आयकर विभाग NDTV की संपत्ति जब्त करने जा ही रहा था कि अचानक केंद्र सरकार में बैठे ‘अदृश्य हाथ’ ने उसकी मदद कर दी! प्रणय व राधिका राय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को धता बताते हुए संपत्ति बेच दिया! पढिए पूरी रिपोर्ट….
प्रणव राय और राधिका राय द्वारा संयुक्त रूप से संचालित एनडीटीवी लगातार कोर्ट के आदेश के साथ आईटी आदेशों का उल्लंघन कर रहा है, लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। एक बार फिर उसने अपनी एक संपत्ति बेचकर आईटी आदेश का खुला उल्लंघन किया है। जबकि कोर्ट का आदेश है कि जब तक मामला सुलझ नहीं जाता तब तक NDTV को अपनी कोई भी संपत्ति बेचने का अधिकार नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एक बार फिर अपनी संपत्ति बेचकर एनटीवी ने कोर्ट की अवमानना नहीं की है? वहीं दूसरा सवाल ये उठता है कि आखिर केंद्र सरकार में बैठा वह कौन सा शख्स है जिसका अदृश्य हाथ हमेशा उसे बचाने के लिए आगे आ जाता है?
मुख्य बिंदु
एक बार फिर अपनी संपत्ति बेचकर एनडीटीवी ने आईटी एक्ट का सरेआम उल्लंघन किया है
आखिर सरकार मैं बैठा कौन सा शख्स उसे जांच एजेंसियों की कार्रवाई करने से बचा रहा है
pgurus.com ने एक बार फिर एनडीटीवी द्वारा अपनी संपत्ति बेचकर कोर्ट की अवमानना करने का खुलासा किया है। इससे पहले भी इस वेबसाइट ने आईटी आदेश के विपरीत एनडीटीवी की संपत्ति बेचने का खुलासा किया था। उस समय आयकर विभाग के जिस अधिकारी भूपिंदरजीत कुमार ने एनडीटीवी की जालसाजी का पर्दाफाश किया था, बाद में उस अधिकारी का ही वहां से तबादला कर दिय गया। आयकर विभाग के कई अधिकारियों का कहना है कि 31 मार्च 2018 तक बकाये का भुगतान नहीं करने पर भूपिंदरजीत कुमार एनडीटीवी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने की पहल कर रहा था। कर का भुगतान नहीं किए जाने के कारण आयकर विभाग एनडीटीवी की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर रहा था, लेकिन अचानक रहस्यमय तरीके से ऐसा नहीं हो पाया।
अब एक बार फिर एनडीटीवी ने अपनी संबंधित कंपनी रेड पिक्सेल वेंचर लिमिटेड (RPLV) के कुछ शेयर ए आर चढ़ा एंड कंपनी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के हाथों बेचने का निर्णय किया है। मालूम हो कि ए.आर.चड्ढा ही NDTV की नई दिल्ली स्थित दफ्तर का मालिक भी है। एनडीटीवी ने ये शेयर दफ्तर के किराए चुकाने के नाम पर बेचा है। इनफोर्समेंट डायरेक्टरेट, सीबीआई तथा आईटी विभाग की कार्रवाई के बावजूद उसने दावा किया है कि उन्होंने अपनी 7.38 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की सहमति स्टॉक एक्सचेंज से ले ली है।
मालूम हो कि आयकर विभाग ने एनडीटीवी को किसी भी संपत्ति बेचने से वंचित कर रखा है। 16 जून 2017 को जारी अपने आदेश के तहत आयकर विभाग एनडीटीवी को लिखा था कि आकलन अधिकारी की सहमति के बगैर आप न तो अपनी संपत्ति किसी को बेच सकते हैं न ही हस्तांतरित कर सकते हैं। अब सबसे ताज्जुब की बात ये है कि आयकर विभाग के इतने स्पष्ट आदेश के बावजूद एनडीटीवी दफ्तर के मालिक ए आर चड्ढा और उनकी कंपनी कैसे दफ्तर के किराये के एवज में समस्याग्रस्त कंपनी के शेयर स्वीकार कर रहे हैं?
ऐसा नहीं है कि आयकर का ही मामला है बल्कि प्रवर्तन निदेशालय (इनफोर्समेंट डायरेक्टरेट) ने भी माननीय जस्टिस शकदर (दिल्ली हाईकोर्ट) की पिछली सुनवाई के दौरान यह सुनिश्चित कर चुका है कि एनडीटीवी के मालिक प्रणव राय को समन दिया जा चुका है और PMLA के तहत उनका बयान दर्ज किया जा चुका है।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि एनडीटीवी ने आयकर विभाग के निर्देश का अवमानना कर उसका मजाक उड़ाया हो। इससे पहले भी साल 2017 के जून में एनडीटीवी ने अपनी चार ऑनलाइन कंपनियां कोयला घोटाले के आरोपी केजेएस ग्रुप के हाथ बेची थी। उसने खुद 23 जून को स्टॉक एक्सचेंज में जमा कराए गए घोषणपत्र में एनडीटीवी ने कहा है कि उसने अपनी चार ऑनलाइन कंपनियां NDTV Lifestyle, NDTV Convergence, NDTV Worldwide, NDTV Ethnic Retail Limited नमेश होटल्स एंड रिजॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के हाथों बेची हैं।
अब सवाल उठता है कि एनडीटीवी इस प्रकार से खुल्लमखुल्ला ऐसे कैसे कर सकता है? जबकि कई विभागों ने उसपर अपनी संपत्ति बेचने पर पाबंदी लगा रखी है। दूसरी बात यह क्या ऐसा कर एनडीटीवी दिल्ली हाईकोर्ट की अवमानना नहीं कर रहा है? आखिर वह किसके शह पर यह सब कुछ कर रहा है
नोट: यह पूरी खबर https://www.pgurus.com/ पर दर्ज सूचनाओं के आधार पर साभार लिखी गयी है। India speaks daily इसमें से किसी भी तथ्य की पुष्टि का दावा नहीं करता है।
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