अमरीकी राष्ट्रपति डांनल्ड टृम्प ने चीन को एक और बड़ा झटका दिया. इस बार उनका प्रहार चीनी सोशल मीड्या कंपनी ट्क टांक पर है. टृम्प ने कहा कि यदि 15 सितम्बर तक टिक टांक अपना बिज़नेस किसी अमरीकी कंपनी को नही बेचता है तो अमरीका टिक टांक पर बैन लगा देगा.
कुछ समय पहले ही भारत ने टिक टांक, वी चैट सहित 55 चीनी एप्स को बैन किया था. इसके अलावा हाल ही में भारत ने 49 ऐसी चीनी एप्स को भी बैन किया जिनमे से अधिकतर 55 बैन की हुई एप्स का क्लोन थीं.
भारत के चीन की एप्स को प्रतिबंधित करने के बाद से अमरीका और आस्ट्रेलिया सरीखे विकसित देश भी इन एप्स को बैन करने का विचार बना रहे हैं. इन एप्स में से सबसे ज़्यादा निशाने पर टिक टांक है, जो कि विश्व भर के युवाओं में एक सर्वाधिक लोकप्रिय एप है.
वैसे माइक्रोसाफ्ट और टिक टांक के बीच भी कुछ समय से बातचीत चल रही है. यानि माइक्रोसांफ्ट अमेरिका में टीक टांक के कारोबार का अधिग्रहण कर सकती है. खबरों के अनुसार माक्रोसांफ्ट और टिक टांक के बीच जो अभी बातचीत चल रही है, उसके मुताबिक माइक्रोसांफ्ट टिक टांक का सिर्फ 30 प्रतिशत बिज़नेस टेकोवर कर सकता है. जबकि अमरीकी राष्ट्रपति डांनल्ड ट्र्म्प 100 प्रतिशत टेकोवर के पक्ष में हैं.
टिक टांक अब चीन और अमरीका के बीच गहराते डिजिटल युद्द का हिस्सा बन गया है. अमरीका राष्ट्रपति डांनल्द टृम्प का टिक टांक के अमरीकी टेकोवर की बात करना सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से नहीं जुड़ा है. बल्कि यह एक मौका है अमरीकी बिज़निसेज़ के लिये विश्व की इतनी पांपुलर सोशल मीडिया को खरीदने का.
यह माइक्रोसांफ्ट के लिये भी एक महत्व्पूर्ण मौका है क्योंकि यदि माक्रोसांफ्ट टिक टांक के अमरीकी आंपरेशन खरीद लेता है, तो यह उसकी सोशल मीडिया स्पेस में एक एंट्री होगी. अब तक सोशल मीडिया स्पेस में माइक्रोसांफ्ट की कोई खासा पहचान नहीं है.
वैसे चीनी एप्स को बैन करने का सारा मसला इस बात से जुड़ा है कि चीन इन एप्स के ज़रिये विभिन्न देशों पर जासूसी करता है और वहां के नागरिकों से जुड़ा डाटा इन एप्स के ज़रिये सीधे चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के पास जा पहुंचता है. भारत ने भी इसी वजह से गलवान मुठ्भेड़ के बाद वहां की एप्स को प्रत्बंधित करने का कड़ा फैसला लिया था. और अब अमरीकी राष्ट्रपति डांनल्ड ट्र्म्प भी उसी दिशा में आगे बढ्ते हुए दिखाई दे रहे हैं.