विपुल रेगे। ‘आदिपुरुष’ का फाइनल ट्रेलर बुधवार को रिलीज किया गया। ट्रेलर देखने के बाद सहज ही विचार आता है कि रामायण की ऐसी दुर्गति और कोई निर्देशक कर सकता था या ओम राउत को ही इस मामले में अव्वल समझा जाए। निर्माता भूषण कुमार की इस घालमेल खिचड़ी को मैन स्ट्रीम मीडिया ने अपने कंधों पर उठा रखा है लेकिन दर्शकों की राय मीडिया से अलग दिखाई देती है। भूषण कुमार और उनकी टीम के लिए चिंता की बात है कि फ़ाइनल ट्रेलर दर्शकों की नकारात्मक राय को सकारात्मक नहीं बना सका है।
मूंछो वाले राम, वनवास में गहने पहने सीता जी, बिना मूंछों वाले हनुमान, फौजी हेयर कट वाला रावण, वानर सेना में विचरते गोरिल्ला, मानव से भगवान बनने का नैरेटिव, विनम्र राम के स्थान पर आक्रामक-कठोर वचन बोलने वाले राम, डार्क टोन वाले दृश्य, ‘लार्ड ऑफ़ रिंग्स’ के दृश्यों की कॉपी, रावण की सेना में उड़ते पिशाच, एक विदेशी चित्रकार के चित्र की नकल कर आदिपुरुष का पोस्टर , extraction फिल्म के अंडरवॉटर दृश्य की चोरी, चमगादड़ जैसी शक्ल जैसे विमान पर रावण की सवारी, ‘प्लेनेट ऑफ़ द एप्स’ के गोरिल्लाओं की वानर सेना , ‘मैन ऑफ़ द स्टील’ का समुद्र के ऊपर उड़ने वाला दृश्य जस का तस चुरा लेना, विनम्र राम की भाषा को कठोर और निम्न स्तरीय बनाना।
निर्देशक ओम राउत के अपराधों की गिनती करने बैठेंगे तो शायद एक किताब लिखने की ज़रुरत पड़ जाए। रामायण की ऐसी भयानक दुर्गति इससे पहले कभी नहीं देखी गई। पात्रों का विन्यास बदल दिया गया। वीएफएक्स के नाम पर बचकाने कार्टूनिश इफेक्ट्स डाले गए। सीता के पात्र के लिए कृति सेनन का चुनाव भयंकर मिस्कास्टिंग के चलते हुआ। अब तक आधुनिक बाला के रुप में फिल्मों में नज़र आई कृति को अचानक सीता बनाने को दर्शक स्वीकार नहीं कर पाया।
प्रभास अपनी ‘बाहुबली इमेज’ से बाहर आकर राम के चरित्र में ढल नहीं पाए। सैफ खान रावण के कद के आगे बौने दिखाई देते हैं। इस महत्वपूर्ण किरदार में वे फिट नहीं दिखाई दे रहे हैं। दर्शक की नाराज़गी के बाद फिल्म में परिवर्तन का वादा करना और बाद में ठेंगा दिखा देना, फिल्म निर्माता को महंगा पड़ने वाला है। फिल्म को महंगे दाम में बेचकर दर्शक को अहसास करवाया गया कि वह इस खेल में शुरु से बाहर था। निर्माता ने फिल्म के प्रचार पर जितना खर्च किया, उतना बदलाव में खर्च कर देता तो कुछ इज़्ज़त बच जाती।
अयोध्या में फिल्म का टीजर एक भव्य समारोह में रिलीज किया गया था और फाइनल ट्रेलर पर लगभग तीन करोड़ रुपये फूंक दिए गए। ‘आदिपुरुष’ को शर्तिया सफल मानकर चल रहे भूषण कुमार ने फाइनल ट्रेलर की रिलीज पर पचास लाख के तो पटाखे ही जला दिए। भूषण कुमार और ओम राउत सफलता को लेकर आश्वस्त हैं। अब वे फेक रिव्यूज, फेक पब्लिक रिव्यूज और फेक आंकड़ों की मदद से बॉक्स ऑफिस जीत सकते हैं लेकिन दर्शक का टूटा हुआ दिल नहीं जुड़ेगा। 550 करोड़ का महंगा तमाशा 440 करोड़ में बेच दिया गया है। बाकी बचा थियेटर रिलीज से जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।
ये तो तय है कि फिल्म को वैसा फुटफॉल नहीं मिलेगा, जैसी उम्मीद की जा रही है। निर्माता ने फिल्म बेचने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। हर थियेटर में एक सीट खाली रखी जाएगी। ये सीट श्री हनुमान के लिए रिजर्व रहेगी। फिल्म में हनुमान की छवि का जो हाल किया गया है, उसके बाद चिरंजीवी शायद ही अपनी रिजर्व सीट पर जाकर बैठना पसंद करेंगे। फाइनल ट्रेलर में दिखाया गया है कि सीता का हरण करने आए रावण के माथे का तिलक अदृश्य हो जाता है। उसके बांहों पर बंधे रुद्राक्ष टूट जाते हैं। फिर वह अपनी जटाओं में सीता जी को बांधकर ले जाता है। क्या सीता हरण के दृश्य में नवीनता लाने के लिए कथा सूत्र ही बदल दिए जाएंगे?
गलतियों और गुस्ताखियों से भरी ‘आदिपुरुष’ का पहला सप्ताह पार कर पाना दुर्गम दिखाई देता है। ओम राउत ने दर्शकों को फाइनल ट्रेलर दिखाकर बड़ा उपकार किया है। कम से कम इसके बाद दर्शक थियेटर में टिकट कटाने के बजाय दूर से ओम राउत को ‘सीताराम’ बोल देगा।