वाशिंगटन पोस्ट के वामी पत्रकार बगैर तथ्य भारत पर सांप्रदायिकता के दाग लगाते रहे हैं! वाशिंगटन पोस्ट के एक पत्रकार एनी गोवेन ने आधी-अधूरी जानकारी और संदिग्ध तथ्य के आधार पर भारत को बदनाम करने के लिए सांप्रदायिक होने का आरोप लगाया है। वामी पत्रकार गोवेन ने अपने आर्टिकल में हिन्दूओं को रक्तपिपासु तक कह दिया। वामी पत्रकार भले ही विविधता का डींग हांक रहे हो लेकिन इन्होंन कभी भी विविधता को स्वीकार नहीं किया। वह सिर्फ और सिर्फ अपनी विचारधारा से प्रभावित एकरूपता को तरजीह देती रही है। वह चाहे अमेरिका हो या फिर भारत।
शिकागो के वामपंथी महापौर रिचर्ड ने सन 1960 में अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव के दौरान रिचर्ड निक्सन के एक बयान के लिए उन्हें हिटलर तक कह दिया था। अमेरिकी वामपंथी उदारवादी नैतिक अशांति और अज्ञानता के परिणामस्वरूप एक विरोधी दृष्टिकोण तैयार करने की कला को सम्मानित किया है। उसी प्रकार वाशिंगटन पोस्ट के वामपंथी पत्रकार बगैर तथ्य और जानकारी के ही भारत पर सांप्रदायिक होने का कलंक लगाने में जुटे हैं। और यह आज से नहीं हो रहा है बल्कि सदियों से हो रहा है। भारत में जब राष्ट्रवादी या समाजवादियों की सरकार बनती है उसे बदनाम करने के लिए ये गिरोह के रूप में सक्रिय हो जाते हैं।
How Washington Post journalist gave India communal taint with dubious facts | Must-read takedown by @freentglty in @MyNation https://t.co/gXczu4mmuj
— Abhijit Majumder (@abhijitmajumder) November 4, 2018
तभी तो वाशिंगटन पोस्ट के एक पत्रकार एनी गोवेन आधी अधूरी जानकारी और संदिग्ध तथ्य के आधार पर ही भारत को बदनाम करने के लिए सांप्रदायिक होने का आरोप लगाया है। उन्होंने जिस सादाब के बारे में कहते हुए लिखा है कि उसे गाय को लेकर हुई हिंसा के तहत गिरफ्तार किया गया है। जबकि सच्चाई यह थी कि उसे गाय की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इतना ही नहीं गोवेन ने भारत के हिंदुओं को रक्तपिपासु की संज्ञा देते हुए लिखा है कि ये लोग जानबूझ कर भारत में रह रहे मुसलमानों पर हमला करते हैं। उन्होंने यूपी में हुई सांप्रदायिक हिंसा का जिक्र भी बगैर जानकारी की की है। तभी तो स्वराज्य की पत्रकार श्वाति गोयल शर्मा ने गोवेन को जवाब देते हुए असली आईना दिखाया है।
श्वाति ने लिखा है कि आप जिन-जिन घटनाओं का जिक्र किया है, उससे साफ है कि न तो आपको पत्रकारिता की जानकारी है न ही घटना के पूर्ण तथ्य की। क्योंकि यूपी की जिस घटना का जिक्र किया गया है वहां मुसलमानों की हत्या नहीं हुई है बल्कि मुसलमानों ने मंदिर में सो रहे तीन साधुओं की बर्बर तरीके से हत्या कर दी थी। वह इसलिए क्योंकि उन्होंने गाय को बचाने के लिए उनलोगों की गाय तस्करी का विरोध किया था।
Hey @anniegowen, since ur story is based on @IndiaSpend data, what's your opinion on this: It makes no mention of arguably d most brutal case of cow violence in 2018 – 3 sadhus tied to cots, tongues slit, killed by cow smugglers for their opposition to illegal cow slaughter in UP
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) November 1, 2018
गोवेन भारत को बदनाम करने के लिए अपने आलेख में हमेशा ही गलत तथ्य पेश करती रही हैं। बदनाम करने के लिए वे अविश्वसनीय आंकड़े देने से भी परहेज नहीं करते। वाशिंगटन पोस्ट में लिखे अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि भारत में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराध 746% तक बढ़ गए हैं। लेकिन जब इस तथ्य की जांच के बाद इसे 25% तक संशोधित किया गया है। ध्यान रहे कि यह आंकडे अभी भी संदिग्ध हैं, इसकी पड़ताल की जा रही है। अनुसूचित जनजातियों के मामले में तो 1160% की वृद्धि दिखा दी। जबकि प्रारंभिक जांच के बाद ही यह आंकड़ा घटकर 8% रह गया है।
वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित तथ्य पहले एवरेस्ट की ऊंचाई तक जाती है लेकिन जांच के बाद वह एवरेस्ट से घटकर खाई तक पहुंच जाती है। संक्षेप में कहा जाए तो उनके तथ्य में न कोई दम होता है न ही कोई तर्क। रहता है तो सिर्फ प्रोपेगेंडा, जो एक जांच भी नहीं झेल पाता है।
URL: Washington Post blames India for being communal and called hindu’s bloodthirsty
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