राजनीति का सिस्टम ऐसा , योग्यपुरुष न आ पाता ;
भ्रष्टाचारी पैसे वाला , धन के बल पर आ जाता ।
सरकारों में योग्य नहीं है , केवल कामचलाऊ हैं ;
इक्का-दुक्का देशभक्त हैं , ज्यादातर तो खाऊ हैं ।
राजनीति व्यापार बन गयी , सेवा – भाव मिटा डाला ;
नेताओं पर धन की वर्षा , देश पे बोझ बढ़ा डाला ।
हिन्दू का जो टैक्स का पैसा , इन पर ही बर्बाद हुआ ;
इसी वजह से राष्ट्र टूटता , पर गुंडा आबाद हुआ ।,
कमजोर हाथ में सत्ता होती ,खतरे में राष्ट्र पड़ जाता है ;
जगह-जगह गुंडे हावी हों , शाहीन बाग हो जाता है ।
सड़कों पर धरने लगते हैं , कई – कई माह हो जाते है ;
गद्दार व गुंडे आंख दिखाते ,नेता नतमस्तक हो जाते हैं ।
राष्ट्र – भक्ति व राष्ट्र – द्रोह का, फर्क सभी मिट जाता है ;
कानून का शासन धूल चाटता ,दिल्ली दंगा हो जाता है ।
दंगाई हथियार चलाते , पुलिस है केवल पिटने को ;
गुंडों को पूरी आजादी , भले लोग हैं मरने को ।
पुलिस का केवल काम बचा है , नेताओं की रक्षा का ;
चाहे अपराधी हो नेता , पर उनकी पूरी सुरक्षा का ।
संविधान की ऐसी – तैसी , नंग – नाच है गुंडों का ;
वोट बैंक की ऐसी चाहत , सब कुछ माफ है गुंडों का ।
समरसता से अब क्या लेना ? तुष्टीकरण ही करना है ;
राष्ट्र की चिंता जिन लोगों को ,उनको तो बस खपना है ।
आजादी इस देश में ऐसी , बदतर है जो गुलामी से ;
राजनीति बेशर्म हो गयी , चिंता न बदनामी से ।
राष्ट्र – प्रेमियों अब तो जागो , पानी सर से ऊपर है ;
उस ज्वाला को प्रकट करो , जो तेरे दिल के भीतर है ।
ज्वालायें अब बाहर लाओ ,उनको ज्वालामुखी बनाओ ;
सारे दुष्ट जलें ज्वाला में , देश को हिंदू -राष्ट्र बनाओ ।
भारत हिंदू – राष्ट्र बनेगा , धर्म – सनातन छा जायेगा ;
सारा विश्व चैन पायेगा , आतंकवाद भी मिट जाएगा ।
सच्चा धर्म सनातन है , जीने की राह दिखाता है ;
भटक चुके उन सब लोगों को , सही राह पर लाता है ।
चीन , पाक , अफगान सरीखे , सही राह पर आयेंगे ;
दिशा भ्रमित हैं जितने मजहब , सही राह पा जायेंगे ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता: ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”