वामी ,कामी ,जिम्मी ,सेक्युलर , हिंदू के विरुद्ध क्यों रहते ?
आत्मनिरीक्षण हमको करना,क्यों हम तिरस्कार को सहते ?
हम अपनी कमजोरी जाने , फिर अपनी कमजोरी त्यागें ;
पहली कमजोरी परम स्वार्थ है, हिंदू अपने स्वार्थ को त्यागें।
लोभ ,मोह ,लालच ,कायरता , हिंदू को कमजोर बनाते ;
महामूर्ख इतना है हिंदू , चरित्रहीन नेता बन जाते ।
चरित्रहीन नेता जो बनते , हिंदू की परवाह न करते ;
भोग- विलास में अंधे होकर , हिंदू -हित की हत्या करते ।
कदम – कदम पर हिंदू हारा , अपने भीतर की कमियों से ;
हजार बरस की यही कहानी , कुछ न सीखे कमियों से ।
जैसे – तैसे बचते आये , अब – तक अस्तित्व हमारा है ;
पर अब संकट बढ़ता जाता , नेता डरपोक हमारा है ।
हर हालत में नेता बदलो , या फिर पूरे दल को हटाओ ;
परम – साहसी, हिंदूवादी , एक नया दल जिताके लाओ ।
रामराज्य – परिषद को खोजो , हिंदू- महासभा को लाओ ;
धरती आकाश को एक मिलाओ, देश को हिंदू-राष्ट्र बनाओ।
जब तक ऐसा न हो जाये , चैन की नींद नहीं सोना है ;
तुम इसको यदि नहीं करोगे , तो फिर हरदम ही रोना है ।
मानव जो भी कायर होता , लड़ने से घबराता है ;
खून -खराबा जब भी होता , उससे पहले मर जाता है ।
पन्द्रह करोड़ से अधिक मर चुके, अब तक हजार सालों में ;
पूरी मानवता भी मिट जायेगी , अगले एक सौ सालों में ।
अब हिंदू को तय करना है , जीना है या मरना है ;
अब तो केवल तभी जिओगे , साहस – शौर्य से रहना है ।
कायर- नेता मौत तुम्हारी , इसको पक्का जान लो ;
वामी ,कामी, जिम्मी ,सेक्युलर , पक्के दुश्मन मान लो ।
केवल धर्म – सनातन ऐसा , तेरी रक्षा कर सकता है ;
सबसे प्राचीन संस्कृति तेरी , केवल वही बचा सकता है ।
राम-कृष्ण के वंशज हो तुम ,जीवन में उनका चरित्र उतारो;
धर्म की रक्षा हर हालत में , अब तो अपना राष्ट्र उबारो ।
वीर-गोडसे, सावरकर और ऊधम सिंह ने राह दिखाई ;
राष्ट्र के दुश्मन ,धर्म के दुश्मन,उन सबकी अब शामत आई।
हिंदू को अब अक्ल आ रही , सत्ता पर काबिज होना है ;
हिंदूवादी – दल को जिता कर , हिंदू – राष्ट्र बनाना है ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”