आज वीरे दी वेडिंग देखने के बाद ये जरूर कहूंगा कि पाकिस्तान का फिल्म सेंसर बोर्ड हमारे सेंसर बोर्ड से कहीं ज्यादा समझदार है। मुझे ख़ुशी है कि इस फिल्म को पाकिस्तान में प्रतिबंधित कर दिया गया। एक भद्दी सेक्स कॉमेडी टाइप ये फिल्म सेंसर बोर्ड से क्लियर कैसे कर दी गई? लड़की अपनी मित्र से कह रही है ‘किस करने से क्या होगा, उस पर चढ़ बैठ! गाड़ी लेने से पहले टेस्ट ड्राइव नहीं लेगी क्या’?
फिल्म की समीक्षा से पहले सवाल ये किया जाना चाहिए कि भौंडे डबल मीनिंग संवादों से भरी फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ को प्रदर्शन का प्रमाणपत्र देते समय माननीय सेंसर बोर्ड के सदस्य क्या सो रहे थे? आज इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद ये चर्चा आम हो गई है कि क्या अब ऐसे गंदे संवादों को फिल्मों में आसानी से जगह दे दी जाएगी। ये फिल्म इतनी भौंडी है कि समीक्षा के लायक भी नहीं है। जिस फिल्म में अभिजात्य वर्ग की लड़की अपनी दोस्त के मंगेतर से कहती हो ‘मुझे भी टेस्ट कर यार’, क्या वह चर्चा के भी लायक है? हैरत की बात है कि फिल्म में धड़ल्ले से अश्लील संवाद बोलती करीना कपूर, स्वरा भास्कर और सोनम कपूर कुछ दिन पूर्व कठुआ में एक बच्ची की मौत पर विरोध प्रदर्शन कर रही थीं!
चार दोस्त हैं। चारों अरबपति खानदान की बिगड़ी कन्याएं हैं। एक अपने पति को लंदन छोड़ आई है। दूसरी लंदन में अपने विदेशी पति के साथ है। तीसरी को शादी के लिए लड़का नहीं मिल रहा, हालांकि अपने बॉस के साथ सारी मौज-मस्ती कर चुकी है। चौथी की शादी होने जा रही है लेकिन बस इसलिए मना कर देती है कि लड़के के माता-पिता जरूरत से ज्यादा रस्मे लाद रहे हैं। जिस तरह का भारत इस फिल्म में दिखाया गया है, वह तो इस ब्रम्हांड में ही कहीं नहीं है। अभिजात्य वर्ग की महिलाएं क्या इतनी लंपट होती है कि दूसरे की मौजदगी में पति के साथ सेक्स करने में असहजता महसूस नहीं करती?
फिल्म की कहानी बेहतर थी। इसे सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता था, लेकिन फिल्म को चलाने की चाह में स्क्रीनप्ले को बद से बदतर बना दिया गया। एक नारीवाद हमने आलिया भट्ट की फिल्म ‘राजी’ में देखा था और एक नारीवाद ‘वीरे दी वेडिंग’ में देख रहे हैं। एक अलग तरह का चश्मा पहन कर मूवी रिव्यू करने वाले क्रिटिक इसे साहसिक फिल्म बता रहे हैं। सेक्स पर भद्दे संवाद डाल देने से क्या ये साहसिक प्रयास माना जाएगा? ‘ओमरेटा’ और ‘परमाणु’ जैसी फ़िल्में साहसिक प्रयास नहीं हैं,साहस तो ‘वीरे दी वेडिंग’ के निर्देशक शशांक घोष ने दिखाया है! कमाल है!
स्वरा भास्कर का कोई सीन बिना सिगरेट के नहीं फिल्माया गया है। जब भी वे परदे पर आती है तो परदे पर ‘नो स्मोकिंग’ की चेतावनी दिखाई जाती है। शराब पीकर लड़खड़ाती ये नारी बात-बात पर सिगरेट पीकर कौन-सा नारीवाद बुलंद कर रही है, राम जाने? भारतीय रीति-रिवाजों की निर्देशक ने जमकर बैंड बजाई है। एक जगह हमें संवाद सुनाई देता है ‘ये क्या है ऑल धिस शिट तिलक’। करीना कपूर के किरदार का नाम ‘कालिंदी’ है, जिसे उसके मित्र कालू कहकर पुकारते हैं।
कालू को सगाई के दौरान रिश्तेदारों का बात करना पसंद नहीं आता। उसे छोटे बच्चों के साथ फोटो खिंचवाना बोझ लगता है। पार्टी में कालू की सहेलियां पैग पर पैग लगा रही है और वह स्टेज पर बैठी कुढ़ रही है। उसे ये पसंद नहीं आता कि सगाई की अंगूठी कुछ बड़ी क्यों बना दी गई है। इसके तनाव में वह चार पैग मार लेती है, जो कि निर्देशक के हिसाब से अभिजात्य वर्ग में आम बात है।
इस भारत में ‘दो भारत’ बसते हैं। एक है इंडिया और दूसरा भारत। भारत को ये फिल्म पसंद आ जाए, इसमें संदेह है। भारत की पसंद अभी इतनी गिरी नहीं है। इंडिया इस फिल्म को पसंद करेगा, उसमें भी मुझे शक है। अभिजात्य वर्ग भी ऐसा भौंडापन नहीं दिखाता, जैसे फिल्म में प्रस्तुत किया गया है। झूठी और खरीदी हुई समीक्षाओं के बल पर ‘वीरे दी वेडिंग’ महानगरों में थोड़े-बहुत दर्शक जुटा सकती है लेकिन बड़ी कामयाबी भूल जाइये। सोनम कपूर, करीना कपूर और स्वरा भास्कर का कॅरियर अब समाप्ति की ओर है और वीरे दी वेडिंग में तीनों ने बाकायदा इसकी घोषणा कर दी है।
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