१) 1989-90 में गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जब पंडित विहीन कश्मीर घाटी का अभियान चलाया तो वीपी सिंह की सरकार में भाजपा शामिल थी।
२) जम्मू के ‘हराकरण’ के लिए 2001 में फार्रुख अब्दुल्ला जब रोशनी एक्ट ले कर आया तो उसकी पार्टी केंद्र में भाजपा की वाजपेई सरकार में साझीदार थी।
३) 2018 में महबूबा मुफ्ती ने जब कानून बनाकर रोहिंग्या और अवैध बांग्लादेशियों को जम्मू में बसाने के लिए jK Police को अदालत का आदेश न मानने का कानून बनाया, गो हत्या करने वालों और गो तस्करों की गिरफ्तारी पर रोक लगाया तो वहां भी उसकी सरकार में भाजपा शामिल थी!
अर्थात्: पंचमक्कारों की सरकारें अपने उद्देश्य से कभी नहीं भटकी, भले भाजपा के साथ उनकी साझीदारी हो, बस भाजपा ही या तो इसे समझ नहीं पाई या सत्ता के लिए चुप लगाकर बैठ गई।
निष्कर्ष: भाजपा को अपने कोर वोटर अर्थात हिंदू हितों की रक्षा के लिए और अधिक सावधान और विपक्षियों के प्रति और अधिक आक्रामक होने की जरूरत है!