जन्म से बड़ा है कर्म! इरफान खान के लिए लोग जितने दुखी हैं, ऋषि कपूर के लिए नहीं! और इरफान के लिए जितने हिंदुओं का दिल उदास हुआ, उतने मुस्लिमों का नहीं!
और यह भी कि इरफान के लिए हिंदुओं का जैसा सैलाब सोशल मीडिया पर उमड़ा, वह दर्शा गया कि डॉ कलाम, इरफान, आरिफ मो खान जैसे मुस्लिम अपनी भारतीयता और अपने शुभ कर्मों के कारण अधिकांश हिंदू के दुलारे हैं।
और यह भी कि मुस्लिम डरे हुए हैं, इस्लामोफोबिया है, मुस्लिम सुरक्षित नहीं, घृणा बढ़ रही है जैसे झूठ केवल हिंदुओं को दबाने के लिए और जेहादी व कट्टरपंथी मुस्लिमों के लिए विक्टिम कार्ड के रूप में उपयोग होता रहा। हिंदुओं के मन में मुस्लिम के प्रति घृणा होती तो वह डॉ कलाम के जनाजे में न उमड़ता, वह इरफान खान के लिए इस कदर आंसू नहीं बहाता।
इरफान खान ने मर कर हामिद अंसारियों, आमिर खानों, शाहरुखों, आरफाओं, जावेद अख्तरों, नसिरुद्दीन शाहों, स्वरा भास्करों, रवीश कुमारों, राजदीपों, अनुराग कश्यपों, सोनम कपूरों, सैफ अली खानों, शबाना आजमियों, मोहम्मद जिशानों जैसों को एक बार फिर से बेनकाब कर दिया!
हम गले लगाएंगे,लेकिन पहले तुम कलाम,और इरफान तो बनो!