देश के स्वास्थ्य मंत्री कह रहें हैं कि कोरोना को सक्सेसफुली नियंत्रित कर लिया गया है। अभी तक पहले चरण की पहली वैक्सीन भी पूरी तरह से नहीं लग पाई है पर कोरोना का ग्राफ़ फ़्लैट हो गया है। ऐसा बताया जा रहा है कि कोरोना केरल और महाराष्ट्र में अधिक सक्रिय है
अत: यदि वैक्सीन इतनी ही कारगर है तो सरकार इन प्रदेशों में वैक्सीन को लगाने में पूरी ताक़त क्यों नहीं झोंक देती जिससे कोरोना जड़ से समाप्त हो जाये और हमारा देश कोरोना मुक्त राष्ट्र घोषित हो जाये।
दरअसल सरकार वैक्सीन की असलियत को समझती है और देश में वैक्सीन का तिरस्कार होने के कारण आज हमारी सरकार पड़ोसी देशों को मुफ़्त में वैक्सीन बाँट रही है।

ज़ाहिर है कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनियाँ वैक्सीन मुफ़्त में नहीं दे रहीं। सभी जानते है कि ये मुफ़्त में दान दी जा रही वैक्सीन की क़ीमत कौन चुकायेगा ?
आज जब समूचा देश और देशवासी एक भीषण आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं तो देशवासियों का दोहन कर दानवीर कर्ण बनने का कुछ अलग आशय है। पूरी उम्मीद है कि इस बार देश में नोबेल पुरस्कार अवश्य आयेगा।
अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, चीन इत्यादि देश हमसे कई गुना आर्थिक सम्पन्नता के बावजूद वैक्सीन बेंच रहें हैं और हमारा देश 110% प्रतिशत सुरक्षित वैक्सीन दान दे रहा है।
आज हर हिन्दुस्तानी अपने जीवन की कमाई का 60% से 70% किसी ना किसी रूप में टैक्स देता है और उसके हिस्से में महज 30% से 40% ही आता है, यही कारण है
कि देशवासियों की आर्थिक दशा में सुधार होने की बजाय नेताओं और पूँजीपतियों के स्विस बैंक अकाउंट और घोटाले खुलते हैं।
कुछ लोग सोच रहें होंगे कि वे टैक्स नहीं देते परन्तु यह भ्रम मात्र है और अदृश्य रूप में हम सभी उसी प्रकार टैक्स दे रहे होते हैं जैसे कोई भी विज्ञापन आप देखें या ना देंखे सामान लें या ना लें पर पैसा आप भी दे रहे होते हैं।
कोई कुछ भी कहे परन्तु 10 सालों में बनने वाली वैक्सीन 10 महीनों में बनने पर अविश्वास होना स्वाभाविक है। सवाल यह है कि यदि वैक्सीन 10 महीनों में बन सकती है तो क्या पहले वाले वैज्ञानिक और शोधकर्ता मानवता को धोखा दे रहे थे?
एक तरफ़ वैक्सीन प्रयोग के लिये इमरजेंसी एप्रूवल की बात कही जा रही है और साथ में उसे 110% सुरक्षित भी बताया जा रहा है ? यह कहना उचित होगा कि अभी तक के ट्रायल में वैक्सीन सुरक्षित है पर इसके लॉंगटर्म साइड इफेक्ट क्या होंगे यह नहीं पता।
येनकेन प्रकारेण सरकार सभी को वैक्सीन लगवाने पर आमादा है उससे यह स्पष्ट है कि वैक्सीन लगाने में देशवासियों का हित कहीं नहीं है परन्तु किसी का स्वार्थ अवश्य निहित है।
मेरी देशवासियों से अपील है कि आप अपनी इम्यूनिटी को स्ट्रॉंग बनाये रखिये और वैक्सीन लगवाने या ना लगवाने का उचित निर्णय स्वयं लीजिए, जीवन आपका है इसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी आपकी है सरकार की नहीं।
अधिक जानकारी के लिये कोरोना संबंधित मेरे पूर्व में प्रकाशित लेखों को भी पढ़ें जिससे आप उचित निर्णय से सकें।
कमाण्डर नरेश कुमार मिश्रा
फाउन्डर ज़ायरोपैथी
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