बहुत ही दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण घटना। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें। जो जीवित हैं इसी प्रकार की संवेदना व्यक्त करेंगे तब तक जब तक जीवित हैं।
कोरोना पर पिछले 10 महीनों में काफ़ी ज्ञान बड़े-बड़े दिग्गजों और शोधकर्ताओं ने दिये हैं। पूरा विश्व कोरोना से बचने के लिये या तो वैक्सीन बना रहा है या फिर इंतज़ार कर रहा है।
आप सभी के साथ जीवन का सबसे बहुमूल्य समय जीने के नाते मुझे लगा कि एक बार पुनः कोरोना से जुड़ी अपनी समझ को साझा करूँ हो सकता है आप में से कोई पढ़े और अमल करें।
कोरोना एक साधारण वाइरस है जो हमारे वातावरण में समाहित है। यह उसी तरह से धरती पर रहेगा जैसे हम, इसलिये इसके साथ जीना सीख लें। कोरोना सभी के शरीर में प्रवेश करेगा, इसे कोई नहीं रोक सकता परन्तु जिनकी भी प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत होगी उन्हें कभी पता नहीं चलेगा और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति में लक्षण दिखेंगे और यदि प्रतिरोधक क्षमता उपयुक्त एन्टीबॉडी नहीं बना पाई तो मृत्यु भी हो सकती है।
प्रतिरोधक क्षमता कम होने का सबसे बड़ा कारण है मॉडर्न मेडिसिन। जो लोग नियमित रूप से किसी भी प्रकार की दवा का सेवन कर रहे हैं उनकी प्रतिरोधक क्षमता उतनी ही कमजोर होगी। अत: यदि संभव हो तो मॉडर्न मेडिसिन से निकलने का प्रयास करें या फिर कम से कम खायें, जितना संभव हो और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का विशेष प्रबंध करें।
प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने का दूसरा कारण है मास्क। किसी भी मास्क के सबसे छोटे छेद का साइज 10 माइक्रॉन है और कोरोना का आकार 0.06 से 0.14 माइक्रॉन है, अत: आपके मास्क के सबसे छोटे छेद से 100 कोरोना एक साथ अंदर आ सकते हैं। सवाल उठता है कि मास्क क्या रोकेगा? मास्क आपके शरीर से निकलने वाली CO2 के निकास को बाधित करेगा। CO2 का साइज 0.33 माइक्रॉन का है अत: CO2 छेद से तो निकलेगी पर मास्क के अन्य भाग से बाधित होगी और यह फँसी हुई CO2 पुनः अंदर जायेगी। इससे आपके शरीर में CO2 की मात्रा बढ़ जायेगी। चूँकि 70% ब्लड ब्रेन प्रयोग करता है अत: ब्रेन में CO2 की मात्रा बढ़ जायेगी और O2 की कमी हो जायेगी, फलस्वरूप ब्रेन सेल पर्याप्त एनर्जी नहीं बना पायेंगे। ब्रेन में एनर्जी की कमी के कारण लोगों में डिप्रेशन, ओ सी डी और एन्गजाइटी की समस्या बढ़ती जा रही है। इसके अलावा शरीर के अन्य सेल भी ऑक्सीजन की कमी के कारण पर्याप्त एनर्जी नहीं बना पाते जिससे प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। अत: सरकारी नियमों का सम्मान करने और चालान से बचने के लिये मास्क अवश्य पहने परन्तु प्रयास करें कि अधिक से अधिक समय मास्क ना लगायें, जिससे आप स्वस्थ रह सकें।
दूसरा विश्व स्वास्थ्य संगठन के आदेशानुसार सभी मृत्यु को कोरोना में शामिल करना अनिवार्य है, जिससे कोरोना को ख़तरनाक साबित किया जा सके। अत: कोरोना निमित्त अधिकांश मौतें या तो किसी पुरानी बीमारी के कारण हुई या फिर उस दवा के साइड इफ़ेक्ट के कारण हुई जिनका व्यक्ति विशेष पर ट्रायल किया गया। वास्तविक रूप से कोरोना सिर्फ़ उन्हीं के लिये घातक हैं जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है। हिन्दुस्तान में रहने वालों में सबसे कमजोर प्रतिरोधक क्षमता महानगरों में रहने वालों की है, उसके बाद सिलसिलेवार शहर, क़स्बे और गाँवों की। इसका मुख्य कारण लाइफ़ स्टाइल, दिनचर्या, खानपान, तनाव तथा वातावरण का एक्सपोज़र है।
वास्तविकता तो यह है कि कोरोना एक व्यापार है, लोगों को भयभीत कर दवाओं के बाज़ार को गर्म करने का। देशव्यापी लॉकडाउन, मास्क, पी पी ई किट, वेन्टीलेटर, सैनेटाइजर, इम्यूनिटी, हैंड वाशिंग, काढ़ा, हैंड ग्लव्स, सोसल डिस्टेन्सिंग इत्यादि शब्दों का प्रयोग कर पूरे विश्व को डराने का काम किया गया। इस विश्वव्यापी साज़िश के तहत सभी की आर्थिक सम्पन्नता छीन ली गई और आज करोड़ों बेरोज़गार हो गये।सभी रोज़गार समाप्त हो गये, आख़िर कब तक कोई किसी को घर बैठे खिलायेगा। जब कोरोना के 300 केस थे तो देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया और आज जब देश में कोरोना मरीज़ों की संख्या 50 लाख के पार पहुँचने वाली है तो पूरे देश को अनलॉक की प्रक्रिया शुरू है? यह
क्या है?
समूचे विश्व से महामारियों (चेचक, हैज़ा, प्लेग) को समाप्त करने के कारण मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम ने पूरी दुनिया में अपनी धाक जमा ली थीं परन्तु अब कोरोना महामारी में उसकी असफलता ही उसके डाउनफॉल का कारण बनेगा। अभी तक कोरोना ही नहीं किसी भी वाइरस की ना कोई दवा बनी है और ना ही बन पायेगी। प्लाज़्मा थिरैपी – उधार की प्रतिरोधक क्षमता हो सकता है आपको एक बार बचा ले पर चूँकि कोरोना हमारे वातावरण में समाहित है अत: कब तक आप कोरोना से बच पायेंगे। वैक्सीन दवा की कम्पनियों की विश्वव्यापी साज़िश है क्योंकि कोरोना एक वाइरस नहीं अपितु पूरा परिवार है जिसमें 7 से 11 तरह के वाइरस हैं। प्रत्येक वाइरस के लिये एक वैक्सीन चाहिए अत: एक व्यक्ति कितनी वैक्सीन ले पायेगा, वैक्सीन कितने अंतराल में देनी पड़ेगी और क्या उसकी प्रतिरोधक क्षमता सभी के लिये उपयुक्त एन्टीबॉडी बना पायेगी? इसके अलावा साइन्टिस्ट ने यह भी बताया कि कोरोना की एन्टीबॉडी खून में बहुत कम समय तक मौजूद रहती है, अत: वैक्सीन कितने दिनों के लिये कारगर होगी इस पर भी संदेह उत्पन्न हो गया है।
अंतत: कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय सस्टेन्ड प्रतिरोधक क्षमता है और एक स्वस्थ व्यक्ति के लिये निम्न पाँच बुनियादी उपाय हैं-
(1) घर का बना हुआ शुद्ध ताज़ा भोजन जिसमें सीज़नल सब्ज़ियाँ, मसाले, दूध एवं शुद्ध देशी घी भी हो।
(2) आधा से एक घंटे का नियमित व्यायाम / योग।
(3) छ: से आठ घंटे की अच्छी नींद।
(4) शरीर को उपयुक्त आराम
(5) तनाव रहित जीवन
इसके अलावा बच्चों, बूढ़ों एवं निरंतर दवा खाने वाले लोगों के लिये कुछ अतिरिक्त इंतज़ाम भी आवश्यक हो सकता है।
अत: अफ़सोस ज़ाहिर करने, दवा / थिरैपी / वैक्सीन का इंतज़ार ना करें जो आपके लिये संभव है उसे अवश्य करें और अपनी प्रतिरोधक क्षमता को निरंतर मज़बूत बनाये रखें जिससे आप कोरोना मुक्त रहकर पहले की तरह सामान्य जीवन जी सकें।
कमान्डर नरेश कुमार मिश्रा
फाउन्डर ज़ायरोपैथी
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