महारानी एलिजाबेथ की मृत्यु पर EFF का वक्तव्य
गुरुवार, 08 सितंबर 2022
आर्थिक स्वतंत्रता सेनानियों ने यूनाइटेड किंगडम की रानी एलिजाबेथ एलेक्जेंड्रा मैरी विंडसर और यूनाइटेड किंगडम द्वारा उपनिवेशित कई देशों के औपचारिक प्रमुख की मृत्यु का संज्ञान लिया है। एलिजाबेथ 1952 में सिंहासन पर चढ़ी, 70 वर्षों तक एक संस्था के प्रमुख के रूप में शासन किया, जिसे दुनिया भर में लाखों लोगों के अमानवीयकरण की क्रूर विरासत से बनाया गया, बनाए रखा गया और जीवित रहा।
हम एलिजाबेथ की मृत्यु पर शोक नहीं करते हैं, क्योंकि हमारे लिए उनकी मृत्यु इस देश और अफ्रीका के इतिहास में एक बहुत ही दुखद अवधि की याद दिलाती है। ब्रिटेन ने, शाही परिवार के नेतृत्व में, इस क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया, जो 1795 में बटावियन नियंत्रण से दक्षिण अफ्रीका बना, और 1806 में इस क्षेत्र पर स्थायी नियंत्रण कर लिया। उस क्षण के बाद से, इस भूमि के मूल निवासियों ने कभी भी शांति अनुभव नहीं की है, न ही उन्होंने कभी इस भूमि के धन का सुख भोगा है, जो धन ब्रिटिश शाही परिवार और उनके जैसे दिखने वाले लोगों के संवर्धन के लिए उपयोग किया जाता रहा और अभी भी उपयोग किया जाता है।
1811 से जब सर जॉन क्रैडॉक ने ज़ुरवेल्ड में अमाक्सोसा के खिलाफ युद्ध की घोषणा की, जिसे अब पूर्वी केप के रूप में जाना जाता है, 1906 तक जब अंग्रेजों ने बंबाथा विद्रोह को कुचल दिया, ब्रिटिश शाही परिवार के नेतृत्व में ब्रिटेन के साथ हमारी स्मृतियां दर्द और पीड़ा, मृत्यु और बेदखली और अफ्रीकी लोगों के अमानवीयकरण की रही है। हमें याद है कि कैसे पांचवें सीमा युद्ध के बाद नेक्सले की मृत्यु हो गई थी, 11 मई 1835 को छठे सीमा युद्ध के दौरान राजा हिंट्स को कुत्ते की तरह मार दिया गया था, और उसके शरीर को क्षत-विक्षत कर दिया गया था, और उसका सिर एक ट्रॉफी के रूप में ब्रिटेन ले जाया गया था।
यह ब्रिटिश शाही परिवार ही था जिसने सेसिल जॉन रोड्स के कार्यों को मंजूरी दी, जिन्होंने इस देश को और साथ में जिम्बाब्वे और जाम्बिया को लूट लिया।
यह ब्रिटिश शाही परिवार था जिसे केन्या के लोगो का भयंकर एवं क्रूर उत्पीड़न किया, जिन्होंने जिसके ब्रिटिश की गुलामी के विरुद्ध साहसिक प्रतिरोध किया जिसको ब्रिटेन ने बुरी तरह कुचल दिया। केन्या में, ब्रिटेन ने यातना शिविरों का निर्माण किया और इस तरह की अमानवीय क्रूरता के साथ मऊ मऊ विद्रोह को दबा दिया, 18 फरवरी 1957 को डेडन किमाथी की हत्या कर दी, उस समय एलिजाबेथ ही रानी थी।
इस परिवार ने ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से भारत को लूटा, इसने कैरेबियन द्वीप समूह के लोगों पर नियंत्रण किया और उन पर अत्याचार किया। धन की उनकी प्यास ने अकालो को जन्म दिया जिसके कारण बंगाल में लाखों लोग मारे गए, और उनके नस्लवाद ने ऑस्ट्रेलिया में आदिवासी लोगों के नरसंहार करवाया।
एलिजाबेथ विंडसर ने अपने जीवनकाल में कभी भी इन अपराधों को स्वीकार नहीं किया जो ब्रिटेन और विशेष रूप से उनके परिवार ने दुनिया भर में किए थे। वास्तव में, वह इन अत्याचारों की एक गौरवान्वित ध्वजवाहक थी क्योंकि उसके शासनकाल के दौरान 1963 में जब यमन के लोग ब्रिटिश उपनिवेशवाद का विरोध करने के लिए उठे, तो एलिजाबेथ ने उस विद्रोह का क्रूर दमन करने का आदेश दिया।
रानी के रूप में अपने 70 साल के शासनकाल के दौरान, उन्होंने कभी भी उन अत्याचारों को स्वीकार नहीं किया जो उनके परिवार ने उन देशों के मूल लोगों पर किए थे जिनपर इन्होंने आक्रमण किया था। दुनिया भर में लाखों लोगों के शोषण और हत्या से प्राप्त धन से एलिजाबेथ ने स्वेच्छा से लाभ उठाया। ब्रिटिश शाही परिवार उन लाखों गुलामों के कंधों पर खड़ा है, जिन्हें नस्लवादी श्वेत लोगो के पूंजी संचय के हितों की सेवा के लिए महाद्वीप से दूर भेज दिया गया था, जिसके केंद्र में ब्रिटिश शाही परिवार है।
यदि मृत्यु के बाद वास्तव में जीवन और न्याय है, तो एलिजाबेथ और उसके पूर्वजों को उनके कुकर्मों का फल अवश्य मिलेगा जिसके वह अधिकारी है।
आर्थिक स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा जारी
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हिंदी अनुवादक – वीरेंद्र सिंह आर्थिक स्वतंत्रता सेनानी
मूल स्रोत: Rot in hell with your crown of stolen diamonds — Ghana’s EFL ‘mourns’ Queen Elizabeth