1986 में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर को महारानी एलिजाबेथ-II की सुरक्षा बढ़ाने की अपील से जुड़ा एक खत मिला। खत में लिखा था- ‘बहुत कम ब्रिटिशर्स को पता है कि रानी की रगों में पैगंबर मोहम्मद का खून दौड़ रहा है। हालांकि सभी मुस्लिम धार्मिक नेताओं को इस तथ्य पर गर्व है।’ खत में आगे लिखा था- ‘शाही परिवार के पैगंबर मोहम्मद का वंशज होना ही हमेशा मुस्लिम आतंकियों से उनकी सुरक्षा करेगा, इसका भरोसा नहीं किया जा सकता है।’
ये खत लिखा था शाही वंश पर स्टडी करने वाली संस्था बर्क्स पीयरेज (Burke’s Peerage) के पब्लिशिंग डायरेक्टर हेरोल्ड ब्रूक्स-बेकर ने। खत लिखा तो गया था महारानी की सुरक्षा को लेकर, लेकिन इसमें एलिजाबेथ-II के पैगंबर मोहम्मद का वंशज होने के दावे ने तहलका मचा दिया। कई बार इस दावे को लेकर खबरें सुर्खियां बनती रहीं। अब महारानी की मौत के बाद ये फिर से चर्चा में है।
1986 में पहली बार किया गया था दावा
महारानी एलिजाबेथ-II के मोहम्मद साहब के वंशज होने का दावा पहली बार 1986 में पब्लिकेशन हाउस बर्क पीयरेज ने छापा था। यह ब्रिटेन के शाही परिवार की रॉयल फैमिली की वंशावली पर काम करने वाली ब्रिटिश संस्था है। इसकी शुरुआत 1826 में जॉन बर्क ने की थी।
1986 में बर्क्स पीयरेज के पब्लिशिंग डायरेक्टर और वंशावली विशेषज्ञ हेरोल्ड ब्रूक्स-बेकर ने इस दावे से जुड़ा एक लेटर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर को भेजा था। इसमें दावा किया- 43 पीढ़ियों की स्टडी से पता चलता है कि महारानी पैगंबर मोहम्मद की वंशज हैं।
इस खबर को सबसे पहले अक्टूबर 1986 में यूनाइटेड प्रेस इंटरनेशनल यानी UPI ने छापा था।
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-II के पैगंबर मोहम्मद का वंशज बताए जाने का दावा सबसे पहले अमेरिकी-ब्रिटिश पत्रकार ब्रूक्स-बेकर ने किया था। बेकर का 2005 में निधन हुआ था।
2018 में मोरक्को के अखबार ने छापी थी खबर
महारानी एलिजाबेथ-II के पैगंबर मोहम्मद का वंशज होने के दावे से जुड़ी खबर पहली बार विस्तार से मार्च 2018 में मोरक्को के अखबार Al-Ousboue ने छापी थी। अखबार ने 1986 में किए गए ब्रूक्स-बेकर के दावों को दोहराते हुए डिटेल से ये समझाने की कोशिश की थी कि कैसे एलिजाबेथ-II, पैगंबर मोहम्मद की वंशज हैं।
अखबार ने लिखा कि एलिजाबेथ-II असल में पैगम्बर मोहम्मद की बेटी फातिमा की 43वीं पीढ़ी की वंशज हैं। इस दावे के अनुसार एलिजाबेथ-II का खून का रिश्ता 14वीं सदी के अर्ल ऑफ कैम्ब्रिज से है, जो मध्यकालीन स्पेन के मुस्लिम साम्राज्य से लेकर पैगंबर की बेटी फातिमा से जुड़ा है। मोरक्को के अखबार के लिए ये आर्टिकल पत्रकार अब्देल-हामिद अल-अवनी ने लिखा था।
मोरक्को के अखबार Al-Ousboue ने वंशावली के इस चार्ट के जरिए महारानी एलिजाबेथ-II का संबंध पैगंबर मोहम्मद से होने का दावा किया था।
कैसे किया गया महारानी के मोहम्मद साहब के वंशज होने का दावा?
महारानी और पैगंबर मोहम्मद के बीच कनेक्शन को समझने के लिए इस दावे में शामिल कुछ अहम किरदारों को समझना होगा। नीचे किए गए सभी दावे मोरक्को के अखबार ने प्रकाशित किए थे…
- फातिमा पैगंबर मोहम्मद की बेटी थीं और उनके वंशज अल-कासिम स्पेन के राजा थे। अल-कासिम के वंशज की बेटी जायदा और उनके बेटे सांचो के वंशजों से ही महारानी का कनेक्शन है।
- 11वीं सदी में स्पेन के शहर सेविले के शासक अबू अल-कासिम मोहम्मद इब्न अब्बाद थे। अल-कासिम पैगंबर मोहम्मद की बेटी फातिमा के वंशज होने की वजह से सीधे तौर पर पैगंबर के वंशज थे।
- अल-कासिम ने अब्बासिद नाम से अपना राजवंश बनाया और अल-अन्दलुस स्थित सेविले पर 1023 से 1042 ईस्वी तक शासन किया। अल-अन्दलुस स्पेन और पुर्तगाल में स्थित मुस्लिम शासकों वाले इलाके को कहा जाता था।
- आठवीं सदी में अरब के उमय्यद राजवंश से स्पेन में मुस्लिमों का शासन शुरू हुआ था, जो 15वीं सदी तक रहा था। इसी राजवंश के कमजोर पड़ने पर अल-कासिम के अब्बासिद राजवंश ने उसकी जगह ली।
- अब्बासिद राजवंश के तीसरे राजा थे- अल-मुतामिद इब्न अब्बाद, उनकी एक बेटी थी, जिसका नाम था जायदा। सेविले पर अल्मोराविदों ने हमला कर दिया। अल्मोराविद एक बर्बर मुस्लिम राजवंश था, जो मोरक्को के आसपास के इलाके में केंद्रित था।
- इस हमले से बचने के लिए सेविले की मुस्लिम राजकुमारी जायदा ने स्पेन के राजा अल्फोंसो-VI के यहां शरण ली। अल्फोंसो लियोन, कैसिले और गैलिसिया इलाके के राजा थे।
- अल्फोंसो-VI ने जायदा को अपना लिया। जायदा धर्म बदलकर ईसाई बन गईं और अपना नाम बदलकर ईसाबेल रख लिया।
- अल्फोंसो और जायदा का एक बेटा हुआ, जिसका नाम रखा गया सांचो अल्फोंसेज।
- सांचो की एक वंशज ने आगे चलकर तीसरे अर्ल ऑफ कैम्ब्रिज, रिचर्ड कॉनिसब्रॉ से शादी की। अर्ल ऑफ कैम्ब्रिज इंग्लैंड के राजा एडवर्ड-III के पोते थे।
- रिचर्ड कॉनिसब्रॉ के वंशजों का संबंध बाद में इंग्लेंड के राजा एडवर्ड-IV से जुड़ा।
- इसी तरह आगे ये खून का रिश्ता स्कॉटलैंड के राजा जेम्स-V से होता हुआ स्कॉटलैंड की क्वीन मेरी से जुड़ा।
- फिर ये रिश्ता मेरी के बेटे जेम्स-VI से जुड़ा, जो आगे चलकर इंग्लैंड के राजा बने।
- 11 पीढ़ियों बाद ये रिश्ता आगे बढ़ते हुए ब्रिटेन के राजा जॉर्ज-VI से जुड़ा।
- जॉर्ज-VI की ही बेटी थीं एलिजाबेथ-II, जो 1926 में जन्मीं और 1952 में ब्रिटेन की महारानी बनीं।
एलिथाजेबथ-II का 96 साल की उम्र में 8 सितंबर 2022 को निधन हुआ। वह 70 साल महारानी रहीं। ब्रिटेन के इतिहास में सबसे लंबे समय तक राज करने वाली शासक रहीं।
दावे पर उठते हैं कई सवाल
इस पूरे दावे की सबसे अहम कड़ी में से एक जायदा की पहचान को लेकर काफी विवाद रहा है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार, ये साफ नहीं है कि जायदा पैगंबर मोहम्मद की वंशज थीं या नहीं। ब्रिटिश मैग्जीन स्पेक्टेटर का कहना है कि जायदा की पहचान को लेकर एकमत नहीं है।
मोरक्को के अखबार ने जायदा को जहां सेविले के तीसरे राजा अल-अब्बाद की बेटी बताया है, तो वहीं कुछ इतिहासकारों के मुताबिक जायदा अल-अब्बाद की पत्नी थीं। कुछ मुस्लिम इतिहासकारों ने जायदा को अल-अब्बाद की बहू बताया है, जो अब्बाद के बेटे अबू अल-फतह अल-मामुन की पत्नी थीं।
द इकोनॉमिस्ट ने इतिहासकारों के हवाले से लिखा है कि वह पैगंबर मोहम्मद के वंशज रहे एक शराबी खलीफा मुतामिद बिन अब्बाद की बेटी थीं। वहीं कुछ का कहना है कि जायदा की शादी मुतामिद बिन अब्बाद के परिवार में हुई थी।
हाल में आई एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बर्क पीयरेज संस्था ने कहा कि ये दावा गलत है कि वह एलिजाबेथ-II के पैगंबर मोहम्मद के वंशज होने का ओरिजनल सोर्स है।
पीयरेज के मुताबिक, इस बात के ओरिजनल सोर्स वास्तव में सर इयान मोनक्रिफ थे, जिन्होंने इस तथ्य को 1982 में आई उनकी किताब ‘रॉयल हाईनेस: एनसेस्ट्री ऑफ द रॉयल चाइल्ड’ में शामिल किया था।
दावे को प्रोपेगेंडा क्यों कहा गया?
इस दावे पर सवाल उठाते हुए 2019 में लेखिका लेस्ली हेजलटन ने कहा था कि इस थ्योरी को शायद पश्चिम में इस्लाम को बुराई के तौर पर पेश किए जाने के जवाब के रूप में आगे बढ़ाया जा रहा है। रेडडिट जैसे सोशल फोरम पर यहां तक लिखा गया कि ये प्रोपेगेंडा फिर से ब्रिटिश साम्राज्य फैलाने की कोशिशों का हिस्सा है।
द इकोनॉमिस्ट के अनुसार, 2018 में अरब एथीस्ट नेटवर्क के वेब फोरम पर एक खबर इस हेडलाइन के साथ चलाई गई थी- “रानी एलिजाबेथ को मुसलमानों पर शासन करने के अपने अधिकार का दावा करना चाहिए।”
तीन साल पहले प्रसिद्ध ब्रिटिश लेखिका लेस्ली हेजलटन ने महारानी एलिजाबेथ-II के पैगंबर मोहम्मद का वंशज होने के दावे को प्रोपेगेंडा कहकर खारिज किया था।
क्या है महारानी और पैगंबर मोहम्मद के बीच कनेक्शन के दावे का सच?
इन दावों से जुड़ी खबरें सामने आने के बाद ब्रिटिश रॉयल फैमिली ने ये कहते हुए इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था कि- ‘हम ऐसे दावों पर कमेंट नहीं करते हैं।’
कुछ इतिहासकारों का कहना है कि इतिहास में जिन लोगों के जिक्र के आधार पर ये दावा किया जा रहा है, उनकी हकीकत जानने के लिए और रिसर्च की जरूरत है। ब्रिटिश इतिहासकार डेविड स्टार्की ने 2018 में इस दावे को लेकर कहा था- ‘ये बिल्कुल भी अजीब नहीं है।’
मध्ययुग के स्पेन के वंशावली रिकॉर्ड इस दावे का समर्थन करते हैं। 2018 में मिस्र के पूर्व ग्रैंड मुफ्ती अली गोमा ने इस दावे को सही बताया था। इस दावे के जनक माने जाने वाले अमेरिकी-ब्रिटिश पत्रकार और वंशावली विशेषज्ञ ब्रूक्स-बेकर का 2005 में निधन हो गया था। बेकर की मौत पर ब्रिटेन के बड़े अखबारों में शामिल द टेलीग्राफ ने अपने शोक संदेश में लिखा था- ‘पत्रकारों के लिए उनका (बेकर के होने का) सबसे बड़ा फायदा ये था कि वह हमेशा ध्यान खींचने वाले कमेंट करते थे। नुकसान ये था कि वह अक्सर गलत होते थे।’