अर्चना कुमारी । केंद्रीय जांच ब्यूरो ने आईसीआईसीआई ऋण मामले में वीडियोकॉन समूह के मालिक को गिरफ्तार कर लिया । इस मामले में यह तीसरी बड़ी गिरफ़्तारी है। इससे पहले सीबीआई आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था।
केंद्रीय जांच ब्यूरो का कहना है कि बैंक लोन फ्रॉड केस में वेणुगोपाल धूत को गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि जब चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की कमान संभाल रही थीं, तब उन्होंने वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया था और इसके बदले में चंदा के पति दीपक कोचर की कंपनी नू रिन्यूएबल को वीडियोकॉन से निवेश मिला था।
दावा किया गया है कि इन लोन्स के NPA होने से बैंक को 1730 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। केंद्रीय जांच ब्यूरो का आरोप है कि कोचर ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और वेणुगोपाल धूत से अपने पति के माध्यम से अनुचित लाभ प्राप्त किया।
2010 और 2012 के बीच वीडियोकॉन समूह को बैंक द्वारा ऋण दिए जाने के कुछ महीनों बाद बदले में न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया था।जांच में पता चला कि वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ का बैंक लोन देने के मामले में यह निवेश किया गया और सीबीआई ऋण को एक समिति द्वारा मंजूरी दी गई थी, जिसमें चंदा कोचर एक सदस्य थीं।
इस घोटाले को लेकर सीबीआई ने चंदा कोचर, उनके पति और वेणुगोपाल धूत के साथ-साथ नूपावर रिन्यूएबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। गौरतलब है कि वेणुगोपाल धूत वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन हैं। भारत के अरबपति व्यक्तियों में इनकी गिनती होती है। 2015 में फोर्ब्स की सबसे अमीर लोगों की सूची में वेणुगोपाल धूत को 61वां स्थान हासिल हुआ था। तब धूत की संपत्ति 1.19 बिलियन डॉलर थी।