जब से ममता दीदी ने पश्चिम बंगाल की सत्ता संभाली है तब से वह केंद्र से झगड़ने में इतनी उलझी हैं कि अपने राज्य में क्या हो रहा है उस पर ध्यान नहीं देती। दीदी के शासनकाल में पश्चिम बंगाल जितना अविश्वसनीय हुआ है इससे पहले कभी नहीं हुआ। पश्चिम बंगाल के टेक्स्ट बुक ने अब स्कूली बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करना शुरू कर दिया। बच्चों के टेक्स्ट बुक में विश्वविख्यात धावक मिल्खा सिंह की तस्वीर की जगह बॉलीवुड के अभिनेता फरहान अख्तर की तस्वीर छाप दी है। इस प्रकार प्रदेश सरकार ने न केवल अपने बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है बल्कि विश्व में भारत को पहचान दिलाने वाले मिल्खा सिंह का भी अपमान किया है।
West Bengal textbook identifies Farhan Akhtar as Milkha Singh.
Incredible West Bengal ?@MamataOfficial pic.twitter.com/9PQiuARWLT
— Jagrati Shukla (@JagratiShukla29) August 19, 2018
पश्चिम बंगाल की सरकार असली हीरो और नकली हीरो में फर्क करना तक भूल गई है। तभी तो असली हीरो की जगह बच्चों के दिमाग में नकली हीरो की छवि बैठाना चाहती है। सांप्रदायिक कार्ड खेलने में माहिर हो चुकी ममता दीदी कहीं जानबूझ कर तो नहीं फरहान अख्तर को मिल्खा सिंह बनाया है? उनकी मंशा जो भी रही हो लेकिन स्कूली बच्चों के साथ इस प्रकार मजाक नहीं किया जाना चाहिए। न ही मिल्खा सिंह जैसे विश्व प्रसिद्ध धावक को इस प्रकार अपमान करना चाहिए।
मालूम हो कि फरहान अख्तर लिबरल ब्रिगेड के मुखौटा बने जावेद अख्तर के बेटे हैं। उन्होंने मिल्खा सिंह के जीवन पर एक फिल्म बनाई थी और मिल्खा सिंह की भूमिखा खुद निभाई थी। मिल्खा सिंह के कद की वजह उनके नाम पर यह फिल्म चली भी खूब थी। इसके अलावा फरहान अख्तर की कोई उपलब्धि नहीं है। क्या पश्चिम बंगाल की सरकार मिल्खा सिंह की भूमिका निभाने वाले फरहान अख्तर को मिल्खा सिंह बना सकती है?
ममता बनर्जी की सरकार शायद कुंठित धर्मनिरपेक्षता के कारण फरहान अख्तर को मिल्खा सिंह बनाकर पेश कर रही हों, क्योंकि उनके राज्य में फरहान के महजब के 29 फीसदी लोग रहते हैं और यही ममता के असली वोट बैंक हैं। यह वोट बैंक को दुलारने का ही नतीजा तो है कि बंगाल में दुर्गा पूजा के विसर्जन तक पर ममता रोक लगाती रही हैं।
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