‘रहस्य की तहों से लिपटी सस्पेन्सिव थ्रिलर’
ओरिगामी एक जापानी आर्ट है। इसमें कागज़ को काटकर क्राफ्ट बनाया जाता है। बॉबी गरेवाल एक मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला है जो अख़बारों की उन ख़बरों को काटकर ओरिगामी बनाती है, जिनमे स्त्रियों पर क्रूरता का ज़िक्र होता है। बॉबी हर किसी पर संदेह करती है। ऐसा कोई नहीं, जिस पर उसे भरोसा हो। एक दिन बॉबी के घर में एक किरायेदार जोड़ा रहने आता है और पत्नी की मौत हो जाती है। बॉबी का संदेह उस महिला के पति पर है। इस साइको थ्रिलर ‘जजमेंटल है क्या’ का टाइटल हमें तब समझ आता है, जब हम इसके अंत तक पहुँचते हैं। कंगना रनौत और राजकुमार राव की ये फिल्म रहस्य की तहों से लिपटी एक सस्पेन्सिव थ्रिलर है, जिसका अंत क्या होगा, दर्शक अनुमान नहीं लगा सकता।
लगता है ये महीना परफॉरमेंस ओरिएंटेड फिल्मों का रहेगा। दो सप्ताह पहले ऋत्विक रोशन ने ‘सुपर 30’ में अपनी अदाकारी से दिल जीत लिया था और इस सप्ताह कंगना रनौत और राजकुमार राव अपना माइल स्टोन परफॉरमेंस दे रहे हैं। ‘जजमेंटल है क्या’ एक ऐसी युवा लड़की की कहानी है जो बचपन में ही माता-पिता को खो बैठी है और मानसिक बीमारी की शिकार हो गई है। जब वह केशव(राजकुमार राव) पर शक जताती है तो पुलिस भी यकीन नहीं करती। पुलिस को कोई ऐसा सबूत नहीं मिलता, जिसके आधार पर केशव पर आरोप साबित हो जाए। माना जाता है कि बॉबी का लगाया आरोप निराधार है। हालांकि कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती। एक बेहद खूबसूरत हतप्रभ कर देने वाले क्लाइमैक्स पर कहानी का धुंधला सच सामने आता है।
बॉबी गरेवाल का किरदार निभाने का साहस कंगना जैसी अदाकारा ही कर सकती थी। उनकी पिछली फिल्म न केवल कामयाब रही थी, बल्कि कंगना की छवि एक राष्ट्रवादी अभिनेत्री की बन गई थी। कंगना ने उस इमेज को साहस के साथ तोड़ा है। एक पागल की भूमिका को इतनी संजीदगी से जिया है कि दर्शक के मुंह से वाह निकल जाती है। अतीत से निकलकर सामान्य जीवन जीने की छटपटाहट को कंगना ने अपने अभिनय में बखूबी दिखाया है। निश्चित ही उनका ये किरदार दर्शकों को लम्बे समय तक याद रहने वाला है। राजकुमार राव फिल्म दर फिल्म निखरते जा रहे हैं। केशव का किरदार उन्होंने बहुत सशक्त ढंग से निभाया है। केशव नामक किरदार बड़ा रहस्यमयी है। इस किरदार के इतने शेड्स हैं कि दर्शक चकरा जाता है। केशव के बारे में अंत तक जानना मुश्किल है कि वह रावण है या राम। इस तरह के साइको थ्रिलर में राजकुमार राव बिलकुल फिट बैठते हैं। उनके प्रशंसक इस फिल्म से कतई निराश नहीं होंगे।
फिल्म का स्क्रीनप्ले कनिका ढिल्लो ने लिखा है। दरअसल फिल्म की जान इसके बेहतरीन स्क्रीनप्ले में ही छुपी बैठी है। कंगना के किरदार को उन्होंने खूबसूरती के साथ लिखा है। ओरिगामी के साथ बॉबी का कनेक्शन, रामायण के पात्रों का बेहतरीन समावेश और एक रोमांचक अंत ऐसे स्क्रीनप्ले के कारण ही मुमकिन हो सकता था। फिल्म के निर्देशक प्रकाश कोवेलमुडी ने अब तक तेलगु फिल्मों का निर्देशन किया है और हिन्दी में उनका ये पहला प्रयास है। फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर जो भी हश्र हो लेकिन हिन्दी फिल्म उद्योग को प्रकाश के रूप में एक होनहार निर्देशक मिल गया है।
फिल्म के संवाद बेजोड़ हैं। जैसे ‘सीता रावण के जाल में न फंसे तो रामायण कैसे लिखी जाए’। फिल्म में एक सीन में दिखाया गया है कि जब बॉबी अपना विश्वास खोने लगती है तो ‘रामायण के पात्र काल्पनिक रूप से उसके सामने आकर उसका हौंसला बढ़ाते हैं। फिल्म के अंत में रामायण के प्रसंग न होते तो एक डार्क शेड वाली ये फिल्म उम्मीदों के उजाले तक नहीं पहुँच सकती थी। इसका श्रेय स्क्रीनप्ले और निर्देशक की कल्पनाशीलता को दिया जाना चाहिए। यदि आप ‘साइको थ्रिलर’ देखना पसंद करते हैं तो ये फिल्म आपके लिए ही बनी है। ये सपरिवार देखने योग्य नहीं है और न ही बच्चों को दिखाई जानी चाहिए। इस नाते फिल्म की बड़ी सफलता के प्रति मैं आश्वस्त नहीं हूँ लेकिन फिर भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करेगी।
ॠत्विक रोशन? ही ही ही । नाम कुछ सुना है ।
कंगना अभिनय सम्राज्ञी है । फिल्म हिट होगी।