अर्चना कुमारी। दिल्ली हिंसा को लेकर जेल में बंद दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद की जमानत की अर्जी पर कड़कड़डुमा कोर्ट में सुनवाई हुई। फिलहाल कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा । एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अब 14 मार्च को उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुनाएंगे ।
सुनवाई के दौरान उमर खालिद के वकील ने कहा कि अपने साथ होने वाले दुर्व्यवहार के खिलाफ बोलने का मतलब यह नहीं हो जाता कि अल्पसंख्यक सांप्रदायिक हैं। दरअसल उमर खालिद ने दिल्ली दंगों से जुड़े एक गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के मामले में जमानत की मांग की। उसकी तरफ से कोर्ट में अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने कहा कि कुछ वॉट्सऐप ग्रुपों पर उनके मुवक्किल की चुप्पी को अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया था लेकिन इन वॉट्सऐप ग्रुप पर उमर खालिद की कोई सक्रियता नहीं रही है।
किसी की चुप्पी को उसके खिलाफ माना जा रहा है। पेस ने कहा कि सीएए और एनआरसी को भेदभावपूर्ण कहना मुझे सांप्रदायिक नहीं बनाता । उन्होंने खालिद की पीएचडी थीसिस का जिक्र किया जो झारखंड के आदिवासियों पर बताई गई। उन्होंने कहा- व्यक्ति किसी मुद्दे को उठाता है तो उसे सांप्रदायिक नहीं कह सकते, क्योंकि वह लोगों के एक वर्ग के बारे में लिखता है। जिन अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है उनके लिए बोलना उन्हें सांप्रदायिक नहीं बनाता है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम का बहुत सारे लोगों ने विरोध किया। रामचंद्र गुहा, टीएम कृष्णा और कई लोगों ने इस कानून के खिलाफ बात की है। उन्होंने कहा कि अभियोजन के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उमर खालिद ने शरजील इमाम का परिचय योगेन्द्र यादव से कराया था। उसके वकील ने कहा कि चार्जशीट बिना किसी आधार के नहीं दाखिल की जा सकती है और इस मामले के पूरक चार्जशीट में आरोप बिना तथ्यों के लगाए गए हैं ।
इस पर दिल्ली पुलिस की तरफ से अमित प्रसाद ने उमर खालिद समेत दूसरे आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में टेरर फंडिंग हुई थी और इस मामले के आरोपी ताहिर हुसैन ने काले धन को सफेद करने का काम किया। उनके अनुसार हिंसा के दौरान 53 लोगों की मौत हुई थी जबकि इस मामले में 755 प्राथमिकी दर्ज की गई ।
गोली चलने की 13 घटनाएं घटीं, 581 एमएलसी दर्ज और हिंसा में 108 पुलिसकर्मी घायल हुए, जबकि दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। बाद में इस हिंसा से जुड़े करीब 24 सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया लेकिन पूरी घटना में किसी भी साजिशकर्ता को कोई नुकसान नहीं हुआ। इस वजह से उमर खालिद तथा दूसरे अन्य आरोपियों को जमानत कतई नहीं दी जा सकती।
इस बीच कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के दौरान करावल नगर रोड पर कुछ दुकानों में लूटपाट और आगजनी के मामले में ताहिर हुसैन समेत दस आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर सुनवाई टाल दी है और एडिशनल सेशंस जज वीरेंद्र भट्ट ने आरोप तय करने के मामले पर 13 अप्रैल को सुनवाई करने का आदेश दिया