वज्रमूर्ख हिंदू अभिभावक , बच्चों को न धर्म बताते ;
रामायण , गीता , महाभारत , भूले से भी नहीं पढ़ाते ।
धन – दौलत की चकाचौंध में , स्त्री- पुरुष हो चुके अंधे ;
धर्म – सनातन भुला दिया है , ऐसे ही हैं अक्ल के अंधे ।
सेक्युलरिज्म के जाल में फंसकर, धर्म-सनातन भुला दिया ;
शत्रु-बोध पूरा बिसराया , इसी से गर्दन कटा दिया ।
सौ में नब्बे हिंदू – नेता , शत – प्रतिशत अब्बासी – हिंदू ;
हिंदू – धर्म के पक्के – दुश्मन , सब के सब हैं फर्जी- हिंदू ।
महामूर्ख हिंदू इतना है , इन पर ही विश्वास करे ;
गांधी से लेकर आज के नेता , हिंदू से ही घात करें ।
प्रत्यक्ष उदाहरण इसका देखो , झूठा- इतिहास पढ़ाते हैं ;
आरक्षण से हिंदू बांटा , पर तृप्तिकरण बढ़ाते हैं ।
धर्म- भ्रष्ट सब चरित्र -भ्रष्ट हैं , केवल सत्ता के लोभी हैं ;
गंदी – वासना के पुतले हैं , इसी से सत्ता – लोभी हैं ।
सब के सब कमजोर हैं कायर , जेहादी से डरते हैं ;
अपना गला बचाने को ये , हिंदू का गला कटाते हैं ।
बहुत लालची पुरस्कार के , नोबेल-प्राइज भी चाहें ;
महामूर्ख ये सब के सब हैं , हीरा-जनम गंवाना चाहें ।
श्वान , बिलोटा , शूकर जैसा , इनका पूरा जीवन है ;
खाद्य-अखाद्य सभी कुछ खाते,कितना धिक्कृत जीवन है ?
लोकेषणा इस कदर है हावी , अपनी पूजा करवाते हैं ;
पर गुंडों के डर के मारे , हिंदू को मरवाते हैं ।
क्या बंगाल है?केरल क्या है? कश्मीर को पूरा जला दिया ;
पूर्वोत्तर-भारत भी तोड़ा , दुश्मन-घुसपैठिया बसा दिया ।
रहना – खाना सभी मुफ्त है , रोहिंग्या को बसा रहे ;
जम्मू में घुसपैठ करा कर , रोशनी-एक्ट को बचा रहे ।
कानूनों पर नहीं है श्रद्धा , केवल मतलब की बात है ;
इनका जहां भी मतलब होता , खाते गुंडों की लात हैं ।
राजनीति गिर चुकी है इतनी , जहरनीति इसको मानो ;
धर्मद्रोह का जहर-हलाहल , हिंदू अपनी मृत्यु ही जानो ।
हमको अपनी मृत्यु टालना , हिन्दू – धर्म बचाना है ;
धर्म पर चलना तभी है बचना , “हिंदू-राष्ट्र” बनाना है ।
कान खोल कर हिंदू सुन लो , हमको धर्म बचाना है ;
घर – परिवार व देश बचेगा , “धर्म का शासन” लाना है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”,रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”