अर्चना कुमारी । करीब 30 साल पहले राजस्थान के अजमेर में देश के सबसे बड़े रेप केस रैकेट का पर्दाफाश किया गया था और इस घटना को कवरेज करने वाले पत्रकार मदन सिंह की हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद से मदन सिंह के बेटों ने अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए 7 जनवरी 2023 को इस घटना के आरोपी माने जाने वाले सवाई सिंह की हत्या कर दी ।
पिता के गम में मदन सिंह के बेटों ने वारदात को अंजाम देने के बाद चिल्ला कर कहा हमने अपने पिता की मौत का बदला ले लिया है। राजस्थान पुलिस का कहना है कि दिवंगत पत्रकार मदन सिंह के बेटों ने अपने पिता के गम में जिस शख्स की हत्या की है , वह हिस्ट्रीशीटर और पूर्व पार्षद सवाई सिंह था। हालांकि, बाद में पर्याप्त सबूतों के अभाव में उन्हें अदालत ने बरी कर दिया था। बताया जाता है कि 30 साल बाद पुष्कर के बंसेली गांव के एक रिसॉर्ट में सवाई सिंह पर हमला हुआ और इस हमले में सवाई का दोस्त दिनेश तिवारी भी जख्मी हुआ।
राजस्थान पुलिस का कहना है कि सवाई सिंह पर हमला करने वाले भाइयों में से एक सूर्य प्रताप सिंह को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया जबकि धर्म प्रताप सिंह की तलाश जारी है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि सूर्य प्रताप सिंह ने पकड़े जाने के बाद कहा, सवाई सिंह ने मेरे पिता को मार डाला, अब मैंने उसे मार डाला। अगला राजकुमार जयपाल (पूर्व कांग्रेस विधायक) है। मदन सिंह हत्याकांड में राजकुमार जयपाल भी आरोपी थे, लेकिन उन्हें अदालत ने बरी भी कर दिया था।
गौरतलब है कि यह मामला तब उजागर हुआ था जब 1992 में अजमेर के एक नामी स्कूल गर्ल्स स्कूल सोफिया की लड़कियों के साथ रेप और ब्लैकमेल किया गया तो साप्ताहिक अखबार चलाने वाले मदन सिंह ने इस मुद्दे को उठाया लेकिन इस मामले को लेकर कई बड़े नेताओं और रसूखदारों के नाम शामिल थे, इसलिए मदन सिंह को चुप रहने की धमकी दी गई थी लेकिन जब मदन सिंह ने इस मुद्दे को उठाना जारी रखा तो उन्हें गोली मार दी गई।
जख्मी मदन सिंह उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती हुए लेकिन वहां पर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मदन सिंह की मां के बयान के आधार पर कांग्रेस के पूर्व विधायक राजकुमार जयपाल, सवाई सिंह, नरेंद्र सिंह सहित अन्य के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था हालांकि 20 साल तक चले इस मामले में कोर्ट ने 2012 में सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।
पत्रकार मदन सिंह के बेटों में पिता को लेकर बदले की भावना जगी और उन लोगों ने जयपाल और सवाई सिंह पर पहले भी हमला किया था लेकिन दोनों बाल-बाल बच गए थे। राजस्थान पुलिस को इससे पहले इस स्कैंडल को लेकर जांच में पता चला कि 1992 में अजमेर में 100 से ज्यादा हिंदू लड़कियों को फंसाकर उनके साथ रेप किया गया था। उनकी अश्लील तस्वीरें धोखे से खींच ली जाती थीं और उन्हें ब्लैकमेल कर दूसरी लड़कियों को फंसाकर अपने पास लाने को कहा जाता था।
फारूक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती इस मामले के मुख्य आरोपी थे। जांच में पता चला कि तीनों युवा कांग्रेस के बड़े नेता थे। फारूक चिश्ती तब भारतीय युवा कांग्रेस की अजमेर इकाई के प्रमुख थे। नफीस चिश्ती कांग्रेस की अजमेर इकाई के उपाध्यक्ष थे। अनवर चिश्ती अजमेर में कांग्रेस के संयुक्त सचिव थे। तीनों आरोपी अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिम भी थे। आरोपियों के पास राजनीतिक और धार्मिक दोनों तरह की ताकत थी, जिसके चलते कोई भी उनके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं कर पाता था वहीं, जिन लड़कियों के साथ रेप हुआ, वे भी आम लड़कियां नहीं थीं, उनमें से ज्यादातर आईएएस, और आईपीएस जैसे बड़े अफसरों की बेटियां बताई जाती है ।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों को इस बात की जानकारी पहले से ही थी, लेकिन कोई ऐसा कदम नहीं उठाया गया ,जिससे मामला हिंदू-मुस्लिम का न बन जाए। जांच कार्रवाई में पता चला था कि आरोपी ने पहले एक कारोबारी के बेटे के साथ दुष्कर्म किया और उसकी अश्लील तस्वीर खींच ली और अपनी प्रेमिका को साथ लाने के लिए दबाव डाला। इसके बाद आरोपी ने अपनी प्रेमिका के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी अश्लील तस्वीरें खींच लीं और लड़की को ब्लैकमेल कर अपने दोस्तों को लाने को कहा। यह सिलसिला यहीं नहीं रुका और एक के बाद एक लड़कियों का बलात्कार करना, उनकी नग्न तस्वीरें लेना, फिर उन्हें अपनी बहन, दोस्त, भाभी आदि को लाने के लिए ब्लैकमेल करना और उन लड़कियों के साथ ऐसा ही घिनौना काम होने लगा और 100 से अधिक हिंदू लड़कियों का भी बलात्कार किया गया।
यह भी कहा जाता है कि इन स्कूली बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों में राजनेता और सरकारी अधिकारी भी शामिल थे। लेकिन, हिंदू-मुसलमानों के तनाव को लेकर प्रशासन खामोश था। जिन लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया और उनकी यौन तस्वीरें खींची गईं, उनमें से कई ने आत्महत्या कर ली। वहीं, 6-7 लड़कों ने सुसाइड कर लिया। क्योंकि प्रशासन उन्हें बचाने के लिए आगे नहीं आया। इनके परिवार वाले भी समाज और जनता के डर से चुप थे।
कई महिला संगठनों के प्रयास के बावजूद बच्चियों के परिजन सामने नहीं आ रहे थे। किसी ने मुंह नहीं खोला क्योंकि इस गिरोह में शामिल आरोपियों की पहुंच बड़े नेताओं तक थी। बाद में एक एनजीओ ने इस मुद्दे को उठाया और केवल 12 लड़कियां केस करने को राजी हुईं। हालांकि, बाद में 10 और लड़कियां धमकी मिलने के बाद पीछे हट गईं। बाकी दो पीड़ितों ने मामले को आगे बढ़ाया और इन लड़कियों ने 16 आरोपियों की पहचान की बाद में राजस्थान पुलिस आरोपियों की पहचान कर 8 को गिरफ्तार किया गया। बताया जाता है कि 1994 में एक आरोपी पुरुषोत्तम ने जमानत पर छूटने के बाद आत्महत्या कर ली थी।
छह साल बाद इस मामले में पहला फैसला आया, अजमेर जिला अदालत ने 8 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। दावा किया गया कि इस बीच फारूक चिश्ती मानसिक रूप से बीमार हो गए थे, जिसके चलते उनका ट्रायल लंबित था बाद में जिला अदालत ने चारों आरोपियों की सजा कम कर दी और उन्हें दस साल कैद की सजा सुनाई। अदालत को बताया गया कि 10 साल की जेल की सजा पर्याप्त है।
हालांकि, राजस्थान सरकार ने सजा कम करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि, याचिका खारिज कर दी गई थी। एक अन्य आरोपी सलीम नफीस अजमेर सेक्स स्कैंडल के 19 साल बाद 2012 में पकड़ा गया था, लेकिन वह भी जमानत पर छूटकर जेल से बाहर आ गया था। इस मामले को लेकर कई आरोपी ऐसे थे जो आज तक नहीं पकड़े गए।