5600 करोड़ से ज्यादा की ठगी किए जाने वाले शातिर शख्स को आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने धर दबोचा है। दबोचे गए आरोपी की पहचान अंजनी सिन्हा के तौर पर की गई और पुलिस का दावा है कि यह आरोपी NSEL (नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड) के सीईओ है।
दिल्ली पुलिस के अनुसार अंजनी सिन्हा को मुंबई से गिरफ्तार किया गया है। छानबीन में खुलासा हुआ है कि इस शातिर के कंपनी ने करीब 13 हजार लोगों से ठगी की है। दिल्ली में भी इस कंपनी ने करोड़ों की ठगी की थी।
दिल्ली पुलिस के अनुसार इस बाबत अश्विन जे शाह, जतिंदर कुमार आहूजा और सैयद हबीब उर रहमान की तरफ से EOW को शिकायत दी गई थी।
उन्होंने बताया ब्रोकरेज फॉर्म इंटीग्रेटेड कमोडिटी ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड ने उनके साथ ठगी की है, इस कंपनी के निदेशकों ने कमोडिटी मार्केट में रुपए लगाने की बात कही।
उन्हें बताया गया कि एनएसईएल में उनके रुपए पूरी तरीके से सुरक्षित हैं और उन्हें बाद में मोटा मुनाफा मिलेगा। ठगों ने दावा किया की यह कंपनी सरकार से जुड़ी हुई है।
इसलिए उन्होंने करोड़ों रुपये लगा दिए, लेकिन मुनाफा तो दूर उन्हें लगाए हुए रुपये भी वापस नहीं मिले। दरअसल, ब्रोकर को यह सुनिश्चित करना था कि कॉमोडिटी खरीदने एवं बेचने पर होने वाला मुनाफा निवेशकों को मिले।
एनएसईएल ने लोगों से ठगी के इरादे से टी-25 प्रोजेक्ट के तहत पैसे लगवाए। ब्रोकरेज फॉर्म भी एनएसईएल के लिए काम करती थी और इसके लिए उन्होंने सरकार से किसी प्रकार की मंजूरी नहीं ली थी।
कमोडिटी के नाम पर मोटे मुनाफे का झांसा एनएसईएल ब्रोकर द्वारा निवेशकों को दिया गया। यह पूरी तरीके से अवैध था और पोंजी स्कीम के समान था। एनएसईएल ने अक्टूबर 2008 में अपनी शुरुआत टी वन कॉन्ट्रैक्ट से की थी,
जिसके अनुसार कमोडिटी खरीदने वाला भुगतान करेगा और उसके अगले दिन उसे स्टॉक डिलीवर होगा, लेकिन 2009 में एनएसईएल के डायरेक्टर ने इस अवधि को बढ़ाकर 11 दिन कर दिया।
इसके बाद भी मंत्रालय से बिना अनुमति के उन्होंने कई नए प्रोजेक्ट लांच किए।EOW के पास आए तीन शिकायतकर्ताओं को लगभग 7.5 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।
इसी तरह मुम्बई में हुई शिकायतों में एनएसईएल द्वारा लगभग 13000 लोगों से 5600 करोड़ रुपए ठगे गए थे। इस जानकारी के बाद पुलिस ने जांच शुरू की और रविवार को मुंबई से अंजनी सिन्हा को गिरफ्तार कर लिया।
उसने पुलिस को बताया कि वह जिग्नेश शाह के लिए काम करता था, जो ग्रुप का एमडी और चेयरमैन है। जिग्नेश अपनी सब्सिडियरी कंपनी के द्वारा से मुनाफा कमाना चाहता था।
इसलिए उसने एनएसईएल में मंत्रालय से मिले लाइसेंस का उल्लंघन कर फर्जीवाड़ा किया। छानबीन में खुलासा हुआ है कि 2009 में उसने कैस्टर सीड का कारोबार शुरू किया।
इसके बाद कई अन्य कमोडिटी को उसने एनएसईएल के जरिए लांच किया। इसमें स्टील, शुगर, कॉटन, मस्टर्ड सीड आदि शामिल हैं। 2012 तक उनके पास 500 से ज्यादा ब्रोकर रजिस्टर्ड हो चुके थे।
2011-12 में उन्हें 26 करोड़ का मुनाफा हुआ, लेकिन इसके बाद जिग्नेश ने शुगर को लेकर नई ट्रेडिंग कमोडिटी लॉन्च की। उन्होंने लोगों को 16 फीसदी मुनाफे का लांच देकर वह माल बेचा जो वास्तव में वेयरहाउस में था ही नहीं।
इसकी वजह से एनएसईएल प्लेटफार्म पर बड़ा कारोबार हुआ और कंपनी को 2012-13 में 125 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ। दिल्ली पुलिस का कहना है आरोपी अंजनी सिन्हा पैसे से अकाउंटेंट है ।
2012 में उसे कंपनी ने सीईओ बना दिया था। उसे 1.80 करोड़ रुपये सालाना वेतन मिलता था।