अब समय आ गया है कि अमिताभ बच्चन को महानायक के स्थान पर महाअभिनेता कहकर संबोधित किया जाए। उनकी उन तमाम फिल्मों को खारिज नहीं किया जा सकता, जिन्होंने भारतीय दर्शकों को मनोरंजन के अद्भुत पल दिए लेकिन उनका ये संबोधन अवश्य ख़ारिज किया जा सकता है। पोलियो के लिए उनके अभियान, सामाजिक कार्यों में योगदान के लिए उनको हम महानायक कहते थे लेकिन मुंबई में घटे दुःखद घटनाक्रम पर उनका अखंड मौन हमें अब प्रेरित करता है कि उन्हें इस संबोधन के बोझ से मुक्त कर दिया जाए। तटस्थता उनको कई विवादों से बचाती है और साथ ही उनका व्यावसायिक चक्का भी निर्बाध घूमता रहता है। वे समझते हैं कि जैसे और झंझावत गुज़र गए, ये भी गुज़र जाएगा।
अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार से उनके प्रशंसक बहुत नाराज़ हैं। ये नाराज़गी ट्वीटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लगातार प्रकट की जा रही है। अमिताभ बच्चन की चुप्पी को उनकी व्यावसायिक विवशता बताया जा रहा है।
ऐसा कोई कानून नहीं है कि अमिताभ या अक्षय कुमार सुशांत की हत्या या कंगना के अपमान पर कुछ कहे। फ़िल्मी हस्तियों के लिए ऐसा कोई प्रोटोकॉल नहीं है। भारतीय दर्शक उनकी निजी छवि से प्रभावित नहीं होता बल्कि उन आक्रामक चरित्रों से प्रभावित होता है, जो वे परदे पर निभाते रहे हैं।
वे परदे पर अन्याय के विरुद्ध मुक्के बरसाते हैं। उनके निभाए किरदारों को उनके प्रशंसक वास्तविकता में निभाने का प्रयास करते हैं। अमिताभ और अक्षय जानते ही नहीं कि उनके निभाए चरित्रों ने दर्शकों के मन में उनकी एक योद्धा की छवि खड़ी कर दी है।
पिछले छह साल में कई अभिनेताओं ने अपने मौन और अपनी मुखरता के चलते अपने लाखों प्रशंसक खो दिए। आमिर खान, शाहरुख़ खान, सलमान खान की बयानबाज़ी ने उन्हें सिंहासन से ही उतार दिया।
आज ख़ान तिकड़ी तेज़ी से पतन की ओर अग्रसर है। इन तीनों अभिनेताओं ने इस देश से बहुत प्यार और नाम पाया लेकिन जब दर्शकों ने देखा कि उनकी निष्ठा इस देश के प्रति है ही नहीं, तब वे दर्शक के मन से उतर गए। ये तीनों एक बात भूल गए थे कि दर्शक ही उनका भाग्य विधाता है।
ऐसे ही अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार ये भूल गए हैं कि दर्शक को नाराज़ करके वे अपना स्टारडम बनाए नहीं रख सकते। सलमान खान को आज केवल बिग बॉस का सहारा है क्योंकि पिछले तीन साल से उनके खाते में कोई हिट फिल्म नहीं है। शाहरुख़ खान को बायजूस के विज्ञापन करने पड़ते हैं। आमिर खान को बमुश्किल विज्ञापन मिल रहे हैं और फ़िल्में करना तो वे लगभग बंद ही कर चुके हैं।
किसी भी अभिनेता के लिए ये निश्चय ही कष्ट के क्षण होते हैं। कई साल तक शानदार कॅरियर देखने के बाद ऐसे दुत्कार दिया जाना बहुत निराशाजनक होता है। वे सारे किरदार जो आपने निभाए, अपयश के कोहरे में गुम हो जाते हैं।
सलमान खान के पास तो बिग बॉस है लेकिन अमिताभ के पास कौन बनेगा करोड़पति के अलावा कौनसा जरिया है। सुशांत और कंगना विवाद ने इन दोनों की लोकप्रियता पर विपरीत असर डाला है। संभव है आने वाले दिनों में बिग बी के पास कम ही विज्ञापन रह जाए।
सुशांत विवाद की काली छाया केबीसी की फॉलोइंग पर पड़ेगी, इसमें कोई संदेह नहीं है। अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार पर उनके प्रशंसकों का ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र सरकार का भी दबाव आ रहा है। उद्धव सरकार चाहती है कि बड़े अभिनेता उसके पक्ष में बोलें। ये अमिताभ के लिए विचित्र स्थिति है।
अमिताभ बच्चन ने एक ट्वीट कर बताया कि एक पुराने ज्वालामुखी के विस्फोट की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि इससे उत्पन्न तरंगों ने ग्लोब के तीन चक्कर लगाए थे। इसके बाद अभिनेता शेखर सुमन ने उनको जवाब देते हुए लिखा,अब तक रिकॉर्ड की गई सबसे तेज आवाज सुशांत सिंह राजपूत के फैंस की है, जिन्होंने सुशांत को न्याय दिलाने के लिए भारत में दहाड़ लगाई है। इसकी ध्वनि तरंगों ने ग्लोब के लाखों चक्कर लगाए और अभी भी चक्कर लगा रही हैं।
मैं इसमें एक बात और जोड़ना चाहता हूँ। भारत के मनाली में एक ज्वालामुखी फटा। इसकी तरंगें मनाली से मुंबई तक महसूस की गई। इसकी मणिकर्णिकाई तरंगें अब भी ग्लोब के चक्कर काट रही हैं लेकिन बिग बी को सुनाई ही नहीं दिया। अमिताभ बच्चन ने अपनी लोकप्रियता को ठेले पर रखकर उसकी नीलामी लगा दी है।