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India Speak Daily > Blog > मीडिया > फिफ्थ कॉलम > हर कीमत पर सच का गला दबाना चाहते हैं शहरी नक्सली और इस्लामी गठजोड़
फिफ्थ कॉलम

हर कीमत पर सच का गला दबाना चाहते हैं शहरी नक्सली और इस्लामी गठजोड़

Sonali Misra
Last updated: 2020/09/14 at 12:51 PM
By Sonali Misra 120 Views 7 Min Read
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7 Min Read
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Nandini Sunder (नंदिनी सुन्दर)

दिल्ली दंगों पर Bloomsbury से किताब का प्रकाशन रुकवाने के बाद भी शहरी नक्सलियों को चैन नहीं है।  लोगों तक सच न जाए इस कारण वह हर तरह के कदम उठा रहे हैं। ताजा मामला है नंदिनी सुन्दर द्वारा दिल्ली दंगे 2020 पर गरुड़ प्रकाशन को नोटिस भेजे जाने का। यह नोटिस था सीज एंड डेसिस्ट अर्थात बंद करें और रोकें नोटिस! पहले यह जानते हैं कि आखिर यह नोटिस क्यों और किसे भेजा जाता है? भारतीय क़ानून के अनुसार एक सीज एंड डेसिस्ट नोटिस को किसी व्यक्ति या व्यापार को तब भेजा जाता है जब वह किसी ट्रेडमार्क की नकल कर रहा हो या बौद्धिक संपत्ति की चोरी कर रहा हो। बताते चलें कि यह नंदिनी सुन्दर वही नंदिनी सुन्दर हैं, जिन पर एक सुकमा में एक आदिवासी की हत्या कराने का आरोप है, तथा यह आरोप किसी और ने नहीं बल्कि उस आदिवासी की पत्नी ने लगाया था। और इस मामले में पुलिस में एफआईआर भी दर्ज की गयी थी।

मगर गरुड़ प्रकाशन ने तो ऐसा कुछ भी नहीं किया है, जिसके लिए उन्हें तरह का कोई भी नोटिस भेजा जाए। दरअसल दिल्ली दंगों में कुछ तो ऐसा है, जो शहरी नक्सलियों को परेशान कर रहा है। इस किताब के माध्यम से उनका मोडस ओपेरंडी सामने आ रहा है। उनका पूरा का पूरा नेक्सस सामने आ रहा है। दिल्ली पुलिस द्वारा फ़ाइल की गयी चार्जशीट भी यही बताती हैं कि दिल्ली दंगों में इन शहरी नक्सलियों का हाथ सबसे ज्यादा था। तो क्या इसी लिए नंदिनी सुन्दर परेशान हैं? तो क्या नंदिनी सुन्दर यह सब उन सभी को बचाने के लिए कर रही हैं, जिनके नाम अभी हाल ही में दिल्ली दंगों के खिलाफ चार्जशीट में पुलिस ने शामिल किए थे?

सभी को यह याद होगा कि कैसे Bloomsbury India ने वामी-इस्लामी लॉबी से डरकर अंतिम क्षणों में दिल्ली दंगे 2020 किताब के प्रकाशन से हाथ खींच लिए थे और उसके बाद यह किताब गरुड़ प्रकाशन से प्रकाशित हो रही है। परन्तु कहीं न कहीं चोर तो उस पूरी की पूरी लॉबी के मन में जो बार बार ऐसे कदम उठाने के लिए उन्हें उकसा रहा है। जैसे ही गरुड़ प्रकाशन से इस किताब के प्रकाशन की बात फाइनल हुई, और लोगों ने हाथों हाथ इस किताब को लिया, वैसे ही इस किताब को रोकने वालों के हाथों के तोते ही जैसे उड़ गए और उन्होंने पहले तो उसके pdf कॉपी को whatsapp पर फैलाया, जिसके दूसरे पन्ने पर साफ़ लिखा है कि यह कॉपी वही कॉपी है जिसका प्रकाशन Bloomsbury करने जा रहा था। अब यह प्रश्न खड़ा होता है कि आखिर यह pdf कॉपी किसने लीक की! इस बाबत इस इस पुस्तक की लेखिकाओं ने दिल्ली में पुलिस के पास अपनी शिकायत दर्ज कराई है।

इन सब साजिशों के बाद अगली साज़िश के रूप में नंदिनी सुन्दर का यह कदम सामने आया। हालांकि इस नोटिस का जबाव गरुड़ प्रकाशन की तरफ से दे दिया गया है। ट्विटर पर गरुड़ प्रकाशन के संस्थापक संक्रांत सानु ने कहा कि यह बहुत ही ताकतवर इकोसिस्टम है, जिसे पूरी दुनिया से फंडिंग मिलती है और उनका नेटवर्क पूरी दुनिया में बहुत मजबूत है। और दुनिया में लगभग सभी प्रकाशन हिन्दुओं के खिलाफ कहानी चलाते रहते हैं, हिन्दू द्वेष की कहानियाँ चलाते हैं और दुर्भाग्य से भारत में भी यही ताकतें प्रभावी हैं।

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उन्होंने आगे सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर दिल्ली दंगों पर किताब में ऐसा क्या है जिसके कारण वह लोग इतना घबरा गए हैं और हर कीमत पर इस किताब को रोकना चाहते हैं?”

The ecosystem is powerful, with worldwide connections, funding. Practically all major media worldwide, publishing, continues to push a one-sided story which demonizes Hindus.

And even in India these forces are so strong. https://t.co/Q3kd4Gn7xa

— Sankrant Sanu सानु संक्रान्त ਸੰਕ੍ਰਾਂਤ ਸਾਨੁ (@sankrant) September 10, 2020

दिल्ली दंगों में जैसे जैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ रही है वैसे वैसे लाल आतंक की भूमिका सामने आती जा रही है। योगेन्द्र यादव, सीताराम येचुरी और दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर अपूर्वानंद का नाम और उनकी भूमिका सामने आ रही है। वामपंथी संगठन पिंजरा तोड़ के सदस्यों की भूमिका भी सामने आई है।

जाहिर है, कि इस किताब में कुछ ही नहीं बहुत कुछ ऐसा है जिसके कारण इन शहरी नक्सलियों की नींद गायब है, वह बेचैन हैं। वह साज़िशों के उस जाल के खुल जाने के डर से बेचैन हैं, जो उन्होंने बुद्धिजीवी के नाम पर फैला रखे हैं।

इसी मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए गरुड़ प्रकाशन के सह संस्थापक अंकुर पाठक ने कहा कि इस तरह का आधारहीन नोटिस केवल और केवल एक छोटे प्रकाशन को बेवजह तंग करने के लिए ही लाया गया है। और चूंकि यह किताब अभी तक बाज़ार में आई ही नहीं है तो इस पर यह नोटिस कैसे भेजा जा सकता है।

अंकुर पाठक ने यह भी कहा कि यदि आप किसी किताब से सहमत नहीं हैं तो आप उसके सामने कोई किताब अपने तर्कों के साथ ला सकते हैं, मगर आप किसी को भी अपनी बात कहने से रोक नहीं सकते!

मगर शहरी नक्सली किसी को अपनी बात नहीं कहने देना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि वह जो दिखाएं पाठक वही पढ़े, वह इस लोकतांत्रिक देश में अपने विचार के अलावा हर विचार का गला घोंटना चाहते हैं। वह दिल्ली दंगे 2020 की लेखिकाओं मोनिका अरोड़ा, प्रेरणा मल्होत्रा और सोनाली चितलकर तथा प्रकाशक गरुड़ प्रकाशन की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पूरी तरह से खत्म करना चाहते हैं। मगर उनके द्वारा किए गए षड्यंत्र का ही परिणाम है कि अब तक इस किताब की लगभग 30,000 से ज्यादा प्रतियां बुक हो चुकी हैं।

शहरी नक्सली और इस्लामी गठबंधन को इस बार हारना ही होगा!

#urbannaxals #Delhiriots2020 #truthofdelhiriots #redterror #deathofdemocracy #freedomofexpression

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TAGGED: Bloomsbury, Bloomsbury India, Delhi Riots, Delhi Riots 2020
Sonali Misra September 14, 2020
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Sonali Misra
Posted by Sonali Misra
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सोनाली मिश्रा स्वतंत्र अनुवादक एवं कहानीकार हैं। उनका एक कहानी संग्रह डेसडीमोना मरती नहीं काफी चर्चित रहा है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति कलाम पर लिखी गयी पुस्तक द पीपल्स प्रेसिडेंट का हिंदी अनुवाद किया है। साथ ही साथ वे कविताओं के अनुवाद पर भी काम कर रही हैं। सोनाली मिश्रा विभिन्न वेबसाइट्स एवं समाचार पत्रों के लिए स्त्री विषयक समस्याओं पर भी विभिन्न लेख लिखती हैं। आपने आगरा विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में परास्नातक किया है और इस समय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से कविता के अनुवाद पर शोध कर रही हैं। सोनाली की कहानियाँ दैनिक जागरण, जनसत्ता, कथादेश, परिकथा, निकट आदि पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।
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2 Comments 2 Comments
  • Avatar Prerna Malhotra says:
    September 14, 2020 at 1:32 pm

    जन जन तक सत्य पहुंचाने का संकल्प लेकर इंडिया स्पीक्स डेली अपना पत्रकारिता धर्म निभा रहा है। पूरी टीम को साधुवाद।

    Loading...
    Reply
  • Avatar Jitendra Kumar Sadh says:
    September 14, 2020 at 3:20 pm

    बडे बेशर्म लोग हैं

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    Reply

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