिंदु
* कोर्ट ने वादी उपेंद्र राय की आय तथा इस केस के लिए कोर्ट की करीब एक करोड़ फीस देने पर जताई हैरानी
* कोर्ट ने पूछा, जो काम उपेंद्र राय खुद सालों से दूसरों के खिलाफ करता रहा वह अपनी बारी आने पर इतना व्यथित क्यों?
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की एकल बेंच ने पीगुरु वेबसाइट और उसके संचालक के खिलाफ पत्रकार से लॉबिस्ट बने उपेंद्र राय की मानहानि की याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही एक पत्रकार के नाते उपेंद्र राय की संपत्ति और करोड़ों रुपये टैक्स चुकाने पर भी हैरानी जताई है। इसके साथ ही उपेंद्र राय के वकील से पूछा कि जो व्यक्ति खुद सालों से दूसरों के खिलाफ यह काम (खबरें लिखना और प्रकाशित करना) करता रहा हो वह अपने मामले में इतना दुखी क्यों? और तो और एक न्यूज संवाददाता के खिलाफ इस मामले के लिए कोर्ट की एक करोड़ से भी अधिक फीस चुकाने के लिए तैयार हो जाना भी प्रश्न खड़ा करता है?
उपेंद्र राय ने पीगुरु को अपनी मानहानि के लिए सौ करोड़ का नोटिस भेजा था। बाद में इसी संदर्भ में उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में मानहानि की याचिका दायर की थी। लेकिन कोर्ट ने राय की याचिका को सही नहीं पाया। न्यायमूर्ति सहाय ने कहा कि आवेदन में दिए सभी कारणों की जांच करने के बाद यह स्पष्ट है कि इसके तहत कोई मामला बनता ही नहीं है, इसलिए याचिका खारिज की जाती है। पीगुरु के खिलाफ याचिक खारिज हो जाने के बाद इंडिया स्पीक्स डेली को दिया गया सौ करोड़ का नोटिस स्वत: अमान्य हो जाएगा।
इससे पहले न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ ने उपेंद्र राय के वरिष्ठ वकील से इस मामले में कई सवाल जवाब किए। न्यायधीश ने उनसे पूछा कि आखिर जो व्यक्ति खुद ही न्यूज संवदादाता के रूप में दूसरों के खिलाफ इस प्रकार की खबरें प्रकाशित करने के लिए मशहूर हो वह अपने मामले में क्यों इतना व्यथित है? इस मामले में कोर्ट की एक करोड़ से अधिक फीस चुकाने को तैयार होना अपने आप में संदेहास्पद है।
इसके अलावा न्यायधीश सहाय ने एक पत्रकार के रूप में राय की संपत्ति पर भी हैरानी जताई। उन्होंने वकील से पूछा कि आखिर को नौकरी पेशा पत्रकार करोड़ों रुपये टैक्स कैसे चुका सकता है? अंत में न्यायमूर्ति सहाय ने कहा कि मानहानि केस के लिए दायर आवेदन में दिए गए सभी कारणों की जांच से यही स्पष्ट होता है कि इस मामले को आगे बढ़ाने का आदेश देना उचित नहीं है।
पीगुरु वेबसाइट पर प्रकाशित अंग्रेजी स्टोरी के आधार पर ही इंडिया स्पीक्स डेली ने हिंदी में स्टोरी प्रकाशित किया था। उपेंद्र राय ने इंडिया स्पीक्स डेली के खिलाफ भी मानहानि का सौ करोड़ का नोटिस भेजा था। अब जब कोर्ट ने पीगुरु के खिलाफ याचिका रद्द कर दी है, ऐसे में इंडिया स्पीक्स डेली को दिया गया सौ करोड़ का नोटिस स्वत: अमान्य हो जाएगा।
URL: Upendra Rai’s defamation petition rejected by Delhi high court
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